GDP Growth: वैश्विक वित्तीय संस्थानों का अनुमान 'भारत की जीडीपी में हो रही वृद्धि', अर्थशास्त्री बोले ये अच्छी खबर है

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष और डेलोइट जैसे शीर्ष वैश्विक वित्तीय संस्थानों ने बुधवार को भारत के विकास दर के अनुमानों की सराहना की. शीर्ष अर्थशास्त्रियों ने इस पर खुशी जताते हुए कहा है कि देश की जीडीपी वृद्धि में ग्रामीण खपत को मुख्य कारक के रूप में देखा जाना चाहिए.

नई दिल्ली, 23 अक्टूबर : अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष और डेलोइट जैसे शीर्ष वैश्विक वित्तीय संस्थानों ने बुधवार को भारत के विकास दर के अनुमानों की सराहना की. शीर्ष अर्थशास्त्रियों ने इस पर खुशी जताते हुए कहा है कि देश की जीडीपी वृद्धि में ग्रामीण खपत को मुख्य कारक के रूप में देखा जाना चाहिए. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने चालू वित्त वर्ष में भारत की विकास दर का अनुमान 7 प्रतिशत पर बरकरार रखा है. डेलॉइट के अनुसार, वित्त वर्ष 2024-2025 में भारत की वार्षिक जीडीपी वृद्धि दर 7 से 7.2 प्रतिशत के बीच रहने का अनुमान है, जो भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के अनुमान के अनुरूप है. आरबीआई ने वित्त वर्ष 2025 में देश की वास्तविक जीडीपी वृद्धि 7.2 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था.

अर्थशास्त्री और भाजपा की राष्ट्रीय प्रवक्ता संजू वर्मा ने आईएएनएस को बताया कि राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) के हालिया सर्वे के अनुसार, भारत में ग्रामीण परिवारों की औसत मासिक आय में पिछले पांच वर्षों में लगभग 58 फीसदी की वृद्धि हुई है, जो कि ग्रामीण क्षेत्रों में त्योहारी सीजन की बिक्री के आंकड़ों से साफ हुआ है. उन्होंने कहा, "क्रय शक्ति निश्चित रूप से बरकरार रही और त्योहारी सीजन की बिक्री का बड़ा हिस्सा ग्रामीण और अर्ध-शहरी भारत द्वारा संचालित किया जा रहा था. जिससे एक बार फिर इस तथ्य की पुष्टि होती है कि ग्रामीण भारत विकास की कहानी लिख रहा है." यह भी पढ़ें : न्यायालय ने वैवाहिक बलात्कार के मामलों में पतियों को छूट के खिलाफ याचिकाओं पर सुनवाई टाली

यह केवल सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि की गति ही नहीं थी, जो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में बरकरार रहने वाली थी, बल्कि यहां महत्वपूर्ण बात यह थी कि जहां सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) ऊपर की ओर बढ़ रही थी, वहीं मुद्रास्फीति नीचे की ओर जाने वाली थी. सीपीआई मुद्रास्फीति को लेकर वित्त वर्ष 2025 के लिए आरबीआई का पूर्वानुमान था कि खुदरा मुद्रास्फीति केवल 4.5 प्रतिशत रहेगी, जो वित्त वर्ष 2026 में और भी कम 4.3 प्रतिशत होगी.

आईएमएफ के अनुसार, वित्त वर्ष 2025 में भारत की मुख्य मुद्रास्फीति 4.4 प्रतिशत रहने का अनुमान है तथा वित्त वर्ष 2026 में यह और भी कम होकर 4.1 प्रतिशत रह जाएगी. वर्मा ने आईएएनएस से कहा, "इसलिए प्रत्येक महत्वपूर्ण वैश्विक वित्तीय संस्थान कह रहा था कि भारत में मुद्रास्फीति में पर्याप्त कमी आएगी, आगे चलकर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर उत्तर की ओर बढ़ेगी, जो एक अच्छी खबर है."

आईएमएफ के अनुसार, कैलेंडर वर्ष 2024 में वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर 3.2 प्रतिशत के आसपास रहने की संभावना है और चीन के लिए यह 4.8 प्रतिशत है, जबकि पश्चिमी दुनिया के बड़े हिस्से में मुद्रास्फीति अभी भी काफी स्थिर है. वर्मा ने कहा, "इस पृष्ठभूमि में, प्रधानमंत्री मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में भारत ने ग्रामीण उपभोग की दृष्टि से जो कुछ हासिल किया है, वह कोई मामूली उपलब्धि नहीं है."

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