NSG Raising Day 2024: NSG का 40वां स्थापना दिवस आज! ब्लैक कैट कमांडो का पराक्रम देख थर्राते हैं भारत के दुश्मन
एनएसजी कमांडो को सबसे खतरनाक माना जाता है. NSG कमांडों की ट्रेनिंग भी काफी कठिन होती है, जिसे हर जवान पूरा नहीं कर सकता है.
आज NSG (राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड) अपना 40वां स्थापना दिवस मना रहा है. 1984 में स्थापित इस बल ने देश को आतंकवाद और बंधक संकटों से सुरक्षित रखने में अहम भूमिका निभाई है. इस मौके पर दिल्ली स्थित मुख्यालय में विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं, जहां बल के जवानों की बहादुरी और उपलब्धियों को सराहा जाएगा. प्रधानमंत्री और गृह मंत्री ने भी NSG को बधाई दी है, इसकी वीरता और समर्पण की प्रशंसा की है.
क्या है NSG
NSG यानी राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (National Security Guard) भारत की एक विशेष सुरक्षा बल है, जिसे आतंकवाद से निपटने और संवेदनशील ऑपरेशनों को अंजाम देने के लिए बनाया गया है. इसकी स्थापना 1984 में ऑपरेशन ब्लू स्टार और इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुई थी, ताकि आतंकी हमलों और बंधक संकट जैसी आपातकालीन स्थितियों से तुरंत निपटा जा सके. प्रधानमंत्री से लेकर अन्य वीवीआईपी लोगों की सुरक्षा में एनएसजी के ब्लैक कैट कमांडो ही तैनात रहते हैं.
इस बल को मुख्य रूप से आतंकवाद-रोधी अभियान, बंधक बचाव (Hostage rescue), विस्फोटक निष्क्रियकरण (Bomb Disposal) और वीआईपी सुरक्षा के लिए प्रशिक्षित किया जाता है. NSG कमांडो सिर से पांव तक काले रंग के कपड़ों में ढके रहते हैं, इसलिए इन्हें ब्लैक कैट कमांडो कहा जाता है.
NSG के खूंखार कमांडो
NSG में शामिल होने वाले जवान देश के सबसे बेहतरीन सैनिकों और पुलिसकर्मियों में से चुने जाते हैं. एनएसजी में चुने जाने वाले कमांडो में 53% कमांडो भारतीय सेना से आते हैं, शेष 45% कमांडो सीआरपीएफ, आइटीबीपी, आरएएस और बीएसएफ से चुने जाते हैं. जिन्हें विशेष कौशलों में महारत हासिल होती है.
NSG की दो प्रमुख यूनिट हैं
- SAG (Special Action Group): इसमें भारतीय सेना के जवान होते हैं और यह सीधे आतंकवाद से निपटने के ऑपरेशन करती है.
- SRG (Special Rangers Group): इसमें पैरा-मिलिट्री और पुलिस फोर्स से आए जवान होते हैं, जो VIP सुरक्षा और अन्य सुरक्षा कार्यों में तैनात रहते हैं.
NSG की कठिन ट्रेनिंग
NSG कमांडो की ट्रेनिंग को भारत में सबसे कठिन ट्रेनिंग में गिना जाता है. एनएसजी के लिए एक कमांडो का चुनाव कई चरणों में होता है. सबसे पहले एक हफ्ते की बेहद सख्त ट्रेनिंग दी जाती है. इस ट्रेनिंग में 80 फीसदी सैनिक फेल हो जाते हैं और मात्र 15 से 20 परसेंट सैनिक ही आखिरी दौड़ में पहुंचने में सफल होते हैं. वहीं चुने गए जवानों को 90 दिन की कड़ी ट्रेनिंग दी जाती है. यह ट्रेनिंग शारीरिक और मानसिक दोनों मोर्चों पर कड़ी होती है ताकि कमांडो किसी भी परिस्थिति में बेहतरीन प्रदर्शन कर सकें.
