अटल बिहारी वाजपेयी का पुत्र बनने के लिए SC में दायर की याचिका, देखरेख की मांगी अनुमति
उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले में एक युवक ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. लखनऊ में वकालत करने वाले संजीव द्विवेदी नामक इस शख्स ने याचिका में खुद को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का मानस पुत्र घोषित करने की मांग की है.
लखनऊ: उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले में एक युवक ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. लखनऊ में वकालत करने वाले संजीव द्विवेदी नामक इस शख्स ने याचिका में खुद को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का मानस पुत्र घोषित करने की मांग की है. अटल बिहारी वाजपेयी 11 जून से मूत्र मार्ग में संक्रमण व सीने में जकड़न की वजह से अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में भर्ती है. बता दें कि मानस पुत्र का मतलब वह संतान जिसकी उत्पत्ति मात्र इच्छा से हुई हो ना कि दों शरीरों के मिलन से.
संजीव द्विवेदी नामक इस शख्स ने बताया कि वह अटलजी को अपना पिता मानता है. उसने बताया कि वह 1996 में अटलजी द्वारा संसद में दिए गए भाषण से इतना प्रभावित हुआ कि वह उन्हें भगवान की तरह पूजने लगा. उसने कहा कि वह जब पहली बार अटलजी से मिला तो आंखों में आंसू आ गए थे. उसका अटल बिहारी बाजपेयी के साथ एक भावनात्मक रिश्ता बन चुका है.
संजीव ने बताया कि वह अटलजी के स्वास्थ्य को लेकर बहुत चिंतित रहता हैं. इसलिए वह देश के पूर्व प्रधानमंत्री बाजपेयी की सेवा करना चाहता है. पेशे से वकील संजीव ने कहा कि मुझे अटलजी का मानस पुत्र घोषित कर उनकी सेवा करने व देखरेख की अनुमति प्रदान की जाए. मुझे उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट मुझे निराश नहीं करेगा. वहीं शीर्ष न्यायालय संजीव की याचिका पर इसी महीने सुनवाई करनेवाला है.
वाजपेयी कार्डियोथोरेसिक एंड वास्कुलर सर्जरी इंटेंसिव केयर यूनिट (आईसीयू) में भर्ती हैं. एम्स के मीडिया व प्रोटोकॉल डिवीजन की चेयरपर्सन आरती विज ने एक बयान में कहा था कि, "वाजपेयी की हालत स्थिर है. उनके स्वास्थ्य में लगातार सुधार देखा जा रहा है. चिकित्सकों का एक दल उनके स्वास्थ्य की निगरानी कर रहा है."
वाजपेयी (93) को पेशाब मार्ग में संक्रमण और छाती में तकलीफ की शिकायत के बाद एम्स में भर्ती किया गया था. उन्हें पेशाब कम हो रहा है. उनके गुर्दे को सपोर्ट देने के लिए उन्हें इंजेक्शन के जरिए एंटीबायोटिक्स और स्लो डायलिसिस पर रखा गया है.
वाजपेयी 1996 में थोड़े दिनों के लिए और फिर 1998 से 2004 तक प्रधानमंत्री रहे थे. लेकिन वह बीते एक दशक से अपने खराब स्वास्थ्य की वजह से सक्रिय राजनीति से दूर हैं.