राजस्थान के सीकर में लॉकडाउन के चलते फंसे प्रवासी मजदूरों की अनोखी पहल, जिस स्कूल में रुके हैं उसी की कर रहे रंगाई, देखें Video
दरअसल सीकर के जिस स्कूल में ये सभी मजदूर ठहरे हैं. इन लोगों में कोई हरियाणा, राजस्थान, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, एमपी, यूपीके के ये रहने वाले सभी मजदूर हैं. जो स्कूल में करीब 14 दिन रहने के बाद बोर होने लगे थे. ऐसे में सभी लोगों ने गांव के सरपंच से कुछ काम मांगा ताकि उनका दिन बीतता रहे. ऐसे में सरपंच ने मजदूरों का समूह जिस स्कूल में ठहरा हुआ है. उसी की रंगाई और पुताई के लिए उन्हें रंग लाकर दे दिया और सभी मजदूर स्कूल के ररंगाई पोताई में लग गए.
जयपुर: कोरोना वायरस के चले देश में लॉकडाउन पहले 24 मार्च से 14 अप्रैल इसके बाद सरकार की तरफ से लॉकडाउन को 3 मई तक के लिए बढ़ा दिया गया. इस बीच शहरों में रहने वाले मजदूर अपने घर जाने के लिए निकले. लेकिन पुलिस ने उन्हें रास्ते में रोक जहां से वे आ रहे थे. उन्हें वहा वापस भेज दिया या फिर उन्हें किसी स्कूल कॉलेज में आइसोलेट कर 14 दिन तक लिए रख दिया. राजस्थान के सीकर जिले के पलसाना से ऐसा ही कुछ मामला सामने आया है. जहां करीब 54 जो लॉकडाउन के चलते अपने गांव जाने के लिए निकले थे. लेकिन उन्हें रास्ते में रोके जाने के बाद प्रशासन द्वारा सभी मजदूरों को एक स्कूल में रख दिया गया. इस बीच उन्हें गांव के सरपंच दूसरे अन्य लोगों की तरफ से खाना भी मिलता रहा है. लेकिन स्कूल में रखने वाले सभी मजदूरों ने एक ऐसी अनोखी मिसाल पेश की है.
दरअसल सीकर के जिस स्कूल में ये सभी मजदूर ठहरे हैं. इन लोगों में कोई हरियाणा, राजस्थान, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, एमपी, यूपीके के ये रहने वाले सभी मजदूर हैं. जो स्कूल में करीब 14 दिन रहने के बाद बोर होने लगे थे. ऐसे में सभी लोगों ने गांव के सरपंच से कुछ काम मांगा ताकि उनका दिन बीतता रहे. ऐसे में सरपंच ने मजदूरों का समूह जिस स्कूल में ठहरा हुआ है. उसी की रंगाई और पुताई के लिए उन्हें रंग लाकर दे दिया और सभी मजदूर स्कूल के ररंगाई पोताई में लग गए. यह भी पढ़े: लॉकडाउन: मुंबई, ठाणे के मुंब्रा में प्रवासी मजदूर सड़क पर उतरे, कहा- घर वापस जाना चाहते हैं
सरपंच रूपसिंह शेखावत के अनुसार वे जब से इस स्कूल में रुके हुए हैं. तब से ही सभी को गांव की तरफ से सुबह शाम स्कूल में खाना बनता है. ये सभी सुबह उठने के बाद काम करते हैं और फि रात को खाना खाने के बाद सो जाते हैं. सुबह उठने के बाद इन्हें नास्ता दिया जाता हैं और दोपहर में खाना. वहीं प्रधानाचार्य राजेंद्र कुमार मीणा ने कहा कि ये सभी मजदूर पिछले 27 दिन से यहां पर रुके हुए हैं. जिनके खाने पीने की सुबह शाम बराबर ध्यान दिया जाता है.