Credit Cooperative Bank Raid: बिना KYC के खोले गए 1200 से अधिक बैंक खाते, कर्मचारियों ने ही भरे फॉर्म, खुद किए हस्ताक्षर, बड़ी धांधली की आशंका
आयकर विभाग (Income Tax Department) ने महाराष्ट्र में स्थित अर्बन क्रेडिट कोऑपरेटिव बैंक (Urban Credit Cooperative Bank) के मुख्यालय और उसकी शाखा पर रेड डालकर बड़ी धांधली पकड़ी है. आयकर विभाग ने तलाशी और जब्ती अभियान के दौरान पाया कि बैंक ने केवाईसी (KYC) नियमों को ताक पर रखकर 1200 से अधिक नए बैंक खाते खोले.
मुंबई: आयकर विभाग (Income Tax Department) ने महाराष्ट्र में स्थित अर्बन क्रेडिट कोऑपरेटिव बैंक (Urban Credit Cooperative Bank) के मुख्यालय और उसकी शाखा पर रेड डालकर बड़ी धांधली पकड़ी है. आयकर विभाग ने तलाशी और जब्ती अभियान के दौरान पाया कि बैंक ने केवाईसी (KYC) नियमों को ताक पर रखकर 1200 से अधिक नए बैंक खाते खोले. इतना ही नहीं बैंक के ही कर्मचारियों ने खुद फॉर्म भरकर उसपर हस्ताक्षर और अंगूठे का निशान लगाया. रिजर्व बैंक जलवायु जोखिमों को वित्तीय स्थिरता निगरानी गतिविधियों में एकीकृत करने को प्रतिबद्ध
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने शनिवार को बताया कि अर्बन क्रेडिट कोऑपरेटिव बैंक के कामकाज में गड़बड़ी के खुलासे के बाद बैंक के 53.72 करोड़ रुपये पर रोक लगा दी है. सीबीडीटी (CBDT) के अनुसार, 27 अक्टूबर को तलाशी और जब्ती अभियान चलाया गया था. इस दौरान सीबीडीटी ने अर्बन क्रेडिट कोऑपरेटिव बैंक के चेयरमैन और उसके एक निदेशक के आवास की भी तलाशी ली.
सीबीडीटी ने कहा कि कोर बैंकिंग सॉल्यूशंस (सीबीएस) पर बैंक डेटा के विश्लेषण और तलाशी कार्रवाई के दौरान दर्ज किए गए प्रमुख व्यक्तियों के बयानों से बैंक खाते खोलने में स्पष्ट अनियमितताएं सामने आई हैं.
सीबीडीटी के बयान के मुताबिक, उक्त शाखा में बिना पैन के 1200 से अधिक नए बैंक खाते खोले गए. जांच से पता चला है कि ये बैंक खाते केवाईसी मानदंडों का पालन किए बिना खोले गए थे और सभी खाता खोलने के फॉर्म बैंक कर्मचारियों द्वारा भरे गए हैं और उन्होंने ही अपना हस्ताक्षर व अंगूठा लगाया है."
इन खातों में 1.9 लाख रुपये के सटीक मूल्यवर्ग के कई नकद जमा हुए है, जो कुल 53.72 करोड़ रुपये है. वहीं 700 से अधिक बैंक खातों की पहचान की गई है जो सीरीज में खोले गए थे, इन बैंक खातो में खाता खोलने के 7 दिनों के भीतर 34.10 करोड़ रुपये से अधिक की राशि तुरंत नकद जमा की गई थी, खासकर अगस्त 2020 से मई 2021 की अवधि के दौरान. शुरुआती जांच में पता चला है कि इन डिपाजिट को 2 लाख रुपये से अधिक की नकदी जमा के लिए अनिवार्य पैन आवश्यकताओं से बचने के लिए स्ट्रक्चर्ड किया गया है. जबकि उसी शाखा में उन पैसों की बाद में एफडी बनायी गई है.
सीबीडीटी ने कहा कि कुछ मामलों में खाताधारकों से पूछताछ से पता चला है कि उन्हें बैंक में नकद जमा के बारे में जानकारी नहीं थी और न ही उन्हें इन बैंक खातों या यहां तक कि एफडी के बारे में भी कुछ पता नहीं था. अध्यक्ष, सीएमडी और शाखा के मेनेजर तक इन नकद जमा के स्रोत की डिटेल्स नहीं दे पाएं है. हालांकि उन्होंने स्वीकार किया कि ये बैंक के निदेशकों में से एक के इशारे पर किए गए थे, जो अनाज के व्यापार से जुड़े एक प्रमुख स्थानीय व्यवसायी हैं. फ़िलहाल आगे की जांच जारी है.