Coronavirus: कोविड -19 के खिलाफ लड़ाई में सफलता की ओर अग्रसर भारत

कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए जितनी तेजी से कदम भारत ने उठाए हैं और वायरस के संक्रमण के फैलाव पर लगाम लगाई है, उसकी चर्चा विश्व भर में हो रही है. तमाम विकसित देशों से लेकर विश्‍व स्वास्‍थ्‍य संगठन तक सभी भारत के प्रयासों की सराहना कर रहे हैं

कोरोना वायरस का प्रकोप (Photo Credits: Twitter)

कोरोना वायरस (Coronavirus) की रोकथाम के लिए जितनी तेजी से कदम भारत ने उठाए हैं और वायरस के संक्रमण के फैलाव पर लगाम लगाई है, उसकी चर्चा विश्व भर में हो रही है. तमाम विकसित देशों से लेकर विश्‍व स्वास्‍थ्‍य संगठन तक सभी भारत के प्रयासों की सराहना कर रहे हैं. केंद्र सरकार के इसी त्वरित और तटस्थ निर्णय की वजह से इतनी बड़ी आबादी वाला देश होने के बावजूद, भारत इस वायरस के संक्रमण की गति धीमी करने में कामयाब रहा. इसमें लॉकडाउन का सबसे बड़ा रोल है. हांलाकि महामारी की वजह से लगे लॉकडाउन की अवधि धीरे-धीरे अपने अंतिम चरण में है. जिसके मद्देनज़र भारत एक कुशल रणनीति के तहत इससे बाहर आने की कोशिश कर रहा है. साथ ही चरणबद्ध तरीके से अलग-अलग सेक्टर में ढील देने की योजना को लेकर आगे बढ़ रहा है.

इस बारे में गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के लिए 25 अप्रैल को एक आदेश जारी किया, जिसमें दुकानें और प्रतिष्ठान अधिनियम के तहत पंजीकृत सभी दुकानों को खोलने की अनुमति दी गई. इनमें आवासीय परिसरों, आस-पास और भीड़-भीड़ से अलग दुकानों को खोलने की अनुमति प्रदान की गई. हांलाकि लॉकडाउन प्रतिबंधों में अन्य छूट हॉटस्पॉट/रोकथाम वाले इलाके में लागू नहीं होगी. इस बारे में बताते हुए भारत सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार डॉ. सुब्रमण्यम कृष्णमूर्ति ने बताया कि धीरे-धीरे महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में छूट देना सरकार के प्रभावी कदम . क्योंकि यह छूट उस एरिया और सेक्टर के महत्वपूर्ण कारकों, जैसे किसी विशेष शहर या राज्य में महामारी की तीव्रता या किसी भौगोलिक क्षेत्र में अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए अहम है. यह भी पढ़े: देश में कोरोना वायरस के मामले 30000 के पार, प्लाज्मा थेरेपी को उपचार मानने के लिए सबूत नहीं हैं: सरकार

1918 में आए स्पेनिश फ्लू और कोविड-19 की समानता और देशों पर आर्थिक मंदी का जिक्र करते हुए डॉ. कृष्णमूर्ति ने कहा कि 1918 में स्पेनिश फ्लू ने विश्व की जनसंख्या के एक तिहाई हिस्से को प्रभावित किया था। उसकी मृत्यु दर 10% थी। तब वायरस की एक संक्रमित व्यक्ति से दूसरों को संक्रमित करने की जो चेन थी उसमें और आज की चेन में काफी समानता है। इसलिए सभी देशों पर अपनी अर्थव्यवस्था को भी संभालने की जिम्मेदारी है। डॉ. कृष्णमूर्ति बताते हैं कि ऐसी परिस्थितियों में, यह देखा गया है कि जो देश शुरुआती चरण में बचाव के लिए पर्याप्त उपाय कर रहे हैं, वो अपनी अर्थव्यवस्था को जल्द ही बेहतर कर सकते हैं.इस बारे में भारत के परिप्रेक्ष्‍य में जोर देकर उन्‍होंने कहा कि भारत में 24 मार्च से देशव्यापी लॉकडाउन जिस तरह लागू किया गया, यह जीवन बचाने के लिए महत्वपूर्ण है, और यह त्वरित आर्थिक सुधार में भी मदद करेगा.

