नई दिल्ली, 1 मई : देश में कोरोना संक्रमितों की बढ़ती संख्या और ऑक्सीजन (Oxygen) संकट के बीच ऑक्सीजन कॉन्सेंट्रेटर (Oxygen Concentrator) की मांग बढ़ी है. विदेशों से भी इस तरह के उपकरण मंगाए जा रहे हैं. आखिर, ऑक्सीजन कॉन्सेंट्रेटर क्या होते हैं, उनकी कब आवश्यकता होती है और उनका उपयोग कैसे किया जाता है और क्या सावधानियां बरतनी चाहिए. इस बारे में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय (Ministry of Health and Family Welfare) व प्रेस इंफार्मेशन ब्यूरो ने जरूरी जानकारी साझा की है. दरअसल, कोविड हमारे फेफड़ों को प्रभावित करता है और जिससे शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा खतरनाक स्तर तक गिर सकती है.
ऐसी स्थिति में शरीर में ऑक्सीजन के स्तर को स्वीकार्य स्तर तक बढ़ाने के लिए हमें ऑक्सीजन का उपयोग करके चिकित्सकीय ऑक्सीजन थेरेपी देने की जरूरत पड़ती है. शरीर में ऑक्सीजन का स्तर 'ऑक्सीजन सेचूरेशन' के रूप में मापा जाता है जिसे संक्षेप में 'एसपीओ-टू' कहते हैं. यह रक्त में ऑक्सीजन ले जाने वाले हीमोग्लोबिन की मात्रा का माप है. सामान्य फेफड़ों वाले एक स्वस्थ व्यक्ति की धमनी में ऑक्सीजन सेचूरेशन 95 से 100 प्रतिशत होता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के पल्स ऑक्सीमीट्री पर बनाए गये प्रशिक्षण मैनुअल के अनुसार यदि ऑक्सीजन सेचूरेशन 94 प्रतिशत या उससे कम हो तो रोगी को जल्द इलाज की जरूरत होती है. यदि सेचूरेशन 90 प्रतिशत से कम हो जाय तो वह चिकित्सकीय आपात स्थिति मानी जाती है. यह भी पढ़ें : Jammu and Kashmir: जम्मू-कश्मीर की जेलों में टीकाकरण जारी, कैदियों से आमने-सामने की मुलाकात स्थगित- डीजीपी कारागार
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की नई गाइडलाइंस के मुताबिक, कमरे की हवा पर 93 प्रतिशत या उससे कम ऑक्सीजन सेचूरेशन हो तो मरीज को अस्पताल में भर्ती करने की आवश्यकता होती है, जबकि 90 प्रतिशत से कम सेचूरेशन की हालत में मरीज को आईसीयू में रखा जाना लाजमी है. ऐसे में महामारी की दूसरी लहर के कारण पैदा हुए हालात को देखते हुए, हमें क्लिनिकल प्रबंधन प्रोटोकॉल के अनुसार अस्पताल में प्रवेश में देरी या असमर्थता की स्थिति में मरीज के ऑक्सीजन स्तर को बनाए रखने के लिए जो कुछ भी हमसे सर्वश्रेष्ठ हो सकता है वह करना चाहिए.
ऑक्सीजन कॉन्सेंट्रेटर कैसे काम करता है?
दरअसल, वायुमंडल की हवा में लगभग 78 प्रतिशत नाइट्रोजन और 21 प्रतिशत ऑक्सीजन होती है. ऑक्सीजन कॉन्सेंट्रेटर एक सरल उपकरण हैं जो ठीक वही करता हैं जो इसके नाम से व्यक्त होता है. ये उपकरण वायुमंडल से वायु को लेते हैं और उसमें से नाइट्रोजन को छानकर फेंक देते हैं तथा ऑक्सीजन को घना करके बढ़ा देते हैं.