Woman Abused The Judge in The High Court: दिल्ली हाई कोर्ट ने ऑस्ट्रेलिया में रहने वाली एक भारतीय महिला अनीता कुमारी गुप्ता के खिलाफ आपराधिक अवमानना का मामला दर्ज किया है. आरोप है कि एक वर्चुअल कोर्ट सुनवाई के दौरान गुप्ता ने जज और अदालत के खिलाफ अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया था.
10 जनवरी को, गुप्ता एक मामले की सुनवाई के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कोर्ट में शामिल हुईं. जब उनके मामले की अगली सुनवाई तारीख मिल गई और कोर्ट ने अगला मामला शुरू किया, तो उन्होंने जज नीना बंसल कृष्णा और अदालत के खिलाफ गाली-गलौज की. ये भी पढ़ें- HC- Husband Wife and Salary: पत्नी को पति की सैलरी जानने का अधिकार, तलाक की कार्रवाई के दौरान भी पति को देनी होगी पूरी जानकारी
अभद्र शब्दों का किया इस्तेमाल
कोर्ट के आदेश के मुताबिक, गुप्ता ने कहा, "आइटम नंबर 10 से पहले कैसे आइटम नंबर 11 लिया जा सकता है... ये साली कर क्या रही है? (वह क्या कर रही है?) (What the f*** is going on in this court) इस अदालत में क्या चल रहा है?"
जज कृष्णा ने गुप्ता को कारण बताओ नोटिस जारी किया और उन्हें 16 अप्रैल को व्यक्तिगत रूप से अदालत में पेश होने का आदेश दिया. अदालत ने विदेशी क्षेत्रीय पंजीकरण कार्यालय (एफआरआरओ) को यह भी आदेश दिया कि अगर गुप्ता सुनवाई की तारीख से पहले भारत आती हैं तो उनके पासपोर्ट/वीजा को रद्द कर दिया जाए.
निर्देश के बिना देश छोड़ने की अनुमति नहीं
कोर्ट ने आगे कहा कि गुप्ता को इस अदालत के निर्देश के बिना देश छोड़ने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए. कोर्ट ने आदेश दिया, "कैनबरा, ऑस्ट्रेलिया में भारतीय उच्चायोग को भी इस आदेश के बारे में वादी/अनीता कुमारी गुप्ता, जो वर्तमान में सिडनी, ऑस्त्रेलिया में रहने वाली बताई गई हैं, को सिडनी, ऑस्ट्रेलिया में भारत के महावाणिज्य दूतावास के माध्यम से सूचित करने का निर्देश दिया जाता है."
कोर्ट ने यह आदेश पारित करते हुए कहा कि गुप्ता की टिप्पणी तब भी की गई थी, जब मामले की सुनवाई के लिए अंतिम बहस की तारीख पर पार्टियों का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील सहमत हो गए थे.
अदालत की गरिमा कम हुई
कोर्ट ने आदेश दिया, "ऐसी अपमानजनक टिप्पणियों को देखते हुए जो अदालत की गरिमा को कम करती हैं, स्वत: अवमानना का संज्ञान लिया जाता है. तदनुसार, वादी/अनीता कुमारी गुप्ता, जो वर्तमान में सिडनी, ऑस्ट्रेलिया में रहने वाली बताई गई हैं, को कारण बताओ नोटिस जारी किया जाता है, कि उन्हें अदालत की अवमानना अधिनियम, 1971 के तहत दंडित क्यों नहीं किया जाना चाहिए."
गुप्ता के लिए अधिवक्ता सुनील मेहता और ईशान रॉय चौधरी पेश हुए. वकील संजीव महाजन ने प्रतिवादियों का प्रतिनिधित्व किया.