हैकिंग के जरिए किया जा रहा किसानों का समर्थन, रैंसमवेयर हमले में दी गई चेतावनी
साइबर फ्रॉड (Photo Credits: Pixabay)

नई दिल्ली, 11 मार्च : भारत में किसानों के विरोध (Farmers protest) का समर्थन करने के लिए साइबर अपराधियों ने एक अनोखे तरीके से देश में एक नया रैंसमवेयर हमला (Ransomware attack) लॉन्च किया है, जो पैसे की मांग के लिए नहीं, बल्कि समुदाय के लिए न्याय की मांग करता है. इस रैंसमवेयर हमले में यह संदेश दिया गया है कि जब तक किसानों की मांग पूरी नहीं हो जाती, तब तक कोई भी डेटा रिकवर नहीं किया जा सकेगा. बुधवार को सामने आई एक नई रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है. रिपोर्ट में कहा गया है कि रैंसमवेयर को भारत में किसानों के विरोध से जुड़ी संस्थाओं को निशाना बनाने के लिए डिजाइन किया गया है, जिसमें खालसा साइबर फौज नामक हैकर समूह देश में इस हमले का नेतृत्व कर रहा है. वैश्विक साइबरसिक्योरिटी कंपनी क्विक हील टेक्नोलॉजीज के थ्रीट रिसर्च एंड रिस्पॉन्स डिविजन क्विक हील सिक्योरिटी लैब्स ने कहा कि इसने सर्बलो नाम के रैंसमवेयर की खोज की है, जिसे ईमेल के माध्यम से दुर्भावनापूर्ण वर्ड डॉक्यूमेंट्स (Word documents) के माध्यम से वितरित किया जा रहा है, जिसमें किसानों के समुदाय का समर्थन करने वाला एक राजनीतिक संदेश शामिल है.

क्विक हील सिक्योरिटी लैब्स के निदेशक हिमांशु दुबे ने एक बयान में कहा, "नवीनतम सर्बलो रैंसमवेयर बिना किसी मौद्रिक मिजाज के किसानों के पक्ष में काम करता प्रतीत होता है, जो उनकी बढ़ती हमले क्षमताओं का प्रमाण है." बता दें कि रैंसमवेयर साइबर हमला एक तरह से फिरौती मांगना है, जहां वायरस कंप्यूटर के डाटा को लॉक कर देता है और बदले में बिट कॉइन के जरिए पैसे की मांग की जाती है. इसके लिए कंप्यूटर स्क्रीन पर एक लिंक भी दिया जाता है, जिस पर ऑनलाइन पेमेंट करने को कहा जाता है. मगर हैरानी की बात यह है कि इस नई हमले की तकनीक के माध्यम से हैकर्स फिरौती मांगने के बजाय फाइलों को एन्क्रिप्ट करके यूजर्स के डिवाइस में गड़बड़ी कर रहे हैं. जबकि आमतौर पर किसी भी रैंसमवेयर का मुख्य उद्देश्य फिरौती मांगना ही होता है. यह भी पढ़ें : पश्चिम बंगाल: ममता बनर्जी को चोट लगने के कारण टीएमसी आज नहीं जारी करेगी अपना घोषणा पत्र

कंपनी ने उल्लेख किया, "खालसा साइबर फौज सिस्टम फाइलों पर मिल्रिटी-ग्रेड एन्क्रिप्शन का उपयोग कर रही है." यह खबर ऐसे समय पर सामने आई है, जब दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर केंद्रीय कृषि कानूनों के विरोध में प्रदर्शन कर रहे किसान अब सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ हलचल को मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं. किसान राष्ट्रीय राजधानी के विभिन्न सीमाओं पर 26 नवंबर, 2020 से केंद्र की ओर से पारित किए गए तीन नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं. दुबे ने कहा, "हम खतरे के माहौल का विश्लेषण करना जारी रखेंगे और अपने यूजर्स के लिए सुरक्षा उपायों को तैनात करेंगे." कंपनी ने यूजर्स को अज्ञात ईमेल और संदेशों से आने वाले किसी भी अटैचमेंट को डाउनलोड न करने की सलाह दी है. कंपनी ने सचेत करते हुए कहा है कि किसी भी संदिग्ध या अनचाहे लिंक और स्पैम ईमेल में पाए जाने वाले लिंक पर क्लिक करने से बचें.