भारत और विकसित देशों की प्रतिक्रिया

कोरोना वायरस नया वायरस है, इस पर अंकुश लगाने के लिए कोई खास तैयारी अभी तक सामने नहीं आई है, इसलिए इसने पूरी दुनिया को हैरान कर दिया है। संयुक्त राष्ट्र की रेजिडेंट कोऑर्डिनेटर रेनेटा डेसालियन ने कहा कि कोई भी इस वायरस के लिए तैयार नहीं था क्योंकि सभी इससे पूरी तरह से अनजान थे. लेकिन इसी में वायरस को फैलने से रोकने के लिए असाधारण प्रयासों और दूरदर्शिता के कारण इसकी गति को धीरे करने में कुछ देश सफल रहे। भारत एक ऐसा ही देश है, जिसने कोविड-19 की रफ्तार को बहुत हद तक कम किया है.उन्होंने वायरस को लेकर भारत के तत्काल प्रभाव से कदम उठाने का जिक्र करते हुए कहा कि 6 जनवरी को, चीन ने कोरोना वायरस के संक्रमण की जानकारी दी और भारत ने 17 जनवरी को सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को एडवाइजरी जारी कर दी। उसके तुरंत बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कैबिनेट मंत्रियों के साथ बैठकें कीं.

इसके अलावा भारत ने 17 जनवरी को चीन जाने वाले यात्रियों के लिए एक प्रारंभिक परामर्श जारी किया, तब तक भारत में 41 पुष्ट मामले दर्ज किए गए थे. एक तरह से कह सकते हैं कि भारत ने एक के बाद एक चरणबद्ध तरीके से फैसले लिए। जिसमें 11 सशक्त समूहों का गठन किया, साथ ही स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए सराहनीय कार्य किए गए. दरअसल केंद्र सरकार ने 29 मार्च को हेल्थकेयर इन्फ्रास्ट्रक्चर को सुधारने के उपाय सुझाने के लिए 11 सशक्त समूहों का गठन किया था, जो देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने और लॉकडाउन में लोगों के दु:खों को कम करने के लिए और उनकी मदद के लिए बनाए गए थे.

दुनिया की 'फार्मेसी' के रूप में उभरा भारत

डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि महामारी की इस लड़ाई में भारत "निर्णायक चरण" में है। इस बारे में विस्तार से बताते हुए डब्ल्यूएचओ की दक्षिण पूर्व एशिया के लिए क्षेत्रीय आपात्काल निदेशक डॉ. रोड्रिको ऑफरीन ने कहा कि विश्व मंच पर भारत के इतिहास को देखें तो पोलियो, स्मॉल पॉक्स जैसी घातक बीमारियों से भारत ने सफलता पूर्वक मुकाबला किया है. उन्होंने आगे कहा कि जिस तरह भारत ने तत्काल प्रभाव से सभी क्षेत्रों- स्वास्थ्य अधिकारियों से लेकर परिवहन और विमानन क्षेत्र तक, दूसरे देश से अपने लोगों को लाने से लेकर सभी विदेशी मामलों में, सभी मंत्रालय से लेकर सर्वोच्च नेतृत्व तक ने मिलकर काम किया वह सराहनीय है.

डॉ. ऑफरीन ने भारत के कदमों की सराहना करते हुए कहा कि भारत ने मानवीय दृष्टिकोण को भी पहले रखा.न केवल अपने स्वयं के छात्रों और नागरिकों को स्‍वदेश लाने का काम किया बल्कि अन्य देशों की भी मदद की.क्योंकि मालदीव जैसे कई छोटे देश कभी भी अपने लोगों को लाने के लिए, या चिकित्सीय उपकरण के लिए चार्टेड उड़ान की व्यवस्था नहीं कर सकते थे. भारत ने हवाईअड्डों पर फंसे लोगों को निकालने के अलावा उनके ठहरने की व्‍यवस्‍था करने की दिशा में भी तत्काल कदम उठाए. कोविड के दौर में भारत की डिप्लोमेसी पर टिप्पणी करते हुए डॉ. ऑफरीन ने कहा, "भारत अर्थव्यवस्था और प्रौद्योगिकी के मामले में अपने कुछ पड़ोसी देशों से आगे है. भारत सस्ती कीमत पर गुणवत्तापूर्ण दवाइयां उपलब्ध कराने में सक्षम है. इसलिए कह सकते हैं कि भारत को हम विश्व में महत्वपूर्ण PHARMACY के रूप में देखते हैं.

