सांसदों के फोन कॉल डिटेल को अनधिकृत रुप से जुटाना विशेषाधिकार का हनन: राज्यसभा समिति
प्रतीकात्मक तस्वीर (फाइल फोटो)

नई दिल्ली: राज्यसभा की विशेषाधिकार समिति ने पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली के फोन कॉल डिटेल (CDR) का ब्योरा कथित तौर पर अनधिकृत रूप से जुटाने के मामले में दर्ज आपराधिक मामले को पूरी गंभीरता से आगे बढ़ाने के लिये दिल्ली पुलिस (Delhi Police) को कहा है. समिति ने मंगलवार सभापति को सौंपी अपनी 66वीं रिपोर्ट में जेटली के मामले में कहा कि संसद सदस्यों के अनधिकृत रूप से सीडीआर जुटाना, जिससे उनके संसदीय दायित्वों के निर्वाह में बाधा उत्पन्न हो, आपराधिक कानून के तहत निजता के उल्लंघन का मामला तो बनता ही है। साथ ही यह संसदीय विशेषाधिकार का मामला भी है. समित ने गृह मंत्रालय के माध्यम से दिल्ली पुलिस को इस मामले में दर्ज आपराधिक मुकदमे को गंभीरता से आगे बढ़ाने का निर्देश दिया जिससे दोषियों को सजा मिल सके.

साथ ही समिति को इस मामले के न्यायिक फैसले से भी अवगत कराने को कहा है. उल्लेखनीय है कि 2013 में राज्यसभा के तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष जेटली द्वारा दर्ज कराये गये इस मामले में विशेषाधिकार समिति ने मई 2015 में 61वीं रिपोर्ट दे दी थी। लेकिन कुछ सदस्यों द्वारा इस मामले पर फिर से विचार किये जाने की मांग पर समिति ने फिर से मामले की जांच कर सांसदों के सीडीआर जुटाने के विषय पर दिल्ली पुलिस आयुक्त एवं भारत के अटॉर्नी जनरल से विचार विमर्श कर 66वीं रिपोर्ट में यह बात कही है. विशेषाधिकार समिति ने तीन अन्य मामलों में भी 67वीं, 68वीं और 69वीं रिपोर्ट में अपनी सिफारिशें सभापति को सौंपी है. इनमें समिति ने टीवी चैनलों पर अपुष्ट खबरों का प्रसारण करने के मामले में सरकार को सभी टीवी चैनलों के लिये आवश्यक दिशनिर्देश जारी करने की भी सिफारिश की है.

समिति ने 69वीं रिपोर्ट में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को सिफारिश की है कि खबरों के प्रसारण में सभी टीवी चैनलों को सतर्कता बरतने के दिशानिर्देश जारी किये जायें। समिति ने जुलाई 2017 में तत्कालीन राज्यसभा सदस्य नरेश अग्रवाल के खिलाफ टीवी चैनल सुदर्शन न्यूज द्वारा अपमानजनक तथ्य प्रसारित करने की शिकायत पर यह सिफारिश की है. समिति ने हालांकि इस मामले को अधिक महत्व देने से संसद की गरिमा को कम होने की बात कही है। समिति ने शिकायत पर अग्रिम कार्रवाई नहीं करते हुये मंत्रालय को कहा कि दिशानिर्देश में सभी टीवी चैनलों को संसदीय कार्यवाही के प्रसारण और रिपोर्टिंग में सतर्कता बरतने एवं सदन की कार्यवाही से हटाये गये हिस्सों का पुर्नप्रसारण करने से बचने को कहा जाए.