एनएसजी है भारत की सबसे खतरनाक फोर्स, जाने कैसे होती इनकी ट्रेनिंग
16 अक्टूबर 1984 में एनएसजी को बनाया गया था
अपनी जान की परवाह न करते हुए नेशनल सिक्योरिटी गार्ड ( ब्लैक कैट कमांडो ) के जवान आतंकवादियों से देश की रक्षा करते हैं. इनके कंधो पर दुश्मनों के मंसूबों पर पानी फेरने की जिम्मेदारी होती है. मुंबई में हुए 26/11 मुंबई हमले के दौरान एनएसजी कमांडो ने आतंकियों पर हमला करते हुए उनका खात्मा किया था. लेकिन क्या आप जानतें हैं कि कैसे एनएसजी के जबांज कमांडो को ट्रेनिंग दी जाती है और कैसे तैयार होता है ये विशेष दस्ता.
1 - एनएसजी (नेशनल सिक्योरिटी गार्ड)देश के सबसे अहम कमांडो फोर्स में से एक है जो गृह मंत्रालय के आधीन काम करता हैं.
2 - 16 अक्टूबर 1984 में एनएसजी को बनाया गया था ताकि देश में होने वाली आतंकी गतिविधियों से निपटा जा सके.
3 - एनएसजी कमांडो सिर से लेकर पैर के नाखून तक काले रंग के पोशाक से ढकें होते हैं. उनके पास सबसे आधुनिक हथियार होते हैं. एनएसजी कमांडो का मूल मंत्र है सर्वत्र सर्वोत्तम सुरक्षा.
4- एक एनएसजी का कमांडो आतंकियों के पूरे गिरोह को मार गिराने का दम रखता है. यही कारण है कि भारतीय एनएसजी कमांडोज की गिनती इजरायल, अमेरिका, रूस और फ्रांस के कमांडो के साथ होती है. वहीं अगर एशिया की बात करें तो एनएसजी कमांडो सबसे आगे है.
ऐसे बनते हैं जांबाज NSG कमांडो
एनएसजी कमांडो बनने का मौका हर जवान को नहीं मिलता. जिन्हें इस ट्रेनिंग के लिए चुना जाता है वे अपने दल के सबसे बेहतरीन सैनिक होते हैं. ब्लैक कैट कमांडो ( एनएसजी ) बनने वाले जवान को आर्मी, पैरा मिलिट्री या पुलिस में होना जरूरी है.
एनएसजी कमांडो की ट्रेनिंग बेहद कठिन मानी जाती है. इस दौरान कई लोग हिम्मत हारकर कमांडो बनने की इच्छा को त्याग देते हैं. ट्रेनिंग के दौरान जंगल में इन्हें कई दिनों तक रहना पड़ता है.
एनएसजी कमांडोज की टेनिंग कितनी कठिन होती है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इनकी ट्रेनिंग पूरे 90 दिनों की होती है. ट्रेनिंग की शुरुवात में जवान को 18 मिनट के भीतर 26 करतब करने होते हैं और 780 मीटर की बाधाओं को पार करना होता है. लेकिन अगर इस टास्क को पूरा करने में जवान तय समय सीमा से अधिक लेता है तो उसे रिजेक्ट कर दिया जाता है. वहीं अगर ट्रेनिंग के दौरान ए श्रेणी का कमांडो बनना है तो उन्हें अपना टास्क 9 मिनट में पूरा करना होता है. ट्रेनिंग के दौरान कमांडो को पचास से साठ हजार जिंदा कारतूस फायर करने होते है.
फिजिकल ट्रेनिंग के बाद जो जवान आगे बढ़ते हैं उनका इंटरव्यू लिया जाता है. इसका मकसद मात्र यह होता है की बेहतरीन जवान कमांडो बने. 90 दिन की कठिन ट्रेनिंग के बाद कमांडो ट्रेनिंग पूरी होती है. एनएसजी कमांडो के पास सबसे घातक हथियार होते हैं. जो खास तौर पर इजराइल से मंगाए जाते हैं. इन आधुनिक हथियारों से एनएसजी कमांडो बड़ी आसानी से दुश्मन को अपना निशाना बना लेते हैं.
इस बीच के कई ऐसे जवान होते हैं जो ट्रेनिंग पास नहीं कर पाते हैं लेकिन जो इस कठिन ट्रेनिंग को पार कर के पास हो जाते हैं वे दुनिया के सबसे घातक एनएसजी ( ब्लैक कैट कमांडो ) बनकर उभरते हैं.