कोलकाता, 27 नवंबर : पश्चिम बंगाल में 2021 में होने वाले विधानसभा चुनावों से कुछ महीने पहले मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बृहस्पतिवार को कहा कि राज्य सरकार द्वारा संचालित स्वास्थ्य योजना ‘स्वास्थ्य साथी’ का लाभ एक दिसंबर, 2020 से अब प्रदेश के प्रत्येक परिवार और व्यक्ति को प्राप्त होगा.
केन्द्र की योजना ‘आयुष्मान भारत’ के साथ तुलना करते हुए बनर्जी ने कहा कि केंद्रीय योजना को राज्यों के साथ 60:40 के अनुपात में लागू किया जाता है, जबकि ‘स्वास्थ्य साथी’ पर आने वाला पूरा वित्तीय खर्च पश्चिम बंगाल सरकार उठाती है.
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बनर्जी ने पत्रकारों से कहा, ‘‘इससे पहले हमने ‘स्वास्थ्य साथी’ के तहत कम से कम 7.5 करोड़ लोगों को लाभ देने का फैसला लिया था. आज मैं घोषणा करती हूं कि इस योजना के तहत पश्चिम बंगाल के प्रत्येक परिवार, प्रत्येक व्यक्ति, बुजुर्ग, बच्चे या महिला सभी को इस योजना के तहत लाभ मिलेगा, फिर चाहे वे किसी भी धर्म को मानने वाले हों.’’
उन्होंने कहा, ‘‘आयुष्मान भारत के लिए केन्द्र सरकार महज 60 प्रतिशत राशि देती है. बाकी 40 प्रतिशत कौन देगा? अगर आम आदमी को पांच लाख के बीमा के लिए 2.5 लाख रुपये देने पड़ें तो वह ऐसा बीमा क्यों कराएगा. हमारी स्वास्थ्य साथी योजना पूरी तरह से सरकार द्वारा वित्त पोषित है.’’
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तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ने कहा कि केन्द्र अगर योजना के लिए पूरा 100 प्रतिशत खर्च उठाने को तैयार है तो वह उसका स्वागत करेंगी. उन्होंने कहा, ‘‘अगर वे आयुष्मान भारत का पूरा खर्च उठाना चाहते हैं तो वह इसे चलाएं. वे ऐसा क्यों नहीं करते हैं.’’
उन्होंने कहा कि योजना का लाभ लेने के लिए प्रत्येक परिवार को एक स्मार्ट कार्ड दिया जाएगा. इसके तहत राज्य के सभी सरकारी और निजी अस्पतालों को शामिल किया गया है.
बनर्जी द्वारा औपचारिक रूप से दिसंबर 2016 में शुरू की गई इस योजना के तहत लोगों को प्रतिवर्ष पांच लाख रुपये का बीमा कवर प्राप्त होगा.
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘परिवार की महिला मुखिया को एक दिसंबर 2020 से यह कार्ड जारी किए जाएंगे. ‘दुआरे दुआरे पश्चिमबोंगो सरकार’ (प्रत्येक द्वार पश्चिम बंगाल सरकार) योजना के तहत सरकारी प्रतिनिधि प्रत्येक घर में जाएंगे जहां परिवार योजना के लिए पंजीकरण करा सकेंगे.’’
अन्य किसी स्वास्थ्य योजना का लाभ नहीं उठा रहा व्यक्ति इस कार्ड की मदद से अस्पताल में कैश-लेस इलाज करा सकता है.
उन्होंने बताया कि इस स्वास्थ्य योजना पर आने वाले 2,000 करोड़ रुपये वार्षिक खर्च का भार राज्य सरकार उठाएगी.