Indira Gandhi Birth Anniversary: जानिए भारत की आयरन लेडी इंदिरा गांधी से जुड़ी कुछ रोचक बातें

स्वतंत्र भारत के इतिहास में चंद लोग ऐसे हुए हैं, जिन्होंने देश ही नहीं बल्कि पूरी विश्व पर अपनी अमिट छाप छोड़ी और उनके व्यक्तित्व की मिसालें दी गईं. इन्ही में से एक थी पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा प्रियदर्शिनी गांधी। इंदिरा जी अपने बड़े फैसलों के लिए हमेशा जानी जाती हैं.

इंदिरा गांधी (Photo Credits: Getty Images)

नई दिल्ली. स्वतंत्र भारत के इतिहास में चंद लोग ऐसे हुए हैं, जिन्होंने देश ही नहीं बल्कि पुरे विश्व पर अपनी अमिट छाप छोड़ी और उनके व्यक्तित्व की मिसालें दी गईं. इन्ही में से एक थी पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी.  इंदिरा जी (Indira Gandhi) अपने बड़े फैसलों के लिए हमेशा जानी जाती हैं. यही कारण है कि इंदिरा गांधी को भारत की राजनीति के इतिहास में एक बहुत मजबूत इरादों वाली राजनेता के रूप में जाना जाता है. इसके साथ ही उनके निर्भीक फैसलों और दृढ़निश्चय के चलते उन्हें ‘लौह महिला’ भी कहा जाता है. इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) का  जन्म 19 नवंबर 1917 को उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में  हुआ था. इंदिरा गांधी का पूरा नाम इंदिरा प्रियदर्शिनी गांधी था.

भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) के पिता थे और मोतीलाल नेहरु उनके दादा थे.  इंदिरा गांधी ने सोमरविल कॉलेज, ऑक्सफोर्ड से पढाई की थी. वर्ष 1941 में भारत वापस आने के बाद वे भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन में शामिल हो गयीं थी. यह भी पढ़े-इंदिरा गांधी: पाकिस्तान को धूल चटाकर बनाया था बांग्लादेश, अमेरिका को भी दिखाई थी आंख, अटल ने कहा था दुर्गा

बता दें कि फौलादी हौसले वाली इंदिरा गांधी ने लगातार तीन बार और कुल चार बार देश की बागडोर संभाली और वह देश की पहली और एकमात्र महिला प्रधानमंत्री रहीं.

वही पूरी दुनिया जानती है कि कैसे उन्होंने पाकिस्तान को युद्ध में पराजित कर बांग्लादेश के निर्माण में अहम योगदान निभाया था. गौर हो कि इंदिरा गांधी के समय में ही 26 जून 1975 को भारत में आपातकाल लगाया गया था.

ज्ञात हो कि देश की पूर्व प्रधानमंत्री अपने कुछ फैसलों को लेकर वह विवादों में भी रहीं. जून 1984 में अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में आर्मी की कार्रवाई भी उनका एक ऐसा ही कदम था, जिसकी कीमत उन्हें अपने सिख अंगरक्षकों के हाथों जान गंवाकर चुकानी पड़ी. उनके दो सिख अंगरक्षक बेअंत सिंह और सतवंत सिंह ने उनकी गोली मार कर हत्या कर दी.

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