7th Pay Commission Latest News: देशभर में कार्यरत लाखों केंद्रीय कर्मचारी लंबे समय से अपने महंगाई भत्ता बकाया के भुगतान की मांग कर रहे है. हालांकि मोदी सरकार फिलहाल उनके इस मांग पर मुहर लगाने के पक्ष में नहीं दिख रही है. इस बीच प्रमोशन और इंक्रीमेंट जैसी लंबित मांगों को लेकर केंद्रीय सचिवालय सेवा के हजारों अधिकारियों ने हड़ताल की चेतावनी है. 7th CPC: रेल कर्मचारियों के लिए जरूरी खबर, एक महीने में होने वाला है बड़ा बदलाव
जानकारी के अनुसार, पदोन्नति में देरी से नाराज केंद्रीय सचिवालय सेवा (सीएसएस) के अधिकारियों ने हाल ही में कहा कि अगर पदोन्नति में देरी सहित उनकी मांगों का समाधान नहीं किया गया तो वे 15 मई से हड़ताल पर जाएंगे. केंद्र सरकार के कार्यालयों की रीढ़ माने जाने वाले अधिकांश फाइलों, दस्तावेजों और आदेशों को इन अधिकारियों द्वारा संसाधित किया जाता है, उनकी पदोन्नति लंबित अदालती मामलों के बहाने अटकी हुई है.
कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) के सचिव को लिखे पत्र में सीएसएस अधिकारियों ने अल्टीमेटम देते हुए कहा कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो वे 15 मई से हड़ताल पर जाएंगे. अधिकारी कैडर अधिकारियों की पदोन्नति पर शीघ्र निर्णय की मांग कर रहे हैं, जिसमें छह साल की देरी हो रही है.
उन्होंने यह भी कहा कि अभी विरोध के रूप में वे धीमी गति से काम करेंगे, शाम 6 बजे के बाद कार्यालय में नहीं बैठेंगे और सप्ताह में एक बार काले कपड़ों में कार्यालय में उपस्थित होंगे.
सीएसएस अधिकारियों के अनुसार, अनुभाग अधिकारी, अवर सचिव, उप सचिव और निदेशक रैंक के 6,210 अधिकारी हैं, जबकि इन अधिकारियों के संवर्ग में कुल 1,839 पद खाली हैं.
ये कर्मचारी शिकायत कर रहे हैं कि सीएसएस में लगभग 30 प्रतिशत पद केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों में मध्य से वरिष्ठ प्रबंधन रैंक तक खाली हैं, क्योंकि डीओपीटी ने पिछले छह वर्षों में सीएसएस कैडर के अधिकारियों को पदोन्नत नहीं किया है. हालांकि, संकट को कम करने के उद्देश्य से, डीओपीटी ने हाल ही में 2,770 अधिकारियों को तदर्थ आधार पर पदोन्नत किया, क्योंकि 4,400 अधिकारियों में से 60 प्रतिशत से अधिक तदर्थ पदोन्नति पर काम कर रहे हैं.
केंद्रीय सचिवालय के एक कर्मचारी ने बताया कि ने कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) को पदोन्नति आदेश जारी करने के लिए याचिका दी गई है. हाल के वर्षों में कई अधिकारी सेवानिवृत्त हुए हैं जो इस देरी से बढ़े हुए वेतन और पेंशन लाभ से वंचित हो गए हैं.
उल्लेखनीय है मोदी सरकार ने केंद्र की सत्ता में आने के बाद सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने का बड़ा फैसला लिया था. केंद्र सरकार ने जून 2017 में 34 भत्तों में संशोधनों को मंजूरी दी थी. यह संशोधन 1 जुलाई 2017 से प्रभावी हुआ है.