हर नागरिक तक पहुंचने के प्रयास में प्रधानमंत्री

इस दौरान प्रधानमंत्री द्वारा राष्‍ट्र को संबोधित करने से लोग ज्यादा जागरूक हुए हैं। इस पर प्रसार भारती के सीईओ शशि शेखर वेम्पटि ने कहा, "इस महामारी से लड़ने का कोई सांचा नहीं है और न ही 130 करोड़ की जनता भी किसी एक सांचे में है। प्रधानमंत्री ने जो हाल ही में अपने लिंक्डइन ब्लॉग में लिखा उसमें इस महामारी के बीच एक बड़ा संदेश निकल कर सामने आया। उन्‍होंने देश की अर्थव्‍यवस्था को सही दिशा में बढ़ाने पर जोर दिया। अगर लीडरशिप की बात करें, तो भारत में बहुत क्षमता है और खुद को उस दिशा में ढालने का लचीलापन भी. प्रधानमंत्री ने जो पांच बातें शेयर की थीं, उनमें से एक (अडैप्‍टेबिलिटी) को श्री वेम्पटि ने अमेरिका के न्यू जर्सी का उदाहरण देते हुए समझाया। उन्‍होंने कहा कि अगर आप न्यू जर्सी के गवर्नर को देखें तो उन्होंने कोबोल प्रोग्रामर्स की कमी पर अपनी व्‍यथा व्‍यक्‍त की.

क्योंकि उनका सोशल सिक्‍योरिटी सिस्‍टम प्रमुख रूप से उसी पर आधारित है। वहीं अगर आप भारत को देखें तो हमने कई सारी नई तकनीकियों को अपना लिया है। और आज जन धन, आधार और मोबाइल नंबर आदि के जरिए वित्तीय और सामाजिक सुरक्षा मुहैया कराने में हम समर्थ हैं. आपको बता दें कि न्‍यू जर्सी के गर्वनर फिल मर्फी ने राज्‍य की बेरोजगारी के डाटा को एकत्र करने वाले सिस्‍टम पर विशेषज्ञों की मदद मांगी थी। उनका सिस्‍टम आज भी कंप्‍यूटर की कोबोल लैंगवेज पर चलता है.आज बहुत कम कंप्‍यूटरों पर ही यह लैंगवेज पायी जाती है.

नई टेक्नोलॉजी में ढलने की बात पर श्री वेम्पटि ने कहा कि प्रधानमंत्री ने सभी से आग्रह किया है कि वे 'पहले डिजिटल' (Digital First) की दिशा में सोचें। श्री वेम्‍पटि ने आगे कहा, "मुझे लगता है कि संकट की घड़ी में वही उद्योग व व्‍यापार आगे बढ़ पाएंगे, जो डिजिटल सेटअप को अपना लेंगे. वर्क फ्रॉम होम एक बड़ा उदाहरण है। 8-9 घंटे के पारम्‍परिक वर्क कल्‍चर से यह एकदम अलग है। बतौर पब्लिक ब्रॉडकास्‍टर हमने भी इलेक्‍ट्रॉनिक ऑफिस एप्‍लीकेशन्‍स को अपनाया और आज महामारी के इस दौर में हमें बड़ी मदद मिल रही है." प्रधानमंत्री के संदेश का लोगों पर जबर्दस्त प्रभाव पड़ा है, इस पर श्री वेम्पटि ने कहा, "घर में रहने की अपील में प्रधानमंत्री ने जो शब्‍द 'लक्ष्‍मण रेखा' का प्रयोग किया, उसका लोगों पर जबर्दस्‍त प्रभाव पड़ा। जिस अंदाज़ में उन्होंने लोगों से अपील की, वह भी बहुत प्रभावी था."

श्री वेम्‍पटि ने आगे कहा, "प्रधानमंत्री ने सभी से पहले बाल्‍कनी, छत या घर के बाहर खड़े होकर कोरोना वॉरियर्स के लिए तालियां बजाकर उन्हें सम्मान देने को कहा और उसके बाद सभी से दीये जलाने को कहा. दोनों बार पीएम के आह्वान पर लोग दिल से आगे आये और राष्‍ट्रव्‍यापी मुहिम का हिस्सा बने। लोगों ने उन 9 मिनट तक टीवी तक नहीं देखा। इसीलिए हमने भी उस दिन दूरदर्शन पर रामायण के प्रसारण को 9 मिनट आगे बढ़ा दिया। सच पूछिए तो प्रधानमंत्री ने लोगों को एक सूत्र में बांध दिया."

