अरविंद केजरीवाल की रिहाई की खुशी में आतिशबाजी 'आप' कार्यकर्ताओं पर पड़ी भारी, दिल्ली पुलिस ने दर्ज की एफआईआर
Delhi Police

नई दिल्ली, 14 सितंबर : दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई है. कोर्ट के फैसले से आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं में काफी उत्साह है. हालांकि 'आप' कार्यकर्ताओं का यह उत्साह उन पर तब भारी पड़ गया जब उन्होंने केजरीवाल की रिहाई की खुशी में सिविल लाइन स्थित सीएम आवास के बाहर जमकर आतिशबाजी की.

केजरीवाल की रिहाई की खुमारी में कार्यकर्ताओं ने इस बात की भी परवाह नहीं की कि दिल्ली में पटाखे चलाना प्रतिबंधित है. ऐसे में दिल्ली पुलिस ने आतिशबाजी करने वाले 'आप' कार्यकर्ताओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है. यह मामला सिविल लाइन थाने में दर्ज किया गया है. इससे पहले दिल्ली भाजपा के नेताओं ने सोशल मीडिया पर ऐसे कार्यकर्ताओं के कई वीडियो शेयर किए थे जो अरविंद केजरीवाल की रिहाई की खुमारी में पटाखे चला रहे थे. दिल्ली पुलिस ने खुद संज्ञान लेते हुए पटाखे जलाने के मामले में अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है. यह भी पढ़ें : Mumbai Shocker: मुंबई में युवक ने प्रेमिका का गला काटा, फिर खुद की आत्महत्या की कोशिश, दोनों की हालत गंभीर

इन लोगों के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 233(बी) के तहत मामला दर्ज किया गया है. जिसमें वायु प्रदूषण के तहत इस मामले को अपराध माना जाता है. इस मामले में शिकायतकर्ता खुद दिल्ली पुलिस के सब-इंस्पेक्टर तरुण कुमार हैं. उल्लेखनीय है कि अरविंद केजरीवाल को सर्वोच्च अदालत से जमानत मिल चुकी है. कोर्ट ने कहा कि "उन्हें लंबे समय तक जेल में रखने से उनकी आजादी का गलत तरीके से हनन हुआ है." उन्हें जून में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने कथित शराब नीति मामले में गिरफ्तार किया था.

आम आदमी पार्टी के सर्वोच्च नेता अरविंद केजरीवाल ने लगभग छह महीने जेल में बिताए हैं. उनको प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा दर्ज मामले में उन्हें पहले ही जमानत मिल चुकी है. जिसके चलते उनका अब जेल से बाहर आने का रास्ता साफ है. हालांकि, वह अब भी अपने ऑफिस या दिल्ली सचिवालय नहीं जा सकते और उप-राज्यपाल वीके सक्सेना की अनुमति के बिना किसी फाइल पर हस्ताक्षर नहीं कर सकते. शुक्रवार सुबह एक संक्षिप्त सुनवाई में जस्टिस उज्जल भूयान और जस्टिस सूर्यकांत ने केजरीवाल की दो अलग-अलग याचिकाओं पर अपने फैसले सुनाए, लेकिन दोनों इस बात पर सहमत थे कि दिल्ली के मुख्यमंत्री को रिहा किया जाना चाहिए.