CJI मुद्दे पर अरुण जेटली ने कहा- जजों के विवाद से फायदा उठाने की फिराक में कांग्रेस
कर्नाटक विधानसभा चुनाव को लेकर राजनितिक सरगर्मी के बीच वित्त मंत्री अरुण जेटली ने फेसबुक पर एक पोस्ट लिखकर कांग्रेस पर जमकर हमला बोला है. अपने फेसबुक पेज पर अरुण जेटली ने पोस्ट डालकर कांग्रेस को वंशवादी संगठन बताया है.
नई दिल्ली: कर्नाटक विधानसभा चुनाव को लेकर राजनितिक सरगर्मी के बीच वित्त मंत्री अरुण जेटली ने फेसबुक पर एक पोस्ट लिखकर कांग्रेस पर जमकर हमला बोला है. अपने फेसबुक पेज पर अरुण जेटली ने पोस्ट डालकर कांग्रेस को वंशवादी संगठन बताया है.
वित्त मंत्री ने लिखा, ''यह वंशवादी संगठन वर्तमान में लोकप्रियता और स्वीकार्यता के आधार पर इस पीढ़ी में वंशवाद की वजह से अपने अस्तित्व को बचाए रखने की चुनौती से जूझ रही है. सच्चाई यही है कि कांग्रेस दों अंकों में सिमट कर रह गई है और राज्य दर राज्य हारती जा रही है. यह नेतृत्व की अस्वीकार्यता दिखाती है.''
जेटली ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए कहा कि उनकी पार्टी प्रधान न्यायाधीश के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव जैसे मुख्यधारा के मुद्दों पर 'हाशिए' (फ्रिंज) की पार्टी की तरह काम कर रही है. पार्टी इन मुद्दों पर 'फोरम शॉपिंग' करना चाहती है और असफल होने पर कदम वापस खींच लेती है.
जेटली ने कहा कि कांग्रेस की पारंपरिक सहयोगी पार्टियों में से कई ऐसी थीं जो न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव को समर्थन नहीं दे रही थीं क्योंकि वे न्यायपालिका के साथ टकराव पर तैयार नहीं थीं.
एक फेसबुक पोस्ट में, वित्त मंत्री ने राज्यसभा सभापति द्वारा महाभियोग प्रस्ताव को खारिज करने को सर्वोच्च न्यायालय में दी गई चुनौती को पूरी तरह से गलत, खराब तरीके से तैयार किया गया और तात्पर्य की कमी के रूप में वर्णित किया.
जेटली ने कहा, "अगर महाभियोग प्रस्ताव अरक्षणीय था, तो राज्यसभा सभापति के आदेश को चुनौती देने वाली रिट याचिका अनुपयोगी थी. सभापति द्वारा प्रस्ताव को खारिज कर देना विधायी प्रक्रिया का हिस्सा है और यह न्यायिक समीक्षा के अधीन नहीं है.”
"लेकिन, कांग्रेस ने इस मामले को सुनने के लिए अपनी पसंद का खंडपीठ चुनने की रणनीति बनाई, ताकि एक बेहद मामूली मामले पर अदालत के समक्ष बहस कराने के लिए इसे किसी पीठ को भेजा जा सके. कांग्रेस अपनी गेंदबाजी के लिए मनमाफिक पिच की तलाश में थी."
बता दें की दो कांग्रेस सांसदों ने राज्यसभा सभापति द्वारा प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव को अस्वीकार करने के बाद सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दाखिला की थी, लेकिन कुछ घंटे बाद ही याचिका को वापस ले लिया.