INDEPENDENCE DAY 2018: स्वतंत्रता संग्राम के 10 महानायक, जिनकी वजह से मिली थी देश को आजादी
भारतीय तिरंगा (Photo Credits Facebook )

नई दिल्ली: देश 15 अगस्त 1947 से पहले अंग्रजों  के हाथों में गुलाम था. देश को आजादी दिलाने के लिए लाखों हिन्दुस्तानियों को गोलिया खानी पड़ी तो कुछ को जान न्योछावर भी करना पड़ा. जिसके बाद देश को आजादी मिली. इन्ही वीर जवानों में महात्मा गांधी, सरदार बल्ल्भ भाई पटेल, अशफाक उल्ला खां, भगत सिंह जैसे कई आन्दोलकारी है. जिनके चलते देश को अंग्रेजों के हाथों से आजादी मिली. साथ ही इन्ही आंदोलकारियों के आन्दोलन से डर कर अंग्रेजों के पसीने छुटने लगे. जिसके बाद इस देश को आजादी मिली. आइए एक नजर डालते है ऐसे ही कुछ वीर जवानों  पर.

1-महात्मा गांधी

जन्म : 2 अक्टूबर 1869, पोरबंदर, गुजरात

मृत्यु : 30 जनवरी 1948, नई दिल्ली

शिक्षा : बैरिस्टर, युनिवर्सिटी कॉलेज,लंदन

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को शान्ति और अहिंसा के बारे में लोग जानते थे, इन्होंने सत्याग्रह, शांति व अहिंसा के रास्तों पर चलते हुए अंग्रेजों को भारत छोड़ने पर मजबूर कर दिया.

2-मंगल पांडे

जन्म :30 जनवरी 1827 बलिया, उत्तर प्रदेश

मृत्यु :8 अप्रैल 57, बैरकपुर

बैरकपुर छावनी में बंगाल नेटिव इंफैंट्री की 34वीं रेजीमेंट में सिपाही रहे, जहां गाय और सूअर की चर्बी वाले कारतूस और अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह का शंखनाद किया.

3-रानी लक्ष्मीबाई

जन्म : 19 नवंबर 1835, भदैनी, वाराणसी

मृत्यु : 18 जून 1858, कोटा की सराय, ग्वालियरझांसी की रानी लक्ष्मीबाई, 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की महान वीरांगना के रूप में जानी जाती हैं

4-रामप्रसाद बिस्मिल

जन्म : 11 जून 1897, शाहजहांपुर

मृत्यु : 19 दिसंबर 1927, गोरखपुर,

स्वतंत्रता संग्रात सेनानी के साथ बेहतरीन कवि, शायर और लेखक, मैनपुरी षड्यंत्र में शाहजहांपुर के 6 युवक पकड़ाए, जिनके लीडर रामप्रसाद बिस्मिल थे, लेकिन वे पुलिस के हाथ नहीं लग पाए. इस षड्यंत्र का फैसला आने के बाद से बिस्मिल 2 साल तक भूमिगत रहे.

5-अशफाक उल्ला खां

जन्म : 22 अक्टूबर 1900 ई., शाहजहांपुर

मृत्यु : 19 दिसंबर 1927, फैजाबाद जेल में फांसीस्वतंत्रता संग्राम सेनानी के साथ हिन्दी, उर्दू और अंग्रेजी में लेखन कार्य, देश में चल रहे आंदोलनों और क्रांतिकारी घटनाओं से प्रभावित अशफाक के मन में भी क्रांतिकारी जागने के बाद वे काकोरी कांड में सहभागी रहे.

6-चंद्रशेखर आजाद

जन्म : 23 जुलाई 1906, भाबरा, अलीराजपुर

मृत्यु : 27 फरवरी 1931, अल्फ्रेड पार्क, इलाहबाद, उत्तरप्रदेश

हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन के प्रमुख सेनापति और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, चंद्रशेखर आजाद 14 वर्ष की आयु में बनारस गए और वहां एक संस्कृत पाठशाला में पढ़ाई की. वहां उन्होंने कानून भंग आंदोलन में योगदान दिया था। 1920-21 के वर्षों में वे गांधीजी के असहयोग आंदोलन से जुड़े. उन्होंने आजाद जीवन जिया और बंदी जीवन के बजाय उन्होंने आजाद मौत चुनी.

7-भगत सिंह

जन्म : 28 सितंबर 1907, बावली, पंजाब

मृत्यु : 23 मार्च 1931, लाहौर जेल में फांसी

नौजवान भारत सभा, हिंदुस्तान सोशलिस्ट, प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी, उनका विश्वास था कि उनकी शहादत से भारतीय जनता और उग्र हो जाएगी, लेकिन जबतक वह जिंदा रहेंगे ऐसा नहीं हो पाएगा. इसी कारण उन्होंने मौत की सजा सुनाने के बाद भी माफीनामा लिखने से साफ मना कर दिया था.

8-नेताजी सुभाषचंद्र बोस

जन्म : 23 जनवरी 1897

मृत्यु : 18 अगस्त 1945

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के अग्रणी सेनानी, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष, आजाद हिंद फौज के सुप्रीम कमांडर, आईसीएस की परीक्षा में उत्तीर्ण करने के बाद सुभाष ने आईसीएस से इस्तीफा दिया. इस बात पर उनके पिता ने उनका मनोबल बढ़ाते हुए कहा- 'जब तुमने देशसेवा का व्रत ले ही लिया है, तो कभी इस पथ से विचलित मत होना.

9-जवाहर लाल नेहरू

जन्म : 14 नवंबर, 1889 इलाहबाद, उत्तरप्रदेश

मृत्यु : 27 मई 1964

देश के आजादी में जवाहर लाल नेहरू का भी बहुत बड़ा योगदान रहा है. इन्होंने  भी महात्मा गांधी के कंधे से कंधा मिलाकर चले थे.

10-सरदार वल्लभभाई पटेल

जन्म : 31 अक्टूबर 1875, नडियाद, गुजरात

मृत्यु : 15 दिसंबर 1950

लौह पुरूष माने जाने वाले भारतीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और भारत के पहले उपप्रधानमंत्री, सबसे बड़ा योगदान बंटवारे के बाद भारतीय रियासतों के भारत में विलय का है. इसके अलावा सूखाग्रस्त खेड़ा क्षेत्र के किसानों के लिए अंग्रेज सरकार से कर में छूट देने की मांग की थी.जिनके आगे सरकार को झुकना पड़ा और किसानों को कर में राहत दे दी गई