Farmers Bill 2020: कृषि बिल के खिलाफ यूपी में किसानों का प्रदर्शन, राजनीतिक दलों का समर्थन
केंद्र सरकार के कृषि बिल के विरोध में शुक्रवार को देश भर में तमाम विपक्षी पार्टियों के साथ भारतीय किसान यूनियन के बंद का असर सड़कों पर दिखने लगा. भाकियू समेत विभिन्न किसान संगठनों ने भारत बंद का ऐलान किया है. इस दौरान चक्का जाम भी किया जा रहा है.
केंद्र सरकार के कृषि बिल के विरोध में शुक्रवार को देश भर में तमाम विपक्षी पार्टियों के साथ भारतीय किसान यूनियन के बंद का असर सड़कों पर दिखने लगा. भाकियू समेत विभिन्न किसान संगठनों ने भारत बंद का ऐलान किया है. इस दौरान चक्का जाम भी किया जा रहा है. उत्तर प्रदेश में राजधानी लखनऊ से सटे बाराबंकी, सीतापुर तथा रायबरेली के अलावा पश्चिमी उत्तर प्रदेश में किसान विभिन्न दल के नेताओं के साथ सड़कों पर उतरे हैं. कई जगह पर पराली जलाई गई है. पुलिस के बेहद मुस्तैद रहने के बाद भी कई जगह पर सड़क जाम करने का प्रयास भी किया गया. भाकियू के बैनर तले पश्चिमी यूपी में भी किसानों ने इसका विरोध किया है.
किसानों का आरोप है कि केंद्र के कृषि बिल से न्यूनतम समर्थन मूल्य की व्यवस्था खत्म हो जाएगी और कृषि क्षेत्र भी देश के बड़े पूंजीपतियों के हाथों में चला जाएगा. किसानों ने कहा कि तीनों विधेयक वापस लिए जाने तक वे अपनी लड़ाई जारी रखेंगे. किसान नेता आशू चौधरी ने कहा कि केंद्र सरकार आनन-फोनन में जो ये कृषि अध्यादेश लेकर आई है, हम लोग इसका विरोध कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि अगर ये अध्यादेश किसानों के हित में है, तो इसे लागू करने से पहले किसानों से बात की जाती. फि र सभी की सहमति के बाद इसे लागू किया जाता. आशू चौधरी ने कहा कि इतने सालों से देश का किसान एक आयोग की मांग कर रहा है, लेकिन उस पर ध्यान न देकर इस अध्यादेश को लागू किया गया है. लखनऊ से सटे बाराबंकी के साथ ही बागपत व मिर्जापुर में किसान जोरदार प्रदर्शन कर रहे हैं. इस दौरान नेशनल हाइवे पर पराली जलाकर आगजनी का प्रयास भी किया गया. कई जगह पर सड़क जाम करने के साथ किसान प्रदर्शन कर रहे हैं. हर जगह पर्याप्त संख्या में पुलिस के साथ पीएसी के जवान भी मुस्तैद हैं. यह भी पढ़े: Farmers Boll 2020: कांग्रेस ने की किसानों के आंदोलन में शामिल होने और कृषि विधेयकों का विरोध करने की अपील, कहा- राष्ट्र को 62 करोड़ किसानों के साथ खड़ा होना चाहिए
सीतापुर में किसान बिल के विरोध में कई संगठन मैदान में उतरे हैं. इसी बिल के विरोध में शुक्रवार सुबह लोगों ने सीतापुर बरेली नेशनल हाईवे पर जाम लगा दिया. मोहनलालगंज में सैकड़ों की संख्या में किसान तहसील में पहुंचे. यह सभी किसान बिल के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं. किसान आंदोलन से राहगीरों को काफी परेशानी झेलनी पड़ रही है. हाइवे के दोनों तरफ गाड़ियों की लंबी लाइनें लग गईं हैं. सहारनपुर में भारतीय किसान यूनियन के नेताओं के साथ किसानों ने दिल्ली-देहरादून एनएच 307 पर दरी बिछाकर हाईवे पर कब्जा किया. मुजफ्फरनगर में भारतीय किसान यूनियन ने कृषि विधेयक के विरोध के साथ गन्ना भुगतान व किसानों की समस्याओं को लेकर चक्का जाम किया. जिले के दस स्थानों पर कार्यकर्ता एकत्र होने के बाद यूनियन के वरिष्ठ पदाधिकारियों के नेतृत्व में हाईवे पर पहुंचे और जाम लगाया. खतौली, रामपुर तिराहा, तितावी आदि के साथ शहर के भीतर भी सुरक्षा व्यवस्था को अलर्ट किया गया है. पीएसी बल तैनात किया गया है. यह भी पढ़े: Farm Bills 2020: कृषि बिल के विरोध में किसानों का चक्का जाम, पंजाब और हरियाणा में कई ट्रेनें रद्द
भाकियू कार्यकर्ताओं ने बागपत, बड़ौत और अग्रवाल मंडी टटीरी आदि स्थानों पर जाम लगाकर धरना दिया. किसानों ने कृषि विधेयकों के विरोध में जमकर भड़ास निकाली. मिर्जापुर में किसान बिल के विरोध में भारत बंद के दौरान जगह-जगह चक्का जाम किया गया. यहां पर किसानों का भरुहना से कमिश्नर कार्यालय तक मार्च हो रहा है. इसके साथ सपा कार्यकर्ताओं ने डीएम को ज्ञापन सौंपा. बागपत के बड़ौत में दिल्ली बस स्टैंड के साथ ही बागपत-मेरठ मार्ग पर चक्का जाम किया है. इसके बाद दिल्ली-सहारनपुर हाइवे पर भी जाम लगाने के साथ किसानों ने दिल्ली कूच की चेतावनी दी है. यहां किसानों ने केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी. जाम की सूचना पर मौके पर पहुंची पुलिस फोर्स ने भाकियू कार्यकर्ताओं को समझ बुझाकर जाम को खुलवाया. गाजियाबाद में भी किसानों को कांग्रेस के साथ सपा व रालोद का भी समर्थन मिल रहा है.