अहमदाबाद: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट मुंबई-अहमदाबद बुलेट ट्रेन का गुजरात में विरोध तेज हो गया है. इसके विरोध में 1000 किसानों ने गुजरात हाईकोर्ट में हलफनामा दायर कर बुलेट ट्रेन परियोजना का विरोध किया है. बताया जा रहा है विरोध करनेवाले सभी किसान आगे चलकर बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट से प्रभावित होनेवाले है.
किसानों ने हलफनामे में कहा है कि इस परियोजना से काफी कृषक प्रभावित हुए हैं. वे नहीं चाहते कि 1.10 लाख करोड़ रुपये की परियोजना के लिए उनकी जमीन का अधिग्रहण किया जाए. किसानों ने यह भी कहा कि मौजूदा भू अधिग्रहण प्रक्रिया इस परियोजना के लिये भारत सरकार को सस्ती दर पर कर्ज मुहैया कराने वाली जापान इंटरनेशनल कोऑपरेशन एजेंसी (जेआईसीए) के दिशानिर्देशों के भी विपरीत है.
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किसानों ने आरोप लगाया कि गुजरात सरकर ने बुलेट ट्रेन के लिये सितंबर 2015 में भारत और जापान के बीच समझौते के बाद भू अधिग्रहण अधिनियम 2013 के प्रावधानों को हलका किया और प्रदेश सरकार द्वारा किया गया संशोधन अपने आप में जेआईसीए के दिशानिर्देशों का उल्लंघन है. उन्होंने अदालत को बताया कि न तो उनकी सहमति ली गई न ही भूमि अधिग्रहण की कार्रवाई करते हुए उनसे कोई परामर्श किया गया.
गौरतलब हो कि इस परियोजना के खिलाफ पांच याचिका कोर्ट में पहली से दायर है. मुख्य न्यायाधीश आर सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति वी एम पांचोली की एक खंडपीठ हाई स्पीड रेल परियोजना के लिये जमीन अधिग्रहण को चुनौती देने वाली पांच याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है. चीन से कोलकाता की दुरी अब 2 घंटों में! म्यांमार-बांग्लादेश के रास्ते कोलकाता पहुंचेगी बुलेट ट्रेन!
बुलेट ट्रेन परियोजना का पीएम मोदी के गृह राज्य सूरत में भी विरोध हो रहा है. यहां भी किसान जमीन अधिग्रहण का विरोध कर रहे है. सूरत जिले के किसान इस परियोजना के लिए जमीन अधिग्रहण का जमकर विरोध कर रहे हैं. इस परियोजना के लिए भारत ने 0.1 फीसदी की ब्याज दर पर जापान से 50 साल के लिए 1.08 लाख करोड़ रुपये का कर्ज लिया है. गुजरात बुलेट ट्रेन परियोजना ,भूमि अधिग्रहण संशोधन को राष्ट्रपति की मंजूरी को चुनौत