Joshimath Sinking: खतरा अभी टला नहीं! 3 फीट से अधिक तक भूधंसाव, जोशीमठ में अब नो-न्यू कंस्ट्रक्शन
चमोली जिले के जोशीमठ में हो रहे भूधंसाव पर NDMA ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि जोशीमठ पर नए भारी निर्माण ना किए जाएं. रिपोर्ट में कहा गया है कि जोशीमठ पहले ही अपनी क्षमता से अधिक भार उठा रहा है. ऐसे में यहां नए भारी निर्माण न किए जाएं.
जोशीमठ: चमोली जिले के जोशीमठ में हो रहे भूधंसाव पर NDMA ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि जोशीमठ पर नए भारी निर्माण ना किए जाएं. रिपोर्ट में कहा गया है कि जोशीमठ पहले ही अपनी क्षमता से अधिक भार उठा रहा है. ऐसे में यहां नए भारी निर्माण न किए जाएं. रिपोर्ट में कहा गया है कि आगामी मानसून समाप्ति तक सम्पूर्ण जोशीमठ क्षेत्र में नये निर्माण पर पूर्ण प्रतिबन्ध लगाया जाए. एनडीएमए (राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण) ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि अवैध रूप से अतिक्रमण की गई इमारतों और/या जिनके पास पास वैध भूमि-स्वामित्व दस्तावेज़ नहीं है, उन्हें कोई वित्तीय सहायता प्रदान नहीं की जाएगी. जोशीमठ भूधंसाव के लिए ढीली मिटटी वाले ढलान, बहुमंजिला इमारतों का निर्माण, जनसंख्या जिम्मेदार.
एनडीएमए ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि जोशीमठ क्षेत्र को नो-न्यू कंस्ट्रक्शन जोन घोषित किया जाना चाहिए. पोस्ट डिजास्टर नीड असेसमेंट (पीडीएनए) ने भी अपनी रिपोर्ट में इस बात का जिक्र किया है.
नए निर्माण पर लगे बैन:
एनडीएमए के नेतृत्व वाली टीम की ओर से तैयार की गई रिपोर्ट में जोशीमठ में बड़े पैमाने पर भविष्य की पुनर्निर्माण गतिविधियों से पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव की ओर इशारा किया गया है. रिपोर्ट में कहा गया है यह महत्वपूर्ण है कि भविष्य में किए जाने वाले पुनर्निर्माण ग्रीन बिल्डिंग आधारित, उपयुक्त प्रौद्योगिकी और सीमित कंक्रीट वाले हों.
3 फीट से अधिक तक भूधंसाव
हैदराबाद स्थित राष्ट्रीय भूभौतिकीय अनुसंधान संस्थान (एनजीआरआई) ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि जोशीमठ शहर के कुछ क्षेत्र तीन से अधिक फीट में धंस गये हैं और 1.4 फीट तक खिसक गये हैं. एनजीआरआई ने जोशीमठ धंसाव पर अपनी 43 पेज की रिपोर्ट में दावा किया है कि शहर के कुछ क्षेत्र 3 फीट से अधिक तक लंबवत में धंस गए हैं और 1.4 फीट तक खिसक गए हैं.
रिपोर्ट में दावा किया गया है बंजर और कृषि भूमि पर पड़ी दरारें 115 फीट तक गहरी हो गयी थी और भूस्खलन प्रभावित शहर में जमीन के नीचे 60-65 फीट की गहराई पर उथली और स्पर्शरेखा बन गईं है.