HC on Wife Demand to live Separately: पत्नी की पति से अलग रहने की मांग सही या गलत? कलकत्ता हाई कोर्ट ने सुनाया ये फैसला
कलकत्ता हाई कोर्ट ने हाल ही में कहा कि पत्नी द्वारा अपने पति से अलग रहने की मांग हमेशा वैवाहिक संबंधों को तोड़ने वाली क्रूरता नहीं होती है.
कलकत्ता हाई कोर्ट ने हाल ही में कहा कि पत्नी द्वारा अपने पति से अलग रहने की मांग हमेशा वैवाहिक संबंधों को तोड़ने वाली क्रूरता नहीं होती है. हस्तिस हरीश टंडन और जस्टिस प्रसेनजीत विश्वास की डिविजन बेंच ने बताया कि ऐसी परिस्थितियां हो सकती हैं जिनमें ऐसी मांग उचित हो सकती है. न्यायाधीशों ने कहा कि ऐसी स्थिति में, पति और पत्नी दोनों का उन भावनाओं और परिस्थितियों को समझने का पारस्परिक दायित्व है, जिन्होंने ऐसी मांग को जन्म दिया. HC on Husband Duties: पत्नी और बच्चों की देखभाल करना पति का धर्म और कानूनी कर्तव्य, कोर्ट ने कहा- देना ही होगा गुजरा भत्ता.
"केवल अलग रहने की मांग को इतनी हद तक क्रूरता नहीं कहा जा सकता है कि यह वैवाहिक बंधन को तोड़ने के लिए कारन बनेगी. कोर्ट ने फैसले में कहा है, "ऐसी मांग के लिए परिस्थितियां हो सकती हैं जिन्हें अनुचित नहीं कहा जा सकता है. दोनों व्यक्तियों को परिस्थितियों में भावनाओं को समझना होगा.'' कोर्ट ने इस बात पर भी जोर दिया कि वैवाहिक संबंध पति-पत्नी द्वारा एक-दूसरे पर जताए गए विश्वास और विश्वास पर निर्भर करता है.
कोर्ट ने आगे कहा कि पति-पत्नी के बीच हर संघर्ष क्रूरता की श्रेणी में नहीं आ सकता है. अलग-अलग माहौल में पले-बढ़े दो व्यक्तियों के विचार कभी-कभी परस्पर विरोधी हो सकते हैं, लेकिन उन्हें हमेशा जीवन की अनियमितताओं के साथ-साथ वैवाहिक संबंधों में सामान्य टूट-फूट के रूप में माना जाता है. हर संघर्ष क्रूरता के समान नहीं हो सकता है, जिसका निर्णय सबूतों के उच्च स्तर पर लिया जाता है."
कोर्ट ने एक पति की तलाक की याचिका खारिज करते हुए यह टिप्पणी की. पति ने क्रूरता और परित्याग का आरोप लगाते हुए अदालत का रुख किया. उसने दावा किया कि उसकी पत्नी अक्सर उससे झगड़ा करती थी, अलग रहने की मांग करती थी और उसके लिए खाना नहीं बनाती थी. उन्होंने आगे आरोप लगाया कि पत्नी ने उनके वित्त को नियंत्रित करने की कोशिश की और अंततः 2013 में वैवाहिक घर छोड़कर उन्हें छोड़ दिया.
पत्नी ने इन सभी आरोपों से इनकार किया. उसने बताया कि वह अपनी पढ़ाई के लिए अपने माता-पिता के घर चली गई थी. उसने बताया कि उसे झारखंड में अपने ससुर के घर में रहने के लिए कहा गया, जबकि पति कोलकाता में ही रहा था. महिला ने कोर्ट को यह भी कहा कि बताया कि उसके पति का एक सहकर्मी के साथ एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर भी था. वह कोलकाता में उस महिला के साथ रह रहा था. कोर्ट को बताया गया कि इसके बावजूद पत्नी उसके साथ रहने को तैयार थी. कोर्ट ने पाया कि पति पत्नी के खिलाफ अपने आरोप साबित करने में विफल रहा.