NSG कमांडो को हथियारों के साथ और बिना हथियारों के दुश्मनों से निपटने की कड़ी ट्रेनिंग दी जाती है. इसमें उन्हें आग के गोले और गोलियों की बौछारों के बीच से बचकर निकलना सिखाया जाता है. 3 महीने की इस कठोर ट्रेनिंग को सफलतापूर्वक पूरा करने वाले जवान देश के सबसे खतरनाक और सक्षम कमांडो बनते हैं.
कहा जाता है कि एक एनएसजी कमांडों करीब 15 दिन तक बिना खाए-पीए और सोए अपने ऑपरेशन को अंजाम दे सकता है.
ट्रेनिंग के प्रमुख चरण:
- पहला चरण (3 महीने का प्रारंभिक प्रशिक्षण)
- कमांडो को 20 किलोमीटर की दौड़, रस्सी पर चढ़ने और ऊंची दीवारें फांदने जैसे शारीरिक अभ्यास कराए जाते हैं.
- हर कमांडो को बम निष्क्रिय करने, इमारतों में छापेमारी और बंधक बचाव अभियानों की ट्रेनिंग दी जाती है.
- दूसरा चरण (स्पेशल ट्रेनिंग)
- मॉडर्न हथियारों से ट्रेनिंग: कमांडो को अत्याधुनिक हथियारों के इस्तेमाल में माहिर बनाया जाता है.
- क्लोज-क्वार्टर बैटल (CQB): संकरी जगहों में लड़ने की ट्रेनिंग दी जाती है, जैसे हवाई जहाज, ट्रेन या इमारतों के अंदर.
- मानसिक सहनशक्ति: कमांडो को गहन दबाव में काम करने के लिए तैयार किया जाता है, जिससे वे भयावह परिस्थितियों में भी सही फैसले ले सकें.
अतिरिक्त ट्रेनिंग
- नाइट ऑपरेशन: रात के अंधेरे में बिना किसी गलती के मिशन पूरा करने की क्षमता विकसित की जाती है.
- पैराशूट जंपिंग और रैपलिंग: कमांडो को हेलिकॉप्टर और एयरक्राफ्ट से कूदने की भी ट्रेनिंग मिलती है.
- अंतर्राष्ट्रीय प्रशिक्षण: NSG के कुछ कमांडो को विदेशों में भी ट्रेनिंग के लिए भेजा जाता है, ताकि वे दुनिया के बेहतरीन आतंकवाद-रोधी बलों के स्तर पर खुद को ढाल सकें.
NSG की प्रमुख जिम्मेदारियां
- आतंकवाद रोधी अभियान: बंधक बचाव और आतंकियों के खिलाफ हमले.
- VVIP सुरक्षा: प्रधानमंत्री और अन्य महत्वपूर्ण व्यक्तियों की सुरक्षा.
- विस्फोटक निष्क्रिय करना: बम और विस्फोटकों को निष्क्रिय करना.
- विशेष ऑपरेशन: विमान अपहरण या बड़े आतंकी हमलों के दौरान ऑपरेशन.
जब एक्शन में आई NSG
- 26/11 मुंबई आतंकी हमला (2008): NSG कमांडो ने होटल ताज, ओबेरॉय और नरीमन हाउस में आतंकियों का खात्मा किया और कई बंधकों को सुरक्षित निकाला.
- अक्षरधाम मंदिर हमला (2002): आतंकियों को मार गिराने के लिए NSG कमांडो ने मंदिर में अभियान चलायाय
- पठानकोट एयरबेस हमला (2016): आतंकियों से एयरबेस को मुक्त कराने में NSG की अहम भूमिका रही.
NSG कमांडो न केवल भारत के सबसे जांबाज और कुशल सैनिक होते हैं, बल्कि देश की सुरक्षा का एक अभिन्न अंग भी हैं. इनकी कड़ी ट्रेनिंग और साहसिक कार्यों ने कई बार देश को बड़े संकटों से बचाया है. इनकी तैनाती हर उस जगह होती है, जहां दुश्मन को हराना सबसे कठिन होता है, और यही उन्हें सबसे अलग और खतरनाक बनाता है.