UP Assembly Elections 2022: नीतीश कुमार की JDU बढ़ा सकती है बीजेपी की टेंशन, चुनावी दंगल में उतरने की है तैयारी

बिहार में सरकार बनाने के बाद नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) अब अपना विस्तार उत्तर प्रदेश में भी करने जा रही है.

प्रतिकात्मक तस्वीर (Photo Credits ANI)

लखनऊ, 7 जनवरी : बिहार (Bihar) में सरकार बनाने के बाद नीतीश कुमार (Nitish Kumar) की पार्टी जनता दल यूनाइटेड (JDU) अब अपना विस्तार उत्तर प्रदेश में भी करने जा रही है. यूपी में अगले साल होने जा रहे विधानसभा चुनाव 2022 में जदयू भी ताल ठोकने की तैयारी में है. जनवरी माह की 23-24 तारीख को जननायक कर्पूरी ठाकुर की जयंती पर लखनऊ में एक समारोह में इसका आगाज होगा.

इसका पूरा जिम्मा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव केसी त्यागी को दिया है. त्यागी यूपी एवं बिहार से चार बार सांसद रह चुके हैं. उनके पास पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह, वी.पी. सिंह, मुलायम सिंह यादव समेत कई वरिष्ठ नेताओं के साथ यूपी में काम करने का अनुभव रहा है. संगठन की क्षमता भी है. दरअसल, यूपी में पार्टी अपने हर तरह के समीकरण का आकलन कर रही है. त्यागी ने आईएएनएस से बातचीत में बताया कि जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) 2022 में यूपी का विधानसभा चुनाव लड़ेगी. अगर भाजपा गठबंधन करेगी तो ठीक है. वरना हम अकेले ही मैदान में उतरेंगे. इसके अलावा अन्य किसी भी दल से अभी ताल-मेल करने की नहीं सोच रहे हैं. यह भी पढ़ें : Uttar Pradesh: समाजवादी पार्टी UP विधानसभा में ‘लव जिहाद’ कानून का करेगी विरोध

उन्होंने बताया कि यूपी में पहले भी हमारे एमपी एमएलए रह चुके हैं. 2004 में मैं खुद भी चुनाव लड़ चुका हूं. जॉर्ज फर्नान्डिस जब एनडीए के कन्वीनर थे, तब हमारे कई मंत्री भी थे. बाद मे राजग से हमारा गठबंधन टूट गया. टूट फूट में हमारी पार्टी कमजोर हो गयी. गठबंधन नहीं हो पाया. हलांकि 2017 में पार्टी ने माहौल गर्म किया था. नीतीश कुमार दर्जनों सभाएं भी की थी. लेकिन बाद में पार्टी ने चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया है.

उन्होंने कहा कि यूपी का बड़ा हिस्सा जो बिहार से सटा है. वहां पर हमारी पार्टी के विस्तार की बड़ी संभावना है. 23 और 24 को राज्य कार्यकारिणी की बैठक है. इसमें जिलाध्यक्ष भी भाग लेंगे. इस दिन कपर्ूी ठाकुर का जन्मदिन है. वह समाजिक न्याय आन्दोलन के बड़े नेता रहे हैं. बिहार में एक प्रयोग किया गया था 'कोटा विदिन कोटा' जो पिछड़ी जातियों में जो अति पिछड़ी जातियां हैं उनको आरक्षण का लाभ नहीं मिलता है. लिहाजा उनको कोटे के अंदर कोटा दिया जाए. इसके लिए मांग की है. बिहार में नीतीश कुमार ने इसे लागू भी किया है. इसके अलावा किसानों के सवाल हैं. पुराने समाजवादी आंदोलन की हेरीटेज भी यूपी में है. इन्हीं सब बातों का ध्यान में रखते हुए पार्टी अपनी रणनीति बना रही है. यह भी पढ़ें : Up Assembly Elections 2022: छोटे दलों को केंद्र में रखकर 2022 के विधानसभा चुनाव की तैयारी में उत्‍तर प्रदेश के बड़े राजनीतिक दल

वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक राजीव श्रीवास्तव का कहना है कि जदयू चाहती है कि बिहार से सटे यूपी के जिले में अपनी पैठ बनी रहे. भोजपुरी भाषी लोगों के बीच पार्टी अपना संपर्क का दायरा बढ़ाकर अपनी पहुंच बनाना चाहती है. पिछले एक दशक से पार्टी यह प्रयास कर रही है. लेकिन अभी इसमें ज्यादा सफलता नहीं मिली है. हलांकि यहां पर जेडीयू का कोई संगठन नहीं है. इसीलिए अभी इसके कोई राजनीतिक निहितार्थ निकालने के कोई मायने नहीं है.

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