MP: शिवराज सरकार ने बनाया महाकाल की नगरी उज्जैन को पर्यटन के साथ बिजनेस हब बनाने का प्लान, 5722 करोड़ की परियोजना हुई शुरू
मध्य प्रदेश के विकास को नई गति प्रदान कर आम जनता को सुखी एवं समृद्ध बनाने के लक्ष्य की ओर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान गतिशील है. इसी कड़ी में राज्य सरकार ने महाकाल की नगरी उज्जैन को पर्यटन के साथ ही बिजनेस हब बनाने का काम शुरू कर दिया है.
भोपाल: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के विकास को नई गति प्रदान कर आम जनता को सुखी एवं समृद्ध बनाने के लक्ष्य की ओर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) गतिशील है. इसी कड़ी में राज्य सरकार ने महाकाल की नगरी उज्जैन (Ujjain) को पर्यटन के साथ ही बिजनेस हब बनाने का काम शुरू कर दिया है. शिवराज सिंह चौहान से मध्य प्रदेश में आया ‘जन’ राज, ऐसे लिखी जा रही सुशासन और विकास की नई गाथा
केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने आज (24 फरवरी) मालवा क्षेत्र के चहुँमुखी विकास के लिये उज्जैन में 5722 करोड़ रूपये की लागत वाली 534 किलोमीटर लंबी 11 सड़क परियोजनाओं का शिलान्यास किया. मालवा क्षेत्र को मिली इन सौगातों का कार्यान्वयन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में पूरा किया गया है.
11 सड़क परियोजनाओं में 842 करोड़ लागत के उज्जैन-देवास चार-लेन का चौड़ीकरण, 498 करोड़ लागत के उज्जैन-झालावाड़ दो-लेन पेव्ड शोल्डर के साथ सड़क निर्माण, 1352 करोड़ लागत के उज्जैन-बदनावर चार-लेन चौड़ीकरण, 240 करोड़ लागत के जीरापुर-सुसनेर (मप्र राज्य सीमा तक) दो-लेन पेव्ड शोल्डर के साथ सड़क निर्माण, 910 करोड़ की लागत के चन्देसरी से खेड़ाखजुरिया (उज्जैन-गरोठ-l) का चार-लेन निर्माण, 876 करोड़ की लागत से खेड़ाखजुरिया से सुहागडी (उज्जैन-गरोठ-ll) का चार-लेन निर्माण, 823 करोड़ लागत के सुहागडी से बरदिया अमरा (उज्जैन-गरोठ-lll) का चार-लेन निर्माण, 42 करोड़ लागत के जवसियापंथ से फतेहाबाद चंद्रावतीगंज मार्ग, 26 करोड़ लागत के बही-बालागुड़ा-अम्बाव-कनघट्टी-उगरान मार्ग, 36 करोड़ की लागत से बनने वाले बरोठा-सेमल्या चाउ मार्ग और 77 करोड़ लागत के भादवामाता सरवानिया महाराज-जावद-अठाना-ढाणी-सरोदा-चढ़ौल मार्ग शामिल हैं.
इस परियोजना का लाभ
इन परियोजनाओं से सम्पूर्ण मालवा-निमाड़ क्षेत्र का विकास होगा. तीर्थ-यात्रियों और पर्यटकों के लिये सुगम यातायात की सुविधा मिलेगी. उज्जैन-देवास औद्योगिक कॉरीडोर विकास के साथ रोजगार के अवसर बढ़ेंगे. सीमावर्ती क्षेत्रों का भंडारण केन्द्रों के रूप में विकास होगा. यातायात सुगम हो जाने से नागरिकों के समय, ईंधन की बचत के साथ सफर भी सुरक्षित होगा. क्षेत्र में नए उद्योग-धंधे शुरू होंगे.