Law Commission On Uniform Civil Code: भारत के 22वें विधि आयोग ने समान नागरिक संहिता (यूनिफॉर्म सिविल कोड) के बारे में बड़े पैमाने पर और मान्यता प्राप्त धार्मिक संगठनों से और आम लोगों से राय मांगी है. जो लोग अपनी राय देना चाहते हैं, वें 30 दिनों के भीतर अपनी सलाह दे सकते हैं. इसके लिए आपको भारत के विधि आयोग पर Membersecretary-lci@gov.in पर ईमेल करना होगा.
समान नागरिक संहिता यानी यूनिफॉर्म सिविल कोड का अर्थ होता है भारत में रहने वाले हर नागरिक के लिए एक समान कानून होना, चाहे वह किसी भी धर्म या जाति का क्यों न हो. समान नागरिक संहिता में शादी, तलाक और जमीन-जायदाद के बंटवारे में सभी धर्मों के लिए एक ही कानून लागू होगा.
The 22nd Law Commission of India decided again to solicit views and ideas of the public at large and recognized religious organizations about the Uniform Civil Code. Those who are interested and willing may present their views within a period of 30 days from the date of Notice… pic.twitter.com/s9ZV9WqKU4
— ANI (@ANI) June 14, 2023
भारत के संविधान के अनुच्छेद 44 में कहा गया है कि राज्य भारत के पूरे क्षेत्र में नागरिकों के लिए एक समान नागरिक संहिता सुरक्षित करने का प्रयास करेगा. हालांकि, यह एक निर्देशक सिद्धांत है, जिसका अर्थ है कि यह अदालतों द्वारा लागू करने योग्य नहीं है.
समर्थकों का तर्क
यूसीसी के समर्थकों का तर्क है कि यह लैंगिक समानता, धर्मनिरपेक्षता और राष्ट्रीय एकीकरण को बढ़ावा देगा. वे बताते हैं कि पर्सनल लॉ की मौजूदा व्यवस्था महिलाओं और अल्पसंख्यकों के खिलाफ भेदभाव करती है.
विरोधियों का तर्क
UCC के विरोधियों का तर्क है कि यह धार्मिक स्वतंत्रता और सांस्कृतिक विविधता का उल्लंघन करेगा. उनका तर्क है कि व्यक्तिगत कानूनों की वर्तमान प्रणाली अधिक लचीलेपन की अनुमति देती है और विभिन्न समुदायों की आवश्यकताओं को समायोजित करती है. उनका यह भी तर्क है कि यूसीसी को लागू करना मुश्किल होगा.