भोपाल, 16 नवंबर : मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) ने कहा है कि राज्य में आदिवासी समुदाय के लोगों को सशक्त बनाने के लिए पेसा अधिनियम-1996 के साथ कुछ संशोधित नियम लागू किए जा रहे हैं. मुख्यमंत्री ने मंगलवार को आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी बिरसा मुंडा की जयंती के अवसर पर राज्य प्रायोजित 'जनजातीय गौरव दिवस' कार्यक्रम में आदिवासी समुदाय की एक सभा को संबोधित करते हुए यह बात कही. चौहान ने दावा किया कि उनकी सरकार ने राज्य में कई आदिवासी विशिष्ट योजनाएं शुरू की हैं और पेसा अधिनियम का कार्यान्वयन 'आज हम सभी के लिए गौरव का दिन है'. अधिनियम को ऐसे समय में पेश किया जा रहा है जब राज्य विधानसभा चुनावों में लगभग एक साल बचा है, सत्तारूढ़ भाजपा की नजर आदिवासी वोटों पर होगी जो राज्य में 21.1 प्रतिशत हैं. चौहान ने कहा, "पेसा कानून किसी के खिलाफ नहीं है, हम सामाजिक समरसता को देखते हुए इसे ला रहे हैं."
यह भाजपा सरकार द्वारा आयोजित मेगा इवेंट - 'जनजाति गौरव दिवस' का दूसरा संस्करण था, पहला 2021 में आयोजित किया गया था, जिसके दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दोनों की डेढ़ दर्जन आदिवासी केंद्रित योजनाओं की घोषणा की थी. चूंकि मध्यप्रदेश की राजनीति में आदिवासी आबादी की महत्वपूर्ण भूमिका है, इसलिए कांग्रेस और भाजपा दोनों आदिवासी मुद्दों पर एक-दूसरे को निशाने पर लेती हैं. कांग्रेस ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ के गृह जिले छिंदवाड़ा में भी आदिवासी कार्यक्रम का आयोजन किया. कांग्रेस के कार्यक्रम के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री नाथ यह बताना नहीं भूले कि पेसा एक्ट राज्य में कांग्रेस के शासन के दौरान बनाया गया था. उन्होंने भाजपा से यहां तक सवाल किया कि जब यह कानून 1996 में बनाया गया था तो इसे लागू क्यों नहीं किया गया. यह भी पढ़ें : हरियाणा : कांग्रेस नेता किरण चौधरी ने परोक्ष रूप से हुड्डा खेमे पर निशाना साधा
कांग्रेस पिछले साल से शिवराज के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा लागू पेसा अधिनियम और अन्य आदिवासी केंद्रित योजनाओं के कार्यान्वयन के समय पर सवाल उठा रही है. मध्य प्रदेश में भाजपा पिछले 17 साल से सत्ता में है, लेकिन आदिवासी समुदाय के लिए कुछ नहीं किया और अब जब चुनाव आ गया है, तो वे आदिवासियों को अपने राजनीतिक लाभ के लिए उपयोग करने के बड़े-बड़े दावे कर रहे हैं. पिछले विधानसभा चुनाव में, मध्य प्रदेश के आदिवासियों और समूची जनता ने उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया है, इसलिए वे दहशत में हैं और अब झूठे वादे कर सत्ता हथियाने की कोशिश कर रहे हैं.
दिसंबर 2023 में होने वाले आगामी विधानसभा चुनाव में आदिवासी मतदाताओं को लुभाने के लिए दोनों पार्टियों ने पिछले कुछ महीनों से कमर कस ली है. दोनों राष्ट्रीय दलों द्वारा विभिन्न जिलों में बैठकों की एक श्रृंखला आयोजित की जा रही है. आदिवासी मुद्दों पर कांग्रेस द्वारा लगाए गए आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए, राज्य भाजपा अध्यक्ष और खजुराहो के सांसद वी.डी. शर्मा ने सोमवार को कहा था, "कांग्रेस को बताना चाहिए कि 1996 में बने पेसा कानून को क्यों लागू नहीं किया गया."
मुख्यमंत्री चौहान के नेतृत्व में राज्य भाजपा 2021 में 'जनजाति गौरव दिवस' आयोजित करने के लिए 'मास्टर स्ट्रोक' के साथ आई, तीन साल बाद जब वह अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित केवल 16 (47 में से) सीटों पर जीत हासिल कर सकी. राज्य में जनजातियों के लिए आरक्षित सीटों पर भाजपा की संख्या 2013 में 31 और 2008 में 29 थी. 2018 में कांग्रेस ने 24 एसटी सीटें जीती थीं, जबकि 2013 में 18 और 2008 में 10 सीटें जीती थीं.