किसान क्रांति यात्रा: केंद्र सरकार से नहीं मानें किसान, जारी रहेगा आंदोलन
किसान आंदोलन को रोकने की केंद्र सरकार की कोशिशों को झटका लगा है. केंद्र सरकार और किसान नेताओं के बीच हुई बातचीत बेनतीजा होने की खबर है. किसानों की तरफ से गए प्रतिनिधियों ने सरकार का आश्वासन नामंजूर करते हुए आंदोलन जारी रखने का ऐलान किया है.
नई दिल्ली: किसान आंदोलन को रोकने की केंद्र सरकार की कोशिशों को झटका लगा है. केंद्र सरकार और किसान नेताओं के बीच हुई बातचीत बेनतीजा होने की खबर है. किसानों की तरफ से गए प्रतिनिधियों ने सरकार का आश्वासन नामंजूर करते हुए आंदोलन जारी रखने का ऐलान किया है. इसलिए अपनी मांगों को लेकर राष्ट्रीय राजधानी में प्रवेश की कोशिश कर रहे हजारों किसान आज रात गाजीपुर में ही रुकेंगे.
भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के अध्यक्ष नरेश टिकैत ने कहा कि किसान सरकार के आश्वासन से संतुष्ट नहीं हैं. बीकेयू के प्रवक्ता युद्धवीर सिंह ने बताया कि 11 में से 7 बातों पर सरकार सहमत हो गई है र चार मांगों पर बाद में विचार करने की बात कही है. किसान नेता का कहना है कि सरकार और किसानों के बीच मुख्य मुद्दों पर सहमति नहीं बनी है. इसमें कर्ज माफी भी शामिल है.
दरअसल केंद्र सरकार ने आश्वासन देते हुए कहा कि मुख्यमंत्रियों की एक समिति किसानों की मांगों पर विचार करेगी. हालांकि प्रदर्शनकारी किसानों ने दिल्ली-उत्तर प्रदेश की सीमा पर डेरा डाल लिया. पुलिस ने उन्हें वहीं रोक लिया है और राष्ट्रीय राजधानी में घुसने नहीं दिया है.
वहीं पूर्वी दिल्ली में पुलिस ने धारा 144 लगा दी है. जो आठ अक्टूबर तक प्रभावी रहेगा. किसानों का यह आंदोलन 23 सितंबर को शुरू हुआ था. एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि प्रदर्शन कर रहे किसानों ने प्रोटेस्ट के लिये दिल्ली पुलिस से पहले कोई इजाजत नहीं ली थी.
प्रदर्शनकारी किसानों से मिलने के बाद केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि सरकार किसानों की बात को आगे बढ़ाने का भरोसा दिला रही है. उन्होंने कहा कि हम एनजीटी के इस आदेश को लेकर अदालत में जाएंगे कि 10 साल से पुराने ट्रैक्टरों और वाहनों पर पाबंदी लगनी चाहिए.
खेतिहर मजदूरी के संबंध में किसानों की समस्या पर मंत्री ने कहा कि सरकार इस समस्या के समाधान के लिए ग्रामीण क्षेत्रों के लिहाज से न्यूनतम वेतन के नियमों में कुछ बदलाव लाने पर विचार करेगी.
शेखावत ने कहा, ‘‘सरकार ने खेतिहर मजदूरी के मुद्दे पर विचार के लिए छह मुख्यमंत्रियों की समिति बनाई है। समिति मनरेगा को खेती से जोड़ने पर बातचीत कर रही है.’’
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उन्होंने किसानों से कहा, ‘‘केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह की तरफ से मैं आपको भरोसा दिलाता हूं कि मैं इस समिति में किसानों के हितों की बात रखूंगा और मनरेगा को खेती से जोड़ने के लिए जो भी बदलाव जरूरी होंगे, किये जाएंगे.’’
क्या हैं किसानों की मांगे?
किसान सरकार से कर्जमाफी, फसल का सही दाम और सस्ती दरों पर बिजली चाहते हैं. किसान लगातार सरकार पर उनके प्रति लापरवाही का आरोप लगाते आ रहें हैं कि सरकार द्वारा उन्हें फसल की वाजिब कीमत नहीं मिल पा रही है. साथ ही आंदोलनकारी किसान मृतक किसानों के परिवार के लिए पुर्नवास की भी मांग कर रहे हैं.