नई बिजली दर नीति को जल्द मिल सकती है मंजूरी, आपूर्ति में गड़बड़ी पर ग्राहकों को मिलेगा भुगतान
बस पर गिरा बिजली का तार (Photo Credits: Pixabay/File)

सरकार ग्राहकों को निरंतर गुणवत्तापूर्ण बिजली की उपलब्ध सुनिश्चित करने के लिए जल्द ही एक नयी नीति स्वीकृत कर सकती है जिसमें आपूर्ति गड़बड़ होने पर ग्राहकों को वितरण कंपनी से जुर्माना दिलाने का प्रस्ताव है. मामले से जुड़े सूत्रों ने जानकारी दी है कि बिजली मंत्रालय ने नयी बिजली दर नीति का मसौदा मंत्रिमंडल की मंजूरी के लिए भेज दिया है और इसे जल्दी ही मंजूरी मिलने की उम्मीद है.

प्रस्तावित बिजली-दर नीति के तहत प्राकृतिक आपदा या तकनीकी कारणों को छोड़कर अगर बिजली कटौती की जाती है तो संबंधित वितरण कंपनियों को हर्जाना देना होगा और इसकी धन राशि सीधे ग्राहकों के खाते में जाएगी. जुर्माने का निर्धारण राज्य विद्युत नियामक आयोग करेगा. सूत्रों ने कहा, ‘‘नई प्रशुल्क नीति मंत्रिमंडल को भेजी जा चुकी है और इसे जल्दी ही मंजूरी मिलने की उम्मीद है.’’

उल्लेखनीय है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जुलाई में अपने बजट भाषण में एक देश एक ग्रिड का लक्ष्य हासिल करने के लिये संरचनात्मक सुधारों पर जोर दिया था. सीतारमण ने कहा था, ‘‘हम क्रॉस सब्सिडी प्रभार, खुली बिक्री पर अवांछनीय शुल्क या औद्योगिक और बिजली के अन्य उपभोक्ताओं के लिये कैप्टिव उत्पादन (निजी उपयोग के लिये) जैसे अवरोधों को हटाने के लिये राज्य सरकारों के साथ काम करेंगे.

इन संरचनात्मक सुधारों के अलावा प्रशुल्क नीति में महत्वपूर्ण सुधार की आवश्यकता है. बिजली क्षेत्र के प्रशुल्क और संरचनात्मक सुधारों के पैकेज की घोषणा की जाएगी.’’ सूत्रों ने बताया, ‘‘प्रस्तावित प्रशुल्क नीति के तहत बिजली वितरण कंपनियों के लिये गुणवत्तापूर्ण सातों दिन 24 घंटे बिजली उपलब्ध कराना अनिवार्य होगा. प्राकृतिक आपदा / तकनीकी कारणों / पूर्व सूचना के अनुसार रखरखाव कार्यों को छोड़कर अगर बिजली कटौती की जाती है तो संबंधित वितरण कंपनियों को जुर्माना देना होगा और यह जुर्माना सीधे ग्राहकों के खाते में जाएगा. जुर्माने का निर्धारण राज्य विद्युत नियामक आयोग करेगा.’’

नीति में गुणवत्तापूर्ण बिजली देने की भी बात कही गयी है. यानी वोल्टेज में उतार-चढ़ाव जैसी समस्याओं से निजात मिलेगी. ट्रांसफर्मर में गड़बडी जैसी समस्याएं को निश्चित समयसीमा के भीतर दूर करना अनिवार्य होगा. नई प्रशुल्क नीति में अन्य बातों के अलावा बिजली सब्सिडी सीधे ग्राहकों के खातों में देने का भी प्रावधान किया गया है. यानी अगर राज्य सरकारें सस्ती बिजली देने की घोषणा करती हैं तो उन्हें सब्सिडी वितरण कंपनियों के बजाए सीधे ग्राहकों के खातों में भेजनी होगी.

सरकार का मानना है कि इस व्यवस्था से ग्राहक बिजली बचत के लिये प्रोत्साहित होंगे. वे अधिक बिजली बचत का प्रयास करेंगे ताकि उन्हें सब्सिडी ज्यादा-से-ज्यादा मिले. साथ ही नई नीति में अगले तीन साल में स्मार्ट / प्रीपेड मीटर लगाने का भी प्रावधान होगा. स्मार्ट/प्रीपेड मीटर से ग्राहक मोबाइल फोन की तरह जरूरत के अनुसार रिचार्ज करा सकेंगे. इससे जहां एक तरफ बिजली बचत को प्रोत्साहन मिलेगा वहीं वितरण कंपनियों की वित्तीय सेहत भी अच्छी होगी.