जांजगीर-चांपा: शरदीय नवरात्र और दुर्गोत्सव को लेकर मूर्तिकार देवी प्रतिमाओं को अंतिम रूप देने में जुटे हैं. यहां कोलकाता के मूर्तिकार पिछले 25 साल से इस काम में लगे हुए हैं. वे परम्परानुसार तवायफ के कोठे की मिट्टी मिलाकर यह प्रतिमा तैयार करते हैं. दुर्गा मूर्ति स्थापना के लिए समितियों की ओर से मूर्तियों की बुकिंग भी प्रारंभ हो गई है. इस बीच हालांकि महंगाई की मार भी इन पर पड़ रही है.
इस वर्ष शारदीय नवरात्र 10 अक्टूबर से प्रारंभ हो रही है. लोगों में काफी उत्साह है. दुर्गा की मूतियों को मूर्त रूप देने के लिए इन दिनों बंगाल से आए मूर्तिकार दिन-रात काम में जुटे हुए हैं. बंगाल के कृष्णा नगर कोलकाता से आए मूर्तिकार शंकर पाल ने बताया कि उनकी तीन पीढ़ियां इस काम को करती आ रही हैं. वे स्वयं 13 साल की उम्र से मूर्ति बनाने का काम कर रहे हैं.
पिछले 25 वर्षो से वे जिले में मूर्ति बनाने का काम करते आ रहे हैं. साल में 7-8 माह गणेश, विश्वकर्मा व दूर्गा की मूर्तियां बनाने के बाद बंगाल लौट जाते हैं. उन्होंने बताया कि मूर्ति निर्माण में हसदेव नदी के किनारे की मिट्टी का उपयोग किया जा रहा है. मूर्ति में विशेष आभा के साथ चमक बढ़ाने के लिए बंगाल से विशेष प्रकार की दूध मिट्टी का उपयोग किया जाता है.
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इसके अलावा परम्परानुरूप तवायफ के कोठे की मिट्टी भी वे साथ लेकर आते हैं. इस मिट्टी को प्रतिमा बनाने के लिए उपयोग की जाने वाली मिट्टी में मिलाया जाता है. मां की प्रतिमा के लिए लोगों की ओर से बड़ी संख्या में आर्डर दिए जा रहे है. 25 मूर्तियां तैयार की गई है. समय पर लोगों को मूर्तियां देने के लिए काम जोरों पर हैं. उनके साथ नरेश पाल, मदन पाल भी सहयोग कर रहे हैं.
महंगाई की मार हर क्षेत्र में दिखने लगी है. महंगाई के कारण मूर्ति के भाव में भी 20 फीसदी का इजाफा हुआ है. इससे बाजारों में मूर्तियां साढ़े चार हजार से तीस हजार रुपये तक में बिक रही है. मूर्तिकार शंकर पाल ने बताया कि पहले के मुकाबले दूध मिट्टी 20 रुपये, मोती कलर तीन हजार रुपये व समान्य कलर दो हजार 500 रुपये प्रति किलो मिल रहा है. साथ ही मिट्टी, बांस, पैरा के भाव के साथ किराये में वृद्धि हुई है. ऐसे में मूर्तियों के भाव में बढ़ोतरी होना स्वभाविक है.
क्षेत्र के देवी मंदिरों में मनोकामना ज्योति कलश स्थापना को लेकर तैयारियां जोरों पर हैं. खोखरा स्थित मां मनका दाई मंदिर में मनोकामना ज्योति कलश की स्थापना प्रतिवर्ष की जाती है. जिले के अलावा पड़ोसी जिला कोरबा, रायगढ़ व बिलासपुर से भक्त बड़ी संख्या में मनोकामना कलश की स्थापना कराते हैं. इसके मद्देनजर मंदिर की साफ-सफाई, रंग-रोगन व पंडाल लगाने का काम शुरू हो गया है.