सरकार ने इथेनॉल की कीमत 3 रुपये बढ़ाई, जानिए प्रति लीटर अब कितना हुआ दाम
गोयल ने कहा, "सरकार ने सी-हैवी शीरे से प्राप्त इथेनॉल का दाम दिसंबर 2018-नवंबर 2019 के लिए बढ़ाकर 43.70 रुपये प्रति लीटर कर दिया है, जोकि वर्तमान में 40.85 रुपये प्रति लीटर है."
नई दिल्ली. आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) ने बुधवार को तेल विपणन कंपनियों द्वारा सी-हैवी शीरे से प्राप्त इथेनॉल खरीद की दर करीब तीन रुपये बढ़ाकर 43.70 रुपये प्रति लीटर करने को मंजूरी दे दी. वर्तमान में इसकी कीमत 40.85 रुपये प्रति लीटर है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में लिए गए फैसले की जानकारी मीडिया को देते हुए वित्तमंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि इस कदम से चीनी उद्योग पर सकारात्मक असर होगा और गन्ना उत्पाकों के बकाये के भुगतान में मदद मिलेगी. उन्होंने कहा कि इससे तेल विपणन कंपनियां इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल (ईपीबी) कार्यक्रम को जारी रखते हुए पेट्रोल में 10 फीसदी इथेनॉल मिश्रण करेंगी.
मंत्री ने कहा कि ईबीपी कार्यक्रम 2003 में शुरू किया गया मगर 2014 तक कार्यक्रम में शिथिलता बनी रही.
उन्होंने कहा, "2004-14 तक बहुत कम मिश्रण हुआ। मोदी सरकार के 2014 में सत्ता संभालने के बाद इथेनॉल की आपूर्ति में काफी इजाफा हुआ. 2013-14 में तेल कंपनियों ने 38 करोड़ लीटर इथेनॉल खरीदा और 2017-18 में इनकी खरीद बढ़कर 140 करोड़ लीटर हो गई."
उन्होंने कहा, "इस कदम से क्षेत्र (चीनी उद्योग) में निवेश को प्रोत्साहन मिलेगा, पेट्रोलियम के आयात में कमी आएगी."
गोयल ने कहा, "सरकार ने सी-हैवी शीरे से प्राप्त इथेनॉल का दाम दिसंबर 2018-नवंबर 2019 के लिए बढ़ाकर 43.70 रुपये प्रति लीटर कर दिया है, जोकि वर्तमान में 40.85 रुपये प्रति लीटर है."
साथ ही, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पहली बार बी-हैवी शीरे से प्राप्त इथेनॉल की कीमत 47.49 रुपये लीटर तय की है.
चीनी उद्योग संगठन इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) ने सरकार के फैसले का स्वागत किया है. इस्मा महानिदेशक अविनाश वर्मा ने आईएएनएस को जारी एक बयान में कहा, "यह लंबी अवधि का उपाय है जिसका लाभ मध्यम अवधि में मिलेगा और गन्ना किसानों और चीनी उत्पादकों के लिए यह फायदेमंद साबित होगा."
वर्मा ने बी-हैवी शीरे से प्राप्त इथेनॉल का उच्च मूल्य निर्धारित करने पर कहा कि बी-हैवी शीरे व गन्ने के रस से इथेनॉल बनाने को प्रोत्साहन देने नवाचारी कदम है. इससे चीनी के अतिरेक उत्पादन को घटाकर इथेनॉल बनाना संभव होगा और भविष्य में चीनी की उपलब्ध को संतुलित रखने में मदद मिलेगी.