पर्यावरण पर चर्चा

कोविड-19 ने लोगों को पर्यावरण की समस्‍याओं पर भी सोचने का मौका दिया है। इस पर श्री वेम्पटि कहते हैं कि हर सुबह 5:45 बजे आकाशवाणी पर सूर्योदय के समय पेड़ों के बीच चिड़ियों के चहचहाने की आवाज़ आप सुन सकते हैं। इसकी शुरुआत हाल ही में की गई है, क्योंकि आज कल खुले पर्यावरण में खुश जानवरों और स्‍वच्‍छ वातावरण की तमाम खबरें आ रही हैं. आज जरूरत है कि हम अपने टेक्‍नोलॉजी इन्‍नोवेशन को पर्यावरण के हितों को ध्‍यान में रखते हुए आगे बढ़ायें.

इस पर रेनेटा डेसालियन ने कहा कि हमें एक मजबूत आर्थिक-तंत्र बनाने की जरूरत है, जो आधुनिकीकरण के दौर में सामाजिक-आर्थिक गतिविधियों के आधार पर लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरूक रखे। वहीं डॉ. कृष्‍णमूर्ति ने कहा कि भारत का वेल्‍थ क्रिएशन का जो मॉडल है उसमें बिना किसी को नुकसान पहुंचाये हम अर्थव्‍यवस्‍था को मजबूती की ओर ले जाने का काम करते हैं।

आर्थिक संकट में गरीब जनता

कोविड-19 के चलते कई सारे पैकेज सरकार की ओर से गरीबों को दिए गए। देश की कमजोर जनता के लिए यह जरूरी भी है। डॉ. कृष्‍णमूर्ति ने इस पर कहा कि जनधन अकाउंट में पैसा डाल कर और जरूरी वस्‍तुओं को जनता तक पहुंचा कर गरीबों को एक बड़ी राहत दी गई है रेनेटा डेसालियन का कहना है कि 23 बिलियन डॉलर के पैकेज की घोषणा कर करोड़ों लोगों को सरकार ने बड़ी राहत दी है। कोविड-19 को राष्‍ट्रीय आपदा घोषित करने के बाद राष्‍ट्रीय आपदा फंड से भारत के तमाम जरूरतमंदों के लिए भोजन व रहने की व्‍यवस्था की गई.

भारत का रिकवरी रेट

भारत एक बहुत बड़ा देश है और अलग-अलग राज्यों में कोविड-19 अलग-अलग तरह से फैला है. डॉ. ऑफ्र‍ीन ने स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय, स्‍वास्‍थ्‍य कर्मियों और उनके साथ काम कर रहे लोगों की सराहना करते हुए कहा कि जिस गति से टैस्टिंग और कॉन्‍टैक्ट ट्रेसिंग की जा रही है, वो बेहद सराहनीय है। उन्‍होंने कहा जैसे-जैसे संक्रमण का परिदृश्‍य बदल रहा है, वैसे-वैसे भारत की टेस्टिंग की रणनीति भी बदलती जा रही है और ये अच्‍छे संकेत हैं। आज भारत में 200 लैब हैं, जिनमें 85 प्राइवेट लैब हैं। कई जगह एक-एक लैब की क्षमता 550 टेस्‍ट प्रतिदिन की है.

भारत के सामने चुनौतियां

डॉ. ऑफ्रीन ने कहा कि भारत जैसे घनी आबादी वाले देश में सोशल डिस्‍टेंसिंग बनाये रखना बेहद मुश्किल कार्य है। तमाम लोग हैं, जिनका घर एक शहर में है और काम पर वो दूसरे शहर में जाते हैं. यानी लोगों का एक शहर से दूसरे शहर आना-जाना लगा रहता है. इससे देश के कई हिस्सों में स्‍वास्‍थ्‍य को लेकर चुनौतियां बनी रहेंगी. कोविड के मामले आगे नहीं बढ़ें, इसलिए इससे बाहर निकलने की रणनीति की आवश्‍यकता है.

छात्रों के लिए पढ़ाई के विकल्‍प

लॉकडाउन के दौरान छात्रों के लिए पढ़ाई के विकल्‍पों के बारे में श्री वेम्‍पटि ने कहा कि सौभाग्यवश हमारे देश में मुफ्त डीटीएच प्लेटफॉर्म है, जो 35 से 40 मिलियन घरों तक पहुंच गया है। फ्री डिश पर 40 से 50 मुफ्त शैक्षण‍िक चैनल हैं, जिनका लाभ छात्र घर बैठे उठा सकते हैं.

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