पत्नी की मानसिक स्थिति के आधार पर स्थानांतरण रोकने की आईटीबीपी कर्मी की याचिका खारिज

दिल्ली उच्च न्यायालय ने आईटीबीपी के कांस्टेबल की उस याचिका खारिज को खारिज कर दिया है जिसमें पत्नी के अवसाद से पीड़ित होने एवं नवजात बच्चे को खतरा होने का हवाला देते हुए लद्दाख स्थानांतरण करने के बल के फैसले पर रोक लगाने की गुहार लगाई गई थी।

सांकेतिक तस्वीर (Photo Credits: PTI)

नयी दिल्ली, 30 मार्च : दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court) ने आईटीबीपी के कांस्टेबल की उस याचिका खारिज को खारिज कर दिया है जिसमें पत्नी के अवसाद से पीड़ित होने एवं नवजात बच्चे को खतरा होने का हवाला देते हुए लद्दाख स्थानांतरण (Transfer) करने के बल के फैसले पर रोक लगाने की गुहार लगाई गई थी. अदालत ने याचिका खारिज करते हुए कर्मी की पत्नी की चिकित्सा जांच करने वाले बोर्ड की राय और महिला का बयान रेखांकित किया जिसमें उन्होंने कहा कि छोटा बच्चा होने वजह से वे लद्दाख नहीं जाना चाहते.

अदालत ने कहा कि इसमें कोई शक नहीं है कि यह याचिका केवल स्थानांतरण रोकने के लिए दायर की गई और याचिकाकर्ता इस हद तक गया कि उसने पत्नी के प्रसव बाद अवसादग्रस्त होने एवं ‘नवजात बेटे को उससे खतरा’ होने तक का दावा किया. यह भी पढ़ें : Uttar Pradesh की प्राइमरी स्कूलों में 4000 शिक्षकों की होगी भर्ती

न्यायमूर्ति मनमोहन सिंह और न्यायमूर्ति आशा मेनन की पीठ ने गुण दोष के आधार पर याचिका खारिज करते हुए उस अंतरिम आदेश को भी रद्द कर दिया जिसमें याचिकाकर्ता के स्थानांतरण पर रोक लगाई गई थी. इससे पहले प्राधिकार ने भारत-तिब्बत पुलिस बल (आईटीबीपी) में कांस्टेबल को 17 मार्च से लद्दाख में तैनात बल की 37वीं बटालियन में अपनी सेवा देने का आदेश दिया था.

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