टेलीफोन एक्सचेंज मामला, डीएमके नेता दयानिधि मारन पर चलेगा मुकदमा
पूर्व दूरसंचार मंत्री दयानिधि मारन (Photo Credits PTI File )

नई दिल्ली: सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को पूर्व दूरसंचार मंत्री दयानिधि मारन की मद्रास उच्च न्यायालय के एक आदेश को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दिया. इसके साथ ही अवैध टेलीफोन एक्सचेंज मामले में मारन के खिलाफ मुकदमे का रास्ता साफ हो गया. मद्रास उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में उन पर अवैध टेलीफोन एक्सचेंज मामले में मुकदमा चलाए जाने का निर्देश दिया था.

उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ मारन की याचिका खारिज करते हुए न्यायमूर्ति रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति आर. भानुमति व न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा की पीठ ने कहा, "आरोप यह है कि आप इस सब का (टेलीफोन एक्सचेंज) अपने भाई के व्यापार के लिए इस्तेमाल कर रहे थे."

उच्च न्यायालय ने आरोप तय करने का निर्देश देते हुए इससे पहले निचली अदालत के मामले में मारन को रिहा किए जाने के आदेश को रद्द कर दिया था. उच्च न्यायालय ने मामले की सुनवाई 12 महीने के भीतर पूरा करने का भी आदेश दिया था.

मारन व तीन अन्य बीएसएनएल अधिकारियों की उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ याचिका को खारिज करते हुए न्यायमूर्ति गोगोई ने कहा, "हम उच्च न्यायालय के आदेश में दखल देने को तैयार नहीं हैं. चूंकि हमारी राय को रिकॉर्ड किए जाने से सुनवाई प्रभावित हो सकती है, इसलिए हम ऐसा करने से बचते हैं."

आरोपी अधिकारियों में से एक ने मामले में अदालत में अपना पक्ष रखना चाहा। इस पर खंडपीठ ने कहा, "अपने मंत्री के साथ जाओ। आप के खिलाफ गंभीर आरोप हैं."

मद्रास उच्च न्यायालय ने 25 जून को पूर्व केंद्रीय मंत्री मारन व उनके बड़े भाई व सन टीवी समूह के प्रमुख कलानिथि मारन के खिलाफ अवैध टेलीफोन एक्सचेंज मामले को सीबीआई की एक विशेष अदालत में फिर से भेज दिया और सभी आरोपियों के खिलाफ आरोप तय करने के आदेश दिए.

उच्च न्यायालय का यह आदेश केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की विशेष अदालत के 14 मार्च के आदेश को दी गई चुनौती पर आया था. विशेष सीबीआई अदालत ने 14 मार्च के आदेश में मारन बंधुओं व अन्य को अवैध टेलीफोन मामले में बरी कर दिया था.

सीबीआई ने कथित तौर पर दयानिधि मारन के घर में एक अवैध टेलीफोन एक्सचेंज लगाए जाने के कारण सरकार को 1.78 करोड़ रुपये के नुकसान का आरोप लगाया है. इस एक्सचेंज का इस्तेमाल सन टीवी के संचालन के लिए किया जाता था.

सीबीआई अदालत द्वारा बरी किए गए अन्य लोगों में बीएसएनएल के पूर्व मुख्य महाप्रबंध के.ब्रह्मनाथन व पूर्व उप महाप्रबंधक एम. वेलुसामी, पूर्व मंत्री के निजी सचिव वी.गोवथमन व सनटीवी नेटवर्क के कर्मचारी एस.कन्नन व के.एस.रवि शामिल हैं.