Farmers Protest: पीएम को भेजे गए पत्र का नहीं मिला जवाब, किसान संगठन आज करेंगे अहम बैठक, आंदोलन होगा और तेज

कृषि से जुड़ी मांगों को लेकर चल रहे किसान आंदोलन के बीच किसानों द्वारा प्रधानमंत्री को भेजे गए पत्र को लेकर अभी तक कोई जवाब नहीं आया है. इसको लेकर किसानों ने यह फैसला लिया है कि मंगलवार को होने वाली बैठक में आंदोलन को तेज करने पर आगे की रूप रेखा तैयार की जाएगी.

किसान आंदोलन (Photo Credits: Twitter/File Photo)

नई दिल्ली: कृषि से जुड़ी मांगों को लेकर चल रहे किसान आंदोलन के बीच किसानों द्वारा प्रधानमंत्री को भेजे गए पत्र को लेकर अभी तक कोई जवाब नहीं आया है. इसको लेकर किसानों ने यह फैसला लिया है कि मंगलवार को होने वाली बैठक में आंदोलन को तेज करने पर आगे की रूप रेखा तैयार की जाएगी. हाल ही में एसकेएम ने लंबित मुद्दों को हल करने के लिए भारत सरकार के साथ बातचीत करने के लिए अशोक धवले, बलबीर सिंह राजेवाल, गुरनाम सिंह चढूनी, शिव कुमार कक्काजी और युद्धवीर सिंह की पांच सदस्यीय समिति का गठन किया था.

पांच सदस्यीय कमेटी ने सोमवार सिंघु बॉर्डर पर बैठक की, जिसमें यह तय किया गया है कि, बैठक में आंदोलन को आगे बढ़ाने के लिए सबकी सहमति से निर्णय लिया जाएगा. SKM ने सरकार को भेजे आंदोलन में मारे गए 702 किसानों के नाम, केंद्र ने कहा था मरने वालों का आंकड़ा नहीं, इसलिए मुआवजे का सवाल नहीं

इस मसले पर संयुक्त किसान मोर्चा ने बताया कि, 5 सदस्यीय समिति को अभी तक केंद्र सरकार से 21 नवंबर को प्रधानमंत्री को लिखे अपने पत्र में उल्लिखित मुद्दों पर चर्चा के लिए कोई संदेश नहीं मिला है. ऐसे में सिंघू मोर्चा में मंगलवार अपनी बैठक के माध्यम से आंदोलन तीव्र करने के लिए भविष्य के कार्यक्रम की घोषणा की जाएगी.

हालांकि उत्तरप्रदेश और उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव होने हैं, ऐसे में संयुक्त किसान मोर्चा ने साफ कर दिया है कि, एमएसपी की कानूनी गारंटी, बिजली संशोधन बिल की वापसी, वायु प्रदूषण बिल से किसानों के जुर्माने की धारा को हटाना, केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी की गिरफ्तारी और बर्खास्तगी, किसानों पर लगाए गए फर्जी मुकदमों की वापसी और शहीद परिवारों का पुनर्वास, और शहीद स्मारक आदि जैसे मुद्दे अनसुलझे हैं. इसलिए ये मुद्दे मिशन यूपी और उत्तराखंड को प्रभावित करेंगे.

दरअसल संयुक्त किसान मोर्चा इस बात को लेकर जानकारी प्राप्त हुई कि, कई भाजपा नेताओं द्वारा बयान दिया जा रहा है कि, तीन कानूनों को वापस लेने के फैसले के बाद, आगामी विधानसभा चुनावों में किसान आंदोलन प्रभावशाली नहीं होगा, यह पूरी तरह से निराधार है. इसके बाद मोर्चा ने इसपर अपना स्टैंड क्लीयर कर दिया है.

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