झारखंड में प्रवासी युवकों पर नक्सलियों की नजर, बेरोजगारों को अपने संगठन में शामिल करने का दे रहे हैं लालच
प्रतीकात्मक तस्वीर (File Photo)

रांची, 8 जुलाई: झारखंड में नक्सली संगठनों की नजर अब कोरोना काल में अन्य राज्यों से लौटे प्रवासी मजदूरों पर है. नक्सली संगठन ऐसे बेरोजगार युवकों को अपने संगठन में शामिल करने के लिए लालच दे रहे हैं. संगठन के लोग ऐसे बेरोजगार युवकों को 10 हजार से लेकर 20 हजार रुपये प्रति माह से देने का सब्जबाग भी दिखा रहे हैं, ताकि वे संगठन में शामिल हो जाएं. झारखंड के लातेहार, पलामू, चतरा, लोहरदगा, गुमला जैसे कई नक्सल प्रभवित क्षेत्र हैं, जहां कोरोना काल के दौरान बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर अन्य राज्यों से लौटे हैं. वापस आए इन मजदूरों के सामने अभी सबसे बड़ी समस्या रोजगार की है. ये सभी या तो रोजगार की तलाश में भटक रहे हैं या फि र से पलायन करने की योजना बना रहे हैं.

इधर, सूत्रों का दावा है कि ऐसे ही युवकों पर नक्सली संगठनों की नजर है. सूत्रों का कहना है कि लातेहार सहित कई जिलों के अलग-अलग गांवों में नक्सली संगठन के हार्डकोर नक्सली बैठक कर इन युवकों को नक्सली संगठन में शामिल होने के लिए प्रेरित कर रहे हैं. नक्सली इन्हें रोजगार के लिए अन्य राज्यों में जाने से रोक रहे हैं और संगठन को मजबूत करने की बात करते हुए 10 से 20 हजार रुपये प्रतिमाह देने का लालच भी दे रहे हैं.

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लातेहार जिले के महुआडांड़ थाना के गांव के ग्रामीणों का कहना है कि नक्सली संगठन बाहर से आए युवकों को लालच जरूर दे रहे हैं लेकिन अभिभावक अब अपने बच्चों को नक्सली संगठन में भेजना नहीं चाहते हैं. सूत्रों का कहना है कि नक्सली संगठन कमजोर पड़ चुके अपने संगठन को फि र से मजबूत करने में जुटे हैं. पिछले दिनों तो झारखंड के कई इलाकों में युवाओं को नक्सली संगठन में शामिल होने के लिए दबाव तक बनाया गया था.

उल्लेखनीय है कि झारखंड में पूर्व की रघुवर दास सरकार ने नक्सली संगठनों पर नकेल कस दी थी, जिससे नक्सली संगठन कमजोर पड़ गए थे. स्थानीय लोग भी नक्सलियों से दूर हो गए थे और अन्य राज्यों में जाकर रोजगार ढूंढ कर पैसे कमाने लगे थे, लेकिन इस कोरोना काल में फि र से बड़ी संख्या में मजदूर युवा अपने गांवों में लौटे हैं. इसी स्थिति का लाभ उठाकर नक्सली संगठन अपने संगठन को फि र से मजबूत करने में जुटे हैं.

इधर, लातेहार के पुलिस अधीक्षक प्रशांत आनंद कहते हैं, "नक्सलियों की रीढ़ टूट चुकी है. ये नक्सली संगठन बार-बार ऐसा करते हैं, लेकिन अब ग्रामीण यह जान चुके हैं कि नक्सली नेता गांव के लोगों को दिग्भ्रमित कर अपना उल्लू सीधा करते हैं. अब नक्सलियों के मंसूबे सफ ल नहीं होंगे. नक्सलियों के खिलाफ लगातार अभियान चलाया जा रहा है, जिसमें पुलिस को सफ लता भी मिल रही है."