Farmers Protest: आंदोलन में आए बदलाव पर किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा, तूफान में सूखी टहनी-डालियां टूट गईं, मजबूत स्तम्भ बरकरार

गणतंत्र दिवस के दिन लाल किले पर हुई घटना के बाद से आंदोलन पर काफी असर पड़ा.

राकेश टिकैत (Photo Credits: FB)

गाजीपुर बॉर्डर, 30 जनवरी : गणतंत्र दिवस (Republic Day)के दिन लाल किले पर हुई घटना के बाद से आंदोलन पर काफी असर पड़ा. किसान संगठनों पर दबाब बनना शुरू हो गया और उनपर तरह तरह के आरोप लगने लगे, हालांकि भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रिय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि, "एक तूफान आया था, इस तूफान में टहनी, डालियां और खोखले दऱख्त टूट गए, अब सिर्फ मजबूत स्तम्भ खड़े हैं". दरअसल दिल्ली की सीमाओं पर इस आंदोलन की शुरूआत नवंबर 2020 में हुई. गाजीपुर बॉर्डर पर टिकैत के समर्थकों की भीड़ कम थी. हालांकि मौजूदा समय में टिकैत के ही समर्थक ज्यादा दिखाई दे रहे हैं.

भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने आईएएनएस को बताया, "ज्यादा भीड़ के लिए व्यवस्था करनी पड़ती है, खेत का काम छूटेगा और यहां कोई काम नहीं है." "आंदोलन में आप पांच आदमी बिठा दो और किसान संगठन का झंडा सड़क के बीच में लगा दो, किसी सरकार की ताकत नहीं की उस झंडे को भी हाथ लगा दे. आंदोलन भीड़ से नहीं चलता, आंदोलन का मकसद क्या है उससे चलता है." उन्होंने आगे कहा कि, "इस तूफान में हल्की टहनियां, डालियां और खोखले दऱख्त थे, वह टूट गए, अब सिर्फ मजबूत स्तम्भ खड़े हैं". यह भी पढ़ें : Farmers Protest: दिल्ली पुलिस ने NH-24 किया बंद, गाजीपुर बॉर्डर पर भूख हड़ताल पर बैठे किसान

गाजियाबाद से भारतीय किसान यूनियन (आराजनैतिक) के बैनर तले आए विजेंदर सिंह ने आईएएनएस को बताया, "हमें एमएसपी पर गारंटी चाहिए और सरकार इन तीनों कानून को वापस लेले, हम यहां से तुरन्त हट जाएंगे." "सरकार ने एक जहर का ग्लास दे दिया है, अब उसमें से एक चम्मच कम करें या दो चम्मच, जहर तो जहर होता है." बॉर्डर पर बढ़ती भीड़ पर उन्होंने कहा कि, "गणतंत्र दिवस पर हम सभी परेड में शामिल होने के लिए आए थे. इसके बाद हम अपने गांव रवाना हो गए, अब फिर आन्दोलन में शामिल होने आए हैं." "हमारे ऊपर प्रशासन ने दबाब बनाया, जिसके कारण हमारे नेता के आंखों में आंसू आए. उसी आक्रोश में बॉर्डर पर भीड़ बढ़ रही है और जिसके पास जैसी सहूलियत है वह उससे आ रहा है." यह भी पढ़ें : Farmers Protest: एसएचओ अलीपुर पर तलवार से हमला करने वाले किसान समेत 44 प्रदर्शनकारियों को पुलिस ने किया गिफ्तार

दरअसल किसान संगठन तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर फसलों की खरीद की कानूनी गारंटी की मांग कर रहे हैं, जबकि सरकार नये कानूनों में संशोधन करने और एमएसपी पर खरीद जारी रखने का लिखित आश्वासन देने को तैयार है. केंद्र सरकार द्वारा लागू कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) कानून 2020, कृषक (सशक्तीकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा करार कानून 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) कानून 2020 को वापस लेने और न्यूनतम समर्थन मूल्य पर फसलों की खरीद की कानूनी गारंटी देने की मांग को लेकर किसान 26 नवंबर 2020 से दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डाले हुए हैं.

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