दुनिया में मशहूर भारत का हीरा कोहिनूर एक बार फिर चर्चा में है. इस बेशकीमती हीरे के बारे में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआई) ने नया खुलासा किया है. एक आरटीआई के जवाब में एएसआई ने बताया कि दुनियाभर में मशहूर कोहिनूर हीरा न तो ईस्ट इंडिया कंपनी को तोहफे में दिया गया था और न ही चोरी हुआ था. बल्कि लाहौर के महाराजा दलीप सिंह को हीरा दबाव में इंग्लैंड की महारानी विक्टोरिया के सामने सरेंडर करना पड़ना था.भारत के पुरातात्विक सर्वेक्षण (एएसआई) का कहना है कि इसे ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा पंजाब के महाराजा से जबरन लिया गया था. वह भी तब जब महाराजा दलीप सिंह मात्र 9 साल के थे.
बता दें कि एएसआई का यह दावा सरकार के उस बयान के विपरीत है जिसमें उसने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि ऐतिहासिक बेशकीमती हीरा कोहिनूर न तो अंग्रेजों ने चुराया था न ही लूटा गया था. बल्कि इसे महाराजा रंजीत सिंह के उत्तराधिकारी ने ईस्ट इंडिया कंपनी को भेंट के रूप में दिया था, उस समय पंजाब में शासन कर रहे थे.
आरटीआई के जवाब में पुरातत्व विभाग ने बताया कि भारत के गौरव कोहिनूर को लाहौर के महाराजा ने इंग्लैंड की क्वीन विक्टोरिया के सामने सरेंडर (समर्पित) किया था. जबकि पीआईएल के जवाब में सरकार ने अप्रैल 2016 को सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि महाराजा रंजीत सिंह के बेटे ने एंग्लो-सिख युद्ध के खर्चे के कवर के रूप में 'स्वैच्छिक मुआवजे' के रूप में अंग्रेजों को कोहिनूर भेंट किया था.
कोहिनूर पर जानकारी के लिए कार्यकर्ता रोहित सभरवाल ने आरटीआई डाली थी. उन्होंने इसका जवाब प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) से मांगा था. आरटीआई में पूछा था कि आखिर किस आधार पर कोहिनूर ब्रिटेन को दिया गया पीएमओ ने उनकी अपील भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआई) को भेज दी.
क्यों है खास कोहिनूर
कोहिनूर दुनिया का सबसे मशहूर हीरा है. कोहिनूर मूल रूप से आंध्र प्रदेश के गोलकोंडा खनन क्षेत्र में निकला था. मूल रूप में ये 793 कैरेट का था, अब यह 105.6 कैरेट का रह गया है जिसका वजन 21.6 ग्राम है. एक समय इसे दुनिया का सबसे बड़ा हीरा माना जाता था. कोहिनूर के बारे में पहली जानकारी 1304 के आसपास की मिलती है.