ISRO के इतिहास रचने पर PM मोदी ने दी बधाई, कलामसैट और माइक्रोसैट-आर अपनी कक्षा में पहुंचा
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने गुरुवार देर रात एक बार फिर इतिहास रच दिया. ISRO ने रात 11:37 मिनट पर आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा अंतरिक्षतट से पीएसएलवी-सी 44 रॉकेट के साथ कलामसैट और माइक्रोसैट-आर को सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया.
बेंगलुरू: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने गुरुवार देर रात एक बार फिर इतिहास रच दिया. ISRO ने रात 11:37 मिनट पर आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा अंतरिक्षतट से पीएसएलवी-सी 44 रॉकेट के साथ कलामसैट और माइक्रोसैट-आर को सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया.
इस साल के पहले प्रक्षेपण कलामसैट और माइक्रोसैट-आर की सफलता के बाद पीएम मोदी ने वैज्ञानिकों को बधाई दी है. पीएम मोदी ने ट्वीट कर लिखा कि इसरो संस्थान देश के छात्रों के लिए हमेशा उपलब्ध है. आप अपनी बनाई सैटलाइट्स को हमारे पास लाएं और हम इसे आप के लिए लॉन्च करने में आपकी मदद करेंगे.
इस प्रक्षेपण की सबसे बड़ी खासियत, प्रक्षेपण यान का विन्यास और उसकी बहुउपयोगिता है. प्रक्षेपण यान को गति देने के लिए पहली बार सिर्फ दो स्ट्रेप ऑन मोटर्स लगाए गए हैं. इसके अलावा प्रक्षेपण यान पीएसएलवी-सी44 की एक और विशेषता उसके चौथे और अंतिम ईंधन चरण की भूमिका है. दो उपग्रहों को निर्धारित कक्षा में स्थापित करने के बाद यह प्रक्षेपण यान आगे गोलाकार कक्षा में जायेगा और अंतरिक्ष में अनुसंधान के लिए नया मंच तैयार करेगा.
यह प्रक्षेपण अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में भारत के लगातार बढ़ रहे दबदबे का नमूना है. गौरतलब हो कि 'कलामसैट' (Kalamsat) छात्रों द्वारा बनाए गए प्रायोगिक अंतरिक्ष उपकरण है. छात्रों द्वारा बनाए गए सैटेलाइट कलामसैट इतना छोटा है कि इसे 'फेम्टो' की श्रेणी में रखा गया है. इसरो ने अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के तर्ज पर एक कार्यक्रम शुरू किया. तीन-तीन छात्रों का चयन कर उन्हें एक महीने के लिए अपनी प्रयोगशालाओं में काम करने का मौका दिया. जिन्होंने कलामसैट बनाया.