Money Laundering Case: धन शोधन मामले में सत्येंद्र जैन और उनके दो सहयोगियों को जमानत देने से दिल्ली हाईकोर्ट का इनकार
अदालत ने 22 मार्च को उनकी जमानत याचिकाओं पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था. न्यायमूर्ति दिनेश कुमार शर्मा ने कहा कि जैन एक प्रभावशाली व्यक्ति हैं और यह नहीं कहा जा सकता कि उन्होंने धन शोधन रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) के तहत जमानत के लिए दोहरी शर्तों को पूरा किया है.
नई दिल्ली, 6 अप्रैल: दिल्ली उच्च न्यायालय ने गुरुवार को आम आदमी पार्टी (आप) के नेता सत्येंद्र जैन और उनके दो सहयोगियों की प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा जांच किए जा रहे धन शोधन मामले में जमानत याचिका खारिज कर दी. अदालत ने 22 मार्च को उनकी जमानत याचिकाओं पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था. न्यायमूर्ति दिनेश कुमार शर्मा ने कहा कि जैन एक प्रभावशाली व्यक्ति हैं और यह नहीं कहा जा सकता कि उन्होंने धन शोधन रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) के तहत जमानत के लिए दोहरी शर्तों को पूरा किया है. यह भी पढ़ें: Money Laundering Cases: ईडी गुरुवार को दाखिल कर सकता है पूरक आरोपपत्र
न्यायाधीश ने कहा, जैन को जमानत न देने का विशेष न्यायाधीश के आदेश सही व तर्कपूर्ण है. जैन पिछले साल 30 मई से हिरासत में हैं और उनके सह-आरोपी वैभव जैन और अंकुश जैन हैं. निचली अदालत ने 17 नवंबर, 2022 को सत्येंद्र जैन की जमानत अर्जी खारिज कर दी थी. ट्रायल कोर्ट के अनुसार, यह प्रथमदृष्टया रिकॉर्ड में आया है कि सत्येंद्र जैन कोलकाता स्थित एंट्री ऑपरेटरों को नकद भुगतान करके और फिर शेयरों की बिक्री के खिलाफ तीन कंपनियों में पैसा लाकर अपराध की आय को छिपाने में वास्तव में शामिल थे.
उच्च न्यायालय के समक्ष याचिका में, जैन ने तर्क दिया था कि विशेष न्यायाधीश और ईडी ने केवल आवास प्रविष्टियों के आधार पर अपराध की आय की पहचान करके धन शोधन निवारण अधिनियम को गलत तरीके से पढ़ा और गलत तरीके से लागू किया है. यह तर्क दिया गया था कि आवास प्रविष्टियां पीएमएलए के तहत दंडनीय अपराध का कारण नहीं बन सकती हैं. क्योंकि मामले में चार्जशीट पहले ही दायर की जा चुकी है, ऐसे में उन्हें जेल में रखने की आवश्यकता नहीं है.