नई दिल्ली, 2 फरवरी: सरकार ने बृहस्पतिवार को संसद को बताया कि समान नागरिक संहिता लागू करने पर कभी कोई निर्णय नहीं लिया गया है. केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्री किरेन रिजिजू ने बृहस्पतिवार को राज्यसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में यह भी बताया कि 22वां विधि आयोग समान नागरिक संहिता से संबंधित मामले पर विचार कर सकता है. SC On Divorce: सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से कपल्स का जीवन होगा आसान, समझदारी दिखाई तो रद्द हो सकता क्रिमिनल केस
उन्होंने बताया कि सरकार ने भारत के 21वें विधि आयोग से अनुरोध किया था कि समान नागरिक संहिता से संबंधित विभिन्न विषयों का परीक्षण करें और उस पर अपना सुझाव दें. रीजीजू ने कहा कि लेकिन 21वें विधि आयोग की अवधि 31 अगस्त 2018 को समाप्त हो गई.
उन्होंने कहा, ‘‘विधि आयोग से प्राप्त जानकारी के अनुसार समान नागरिक संहिता से संबंधित मामला 22वें विधि आयोग द्वारा अपने विचार के लिए लिया जा सकेगा. अतः समान नागरिक संहिता लागू करने पर कभी कोई निर्णय नहीं लिया गया है.’’
वर्तमान विधि आयोग का गठन 21 फरवरी, 2020 को किया गया था, लेकिन इसके अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति आयोग का कार्यकाल समाप्त होने से महीनों पहले पिछले साल नवंबर में की गई थी.
21 वें विधि आयोग ने समान नागरिक संहिता से संबंधित विभिन्न मुद्दों की जांच की और व्यापक चर्चा के लिए अपनी वेबसाइट पर ‘परिवार कानून में सुधार’ नामक एक परामर्श पत्र अपलोड किया. समान नागरिक संहिता भारतीय जनता पार्टी का एक प्रमुख चुनावी मुद्दा रहा है. वर्ष 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में यह भाजपा के प्रमुख चुनावी वादों में शुमार था. उत्तराखंड और गुजरात जैसे भाजपा शासित कुछ राज्यों ने इसे लागू करने की दिशा में कदम उठाया है.
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