Karnataka Election: भाजपा को बगावत व अमूल-नंदिनी विवाद की चुकानी पड़ेगी भारी कीमत
Karnataka Election (Photo Credit: IANS)

बेंगलुरू, 15 अप्रैल: कर्नाटक भाजपा इकाई 10 मई को होने वाले विधानसभा चुनाव में अपनी संभावनाओं को लेकर उत्साहित है. भगवा पार्टी पहली सूची में नए उम्मीदवारों को 52 टिकट आवंटित करके और दूसरी सूची में सात मौजूदा विधायकों को टिकट से वंचित करके राज्य में गुजरात मॉडल की नकल करने की दिशा में एक कदम आगे बढ़ गई है. यह भी पढ़ें: Karnataka Election 2023: पार्टी में जारी कलह के बीच सीएम बोम्मई बोले- इससे कांग्रेस को कोई फायदा नहीं होगा

मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने कहा है कि उम्मीदवारों की सूची देखकर विरोधी अभी से कांप रहे हैं. हालांकि, यह कदम भाजपा के लिए एक गंभीर चुनौती भी पेश कर रहा है. क्योंकि टिकट से वंचित विधायक बगावत कर रहे हैं, विशेष रूप से वरिष्ठ नेता जिन्होंने भाजपा के राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों के साथ हाथ मिलाकर खुद को साबित करने का संकल्प लिया है.

पार्टी के सूत्रों ने कहा कि आलाकमान ने नेताओं से कहा है कि वे बागी उम्मीदवारों की चिंता न करें, वे स्थिति को संभाल लेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रचार अभियान की योजना इस तरह से बनाई गई है कि राज्य भगवा लहर में बह जाए.

हालांकि, अमूल और नंदिनी ब्रांड को लेकर हुए विवाद ने चुनाव से पहले पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचाया है. पहले दही के पैकेट पर हिंदी थोपने का आरोप भी लगा। हालांकि विरोध के बाद इसे वापस ले लिया गया. जब चीजें सुलझती दिख रही थीं, तब भाजपा ने कर्नाटक में अमूल दूध और दही के पैकेट बेचने की शुरुआत करके विपक्ष को एक और मुद्दा दिया.

सरकार के इस कदम का विरोध करने के लिए विपक्ष और कन्नड़ कार्यकर्ता सड़कों पर उतर आए। जल्द ही, यह मुद्दा उन किसानों के अस्तित्व से जुड़ गया, जो कर्नाटक मिल्क फेडरेशन (केएमएफ) को दूध बेचने पर निर्भर हैं. अमूल के खिलाफ आंदोलन को शुरू में नजरअंदाज करने वाली भाजपा ने बाद में यह बताकर नुकसान को नियंत्रित करने की कोशिश की कि केएमएफ और नंदिनी ब्रांड को मजबूत करने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं.

विपक्षी कांग्रेस और जद (एस) ने राज्य के लोगों तक पहुंचने के लिए विवाद का इस्तेमाल किया और भाजपा द्वारा नंदिनी ब्रांड को अमूल के साथ विलय करने के बारे में सफलतापूर्वक संदेह पैदा किया. उम्मीदवारों की पहली और दूसरी सूची जारी होने के बाद से पार्टी अपने नेताओं की बगावत से भी निपट रही है. विवादास्पद नेता के.एस. ईश्वरप्पा को चुनावी राजनीति से संन्यास लेने के लिए कहा गया. पार्टी ने पूर्व डिप्टी सीएम लक्ष्मण सावदी को टिकट देने से इंकार कर दिया, जबकि पूर्व सीएम जगदीश शेट्टार के टिकट की घोषणा अभी बाकी है. सूत्रों के मुताबिक हाईकमान की इसमें कोई दिलचस्पी नहीं है.

बीजेपी के वरिष्ठ नेता पूर्व डिप्टी सीएम आर. अशोक और मंत्री वी. सोमन्ना को चुनौतीपूर्ण टास्क दिए गए हैं. वे क्रमश: कर्नाटक कांग्रेस अध्यक्ष डी.के. शिवकुमार और विपक्ष के नेता सिद्धारमैया का मुकाबला करेंगे. पार्टी ईश्वरप्पा पर लगाम लगाने में कामयाब रही है. लक्ष्मण सावदी ने भाजपा के खिलाफ विद्रोह की घोषणा कर दी है और कांग्रेस में शामिल होने की संभावना है. जगदीश शेट्टार तीसरी लिस्ट में अपने टिकट का इंतजार कर रहे हैं. आलाकमान ने उन्हें दिल्ली बुलाकर समझा रहा है.

पार्टी ने तटीय कर्नाटक जिलों में सत्ता विरोधी लहर को रोकने के लिए एक बड़ा फैसला लिया है. वह मौजूदा विधायकों के स्थान पर छह नए चेहरों को मैदान में उतार रही है. छह बार के विधायक और मंत्री एस. अंगारा ने घटनाक्रम के बाद भाजपा की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है. दिग्गज भाजपा नेता हालादी श्रीनिवास शेट्टी ने भी संन्यास की घोषणा की है.

भाजपा इस समय 20 से अधिक निर्वाचन क्षेत्रों में बगावत का सामना कर रही है. उडुपी निर्वाचन क्षेत्र से भाजपा के मौजूदा विधायक रघुपति भट, जो टिकट से वंचित हो गए हैं, ने कहा कि उन्हें मीडिया से टिकट के कटने के बारे में पता चला। उन्होंने कहा कि यह उनके जैसे वरिष्ठ नेता के साथ व्यवहार करने का तरीका नहीं है.

पूर्व मंत्री गूलीहट्टी शेखर, बेलगावी उत्तर से मौजूदा विधायक अनिल बेनाके, पूर्व मंत्री सोगडू शिवन्ना, एमएलसी आर. शंकर, जिन्हें टिकट नहीं दिया गया है, ने विपक्षी दलों के साथ हाथ मिलाने के स्पष्ट संकेत दिए हैं. पार्टी ने मैसूर जिले से पूर्व मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता एस. रामदास के टिकट की भी घोषणा नहीं की है.

तमिलनाडु भाजपा अध्यक्ष अन्नामलाई ने कहा है कि उनके अनुसार भाजपा कर्नाटक में 150 सीटें जीतेगी। बेंगलुरु दक्षिण से सांसद और भाजपा युवा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष तेजस्वी सूर्या ने कहा है कि भाजपा कार्यकर्ताओं को नेताओं में तैयार करने वाली एकमात्र पार्टी है. येदियुरप्पा और हालादी श्रीनिवास शेट्टी जैसे दिग्गजों ने भविष्य के उम्मीदवारों को समायोजित करने के लिए मानक निर्धारित किए हैं और यह दर्शाता है कि भाजपा अन्य पार्टियों की तुलना में कितनी अलग है. तेजस्वी सूर्या ने यह भी कहा है कि बीजेपी ने नए चेहरों को प्रमुखता दी है. देखना होगा कि बीजेपी का यह प्रयोग विधानसभा चुनाव में पार्टी के लिए कितना कारगर साबित होता है.