यूपी में विदेशी नहीं, देसी कुत्तों को मिलेगा बढ़ावा, एसओपी पर काम शुरू

विदेशी नस्ल के कुत्तों के हमलावर होने की घटनाओं से निपटने के लिए यूपी की योगी सरकार देसी कुत्तों को बढ़ावा देने पर काम शुरू कर चुकी है. इसके लिए सरकार ने आदर्श कार्यवाही प्रक्रिया यानी एसओपी तैयार करने के लिए एक मॉडल ड्राफ्ट बनाया है.

प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit : Twitter)

लखनऊ, 25 अक्टूबर : विदेशी नस्ल के कुत्तों के हमलावर होने की घटनाओं से निपटने के लिए यूपी की योगी सरकार देसी कुत्तों को बढ़ावा देने पर काम शुरू कर चुकी है. इसके लिए सरकार ने आदर्श कार्यवाही प्रक्रिया यानी एसओपी तैयार करने के लिए एक मॉडल ड्राफ्ट बनाया है. इसे सभी नगर निगमों में लागू किया जाएगा. इस मॉडल ड्राफ्ट में इस बात पर जोर दिया गया है कि विदेशों कुत्तों को पालने और उनकी बिक्री को बढ़ावा न देकर देसी और आवारा कुत्तों को गोद लेने को बढ़ावा देने और उनकी संख्या में बढ़ोतरी रोकने पर ध्यान दिया जाए.ड्राफ्ट में कहा गया है कि आवारा कुत्तों की जनसंख्या खुले कचरे के रूप में पड़ने रहने वाले भोजन पर निर्भर है. ऐसे में जिन इलाकों में इसकी अधिकता होगी वहां कुत्तों की जनसंख्या भी अधिक होगी. ड्राफ्ट में यह भी बताया गया है कि ऐसा देखा भी गया है जहां खाद्य कचरा अधिक है वहां कुत्ते अधिक हैं और जहां कचरा कम है वहां कुत्ते भी कम हैं.

ऐसे में जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए खाद्य कचरे की उपलब्धता नियंत्रित करना जरूरी है. कहा गया है कि कम से कम 10 देशी आवारा कुत्तों को सड़क या फिर पशु शरणालय में गोद लेने वाले परिवारों को नगर निगम में पंजीकरण से छूट दी जाए और अगर निगम में जानवर में जन्म नियंत्रण परिसर हो तो वहां नसबंदी और टीकाकरण निशुल्क किया जाए. ड्राफ्ट में देशी कुत्तों को पालतू बनाने के लिए काम करने पर बल दिया गया है. घर में पाले जाने वाले विदेशी कुत्तों का पंजीकरण जरूर हो और उनका नियमित टीकाकरण प्रमाण पत्र भी देखा जाए. इसके अलावा निगम में चल रहे विदेशी कुत्तों के बिक्री और प्रजनन केंद्रों को बिना वैध लाइसेंस के न चलने दिया जाए और ऐसे सेंटर को बढ़ावा न दिया जाए. यह भी पढ़ें : UP में रिटायर्ड स्कूल टीचर की बेटे ने गोली मारकर की हत्या

कुत्तों की जनसंख्या को बढ़ने से रोकने के लिए जरहरा स्थित पशु जन्म नियंत्रण केंद्र में श्वान पशु नियंत्रण प्रोजेक्ट के लिए प्रशिक्षण केद्र स्थापित करने को कहा गया है. इसमें कार्यदायी संस्थाओं को प्रशिक्षित किया जाएगा. इसमें तीन माह के अंदर प्रशिक्षण शुरू करने को कहा गया है. जिन शहरों में यह केंद्र नहीं है वहां जल्द से जल्द इन्हें स्थापित करने को कहा गया है. यूपी श्वान पशु जन्म नियंत्रण अनुश्रवण समिति की ओर से एक उप समिति भी बनाने को कहा गया है.

लखनऊ नगर निगम द्वारा संचालित एनिमल बर्थ कंट्रोल कैंपस (एबीसीसी) में एक प्रशिक्षण केंद्र चलाया जाएगा, जहां ऐसे निकायों में काम करने के लिए संस्थाओं को प्रशिक्षित किया जाएगा, जहां एबीसीसी नहीं हैं. लखनऊ के अलावा गाजियाबाद व अयोध्या में एबीसीसी अभी बन रहा है इसके अलावा बाकी के 14 नगर निगमों को आदेश दिए गए हैं कि वे दो साल में अनिवार्य तौर पर एबीसीसी बनाएं और उसे क्रियाशील करें. नगर निगमों वाले जिलों के अलावा के 58 जिलों में अगले पांच साल में एबीसीसी चरणबद्ध तरीके से स्थापित किए जाएंगे. शासन ने शहरी निकायों को कहा है कि अगर कहीं से भी किसी कुत्ते के रैबीज से संक्रमित होने की शिकायत आती है तो उसपर फौरन कार्रवाई होनी चाहिए.

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