10K Militants Surrendered! मोदी सरकार ने पूर्वोत्तर को हिंसा मुक्त बनाया, 10 हजार उग्रवादियों ने हथियार डाले: अमित शाह

केंद्र ने पूर्वोत्तर राज्यों में बड़ी संख्या में समस्याओं का समाधान किया है. विभिन्न संगठनों के 10 हजार से ज्यादा उग्रवादियों ने हिंसा का रास्ता छोड़ दिया है और सरकार के सामने आत्मसमर्पण कर दिया है.

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नई दिल्ली/अगरतला, 2 मार्च (आईएएनएस). केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शनिवार को कहा कि केंद्र ने पूर्वोत्तर राज्यों में बड़ी संख्या में समस्याओं का समाधान किया है. क्षेत्र को हिंसा और उग्रवाद मुक्त बनाया है. जबकि विभिन्न संगठनों के 10 हजार से ज्यादा उग्रवादियों ने हिंसा का रास्ता छोड़ दिया है और सरकार के सामने आत्मसमर्पण कर दिया है.

राष्ट्रीय राजधानी में गृह मंत्रालय, त्रिपुरा सरकार और विपक्षी टिपरा मोथा पार्टी (टीएमपी) के नेताओं के बीच त्रिपक्षीय बैठक को संबोधित करते हुए, गृह मंत्री ने कहा, ''शांति बहाल करने और क्षेत्र के सर्वांगीण विकास और कल्याण में तेजी लाने के लिए पूर्वोत्तर में कई उग्रवादी संगठनों के साथ विभिन्न समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए हैं.''

विभिन्न उग्रवादी संगठनों और अन्य संगठनों के साथ हस्ताक्षरित समझौते में यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (उल्फा), बोडो, नेशनल लिबरेशन फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (एनएलएफटी), दिमासा, कार्बी, आदिवासी और रियांग आदिवासी शामिल हैं.

उन्होंने कहा कि इसके अलावा अरुणाचल प्रदेश और मेघालय में अंतरराज्यीय सीमा समस्याओं का भी समाधान किया गया है. गृह मंत्री ने यह भी कहा कि समझौते पर हस्ताक्षर और समस्याओं के समाधान से पूर्वोत्तर क्षेत्र में विकास में तेजी आई है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकसित भारत के दृष्टिकोण से पूर्वोत्तर क्षेत्र और त्रिपुरा का भी विकास होगा. भारत सरकार आदिवासियों और पूर्वोत्तर के लोगों के अधिकारों को बनाए रखने के लिए हमेशा ईमानदार है. गृह मंत्री ने बांग्लादेश से आए लोगों को बसाने के लिए त्रिपुरा के तत्कालीन राजाओं को भी धन्यवाद दिया.

राज्य के आदिवासियों को और अधिक सशक्तिकरण प्रदान करने के लिए केंद्र, त्रिपुरा सरकार और टीएमपी के बीच शनिवार को दिल्ली में त्रिपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किए गए, जो त्रिपुरा की चार मिलियन आबादी का एक तिहाई हिस्सा हैं.

इस बीच टीएमपी जो संविधान के अनुच्छेद 2 और 3 के तहत आदिवासियों के लिए 'ग्रेटर टिपरालैंड' या एक अलग राज्य की मांग कर रही है, वह 28 फरवरी से राष्ट्रीय राजमार्ग-8 पर हटोई कटार (बारामुरा) पर अपना प्रदर्शन जारी रखे हुए है.

टीएमपी त्रिपुरा जनजातीय क्षेत्र स्वायत्त जिला परिषद (टीटीएएडीसी) को और मजबूत करने, आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारों की सुरक्षा, आदिवासी स्वायत्त निकाय को सीधे वित्त पोषण और आदिवासियों के भूमि अधिकारों में और संशोधन की मांग कर रही है.

त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक साहा, जनजातीय कल्याण मंत्री विकास देबबर्मा, जनजातीय कल्याण (टीआरपी और पीटीजी) मंत्री शुक्ला चरण नोटिया, टीएमपी के वरिष्ठ नेता अनिमेष देबबर्मा, टीटीएएडीसी के अध्यक्ष जगदीश देबबर्मा, टीएमपी अध्यक्ष बिजॉय कुमार ह्रांगखॉल और अन्य नेता बैठक में शामिल होने के लिए शुक्रवार रात दिल्ली पहुंचे थे.

आदिवासी आधारित पार्टी आईपीएफटी, त्रिपुरा में सत्तारूढ़ भाजपा की सहयोगी है. टीएमपी सुप्रीमो और पूर्व शाही वंशज प्रद्योत बिक्रम माणिक्य देब बर्मन और पार्टी के अन्य नेता 28 फरवरी से दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं.

देब बर्मन ने पहले दावा किया था कि उन्हें केंद्र सरकार ने उनकी मांगों पर चर्चा करने के लिए दिल्ली बुलाया है. टीएमपी प्रमुख ने मीडिया से कहा था, ''हम जो मांग रहे हैं वह संविधान के अनुसार है. हम चाहते हैं कि सरकार आदिवासियों के संवैधानिक और भूमि अधिकार संबंधी मुद्दों को पूरा करे."

दिल्ली में त्रिपक्षीय बैठक में त्रिपुरा के पूर्व मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देब, मुख्य सचिव जेके सिन्हा और गृह मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल हुए.

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