बिना वेतन ओवरटाइम के लिए किया मजबूर! शख्स ने पहले ही दिन छोड़ी नौकरी, शेयर किया इस्तीफा पत्र

प्रोडक्ट डिजाइनर ने अपने पहले दिन नौकरी छोड़ दी. उनका बिना वेतन के ओवरटाइम करने का दबाव डाल रहा था. इस घटना ने एक बार फिर से कार्यस्थल पर कर्मचारियों के अधिकारों और उनकी भलाई पर सवाल खड़े कर दिए हैं.

हाल के दिनों में काम-जीवन संतुलन पर बढ़ती बहस के बीच, एक प्रोडक्ट डिजाइनर ने अपने पहले दिन नौकरी छोड़ दी. उनका यह निर्णय उनके बॉस की अपेक्षाओं के कारण था, जिन्होंने बिना वेतन के ओवरटाइम करने का दबाव डाला. इस घटना ने एक बार फिर से कार्यस्थल पर कर्मचारियों के अधिकारों और उनकी भलाई पर सवाल खड़े कर दिए हैं.

बॉस की सोच: काम-जीवन संतुलन एक 'फैंसी टर्म' 

श्रेयस नामक इस प्रोडक्ट डिजाइनर ने अपने अनुभव को साझा करते हुए कहा कि जब उन्होंने काम के सामान्य घंटों के बाद अतिरिक्त काम करने की बात की, तो उनके बॉस ने इसे एक 'फैंसी टर्म' और 'पश्चिमी व्यवहार' कहकर मजाक उड़ाया. उन्होंने श्रेयर को धमकाते हुए कहा कि उन्हें 'रातों को काम करने' की अपेक्षा है, जो श्रेयस को 'असामान्य, अमानवीय और असंगत' लगा.

श्रेयर का अनुभव 

श्रेयस ने Reddit पर अपनी कहानी साझा करते हुए लिखा, "मेरे पहले दिन, 7 अक्टूबर को, मेरे रिपोर्टिंग मैनेजर ने स्पष्ट किया कि वह असामान्य प्रतिबद्धताओं की उम्मीद करते हैं - बिना किसी मुआवजे के सामान्य घंटों के बाद काम करने के लिए." उन्होंने बताया कि जब उन्होंने अपनी सीमाएं स्थापित करने की कोशिश की, तो उनके बॉस ने उनकी इच्छा को हंसकर उड़ा दिया.

उन्होंने आगे लिखा, "यह सिर्फ इसलिए नहीं है कि मैं काम के घंटों के बाद एक मिनट भी काम करने के लिए अनिच्छुक हूं, बल्कि यह व्यक्तिगत हमले, और इस बात के लिए हंसी उड़ाना है कि मेरी नौकरी के अलावा भी एक जीवन है. मुझे समझ है कि शोषण और विषाक्त वातावरण में क्या अंतर होता है."

कार्यस्थल पर कर्मचारियों के अधिकार 

इस घटना ने एक बार फिर कार्यस्थल पर कर्मचारियों के अधिकारों और उनकी भलाई पर ध्यान आकर्षित किया है. कार्यस्थल पर काम-जीवन संतुलन को नजरअंदाज करना न केवल कर्मचारियों के मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालता है, बल्कि यह लंबे समय में संगठन की उत्पादकता को भी प्रभावित कर सकता है.

इस प्रकरण ने यह स्पष्ट किया है कि कर्मचारियों को अपनी सीमाओं के बारे में स्पष्ट होना चाहिए और काम के वातावरण में स्वस्थ और सम्मानजनक संबंधों की आवश्यकता है. ऐसे उदाहरण हमें यह सोचने पर मजबूर करते हैं कि क्या हम अपने कार्यस्थल पर उन मूल्यों को स्थापित कर रहे हैं, जो हर कर्मचारी के लिए आवश्यक हैं.

इस तरह की घटनाएं हमें यह सिखाती हैं कि हर व्यक्ति को अपने काम और जीवन के बीच संतुलन बनाने का हक है. यदि किसी भी कार्यस्थल पर कर्मचारी की भलाई को नजरअंदाज किया जाता है, तो उसे अपने अधिकारों के लिए खड़े होने की आवश्यकता है. काम-जीवन संतुलन केवल एक अवधारणा नहीं है, बल्कि यह सभी के लिए एक महत्वपूर्ण वास्तविकता होनी चाहिए.

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