England's Tour of India: इंग्लैंड के भारत दौरे के दौरान कोरोना के चलते होगा ये बड़ा बदलाव

कोविड-19 (COVID-19) के कारण इंग्लैंड (England) का दक्षिण अफ्रीका (South Africa) दौरे पर होने वाली वनडे सीरीज रद्द होने के बाद इस बात की चिंताएं बढ़ गई है कि कोविड-19 आइसोलेशन प्रोटोकॉल (Isolation protocol) का अत्यंत उच्च मानक प्रक्रिया क्या अधिकांश क्रिकेट बोर्डो (Cricket boards) के लिए संभव हो सकते हैं.

England's Tour of India: इंग्लैंड के भारत दौरे के दौरान कोरोना के चलते होगा ये बड़ा बदलाव
प्रतिकात्मक तस्वीर (Photo Credits: Twitter)

नई दिल्ली, 10 दिसम्बर : कोविड-19 (COVID-19) के कारण इंग्लैंड (England) का दक्षिण अफ्रीका (South Africa) दौरे पर होने वाली वनडे सीरीज रद्द होने के बाद इस बात की चिंताएं बढ़ गई है कि कोविड-19 आइसोलेशन प्रोटोकॉल (Isolation protocol) का अत्यंत उच्च मानक प्रक्रिया क्या अधिकांश क्रिकेट बोर्डो (Cricket boards) के लिए संभव हो सकते हैं. इंग्लैंड की टीम अब फरवरी-मार्च में भारत का दौरा करेगी, जोकि दक्षिण अफ्रीका का दौरा रद्द होने के बाद उसका पहला विदेशी दौरा होगा.

बीसीसीआई (BCCI) ने गुरुवार को इंग्लैंड के भारत दौरे के कार्यक्रम की घोषणा की. इस सीरीज में चार टेस्ट, पांच टी-20 (T20) और तीन वनडे मुकाबले खेले जाएंगे. सभी मैच-चेन्नई, अहमदाबाद और पुणे में खेले जाएंगे. भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) को अब एक बहुत ही उच्च-स्तरीय बायो बबल और वैक्यूम-सील वातावरण का निर्माण करना पड़ सकता है और इस बात की संभावना है कि वह यह काम ब्रिटेन की कंपनी रेस्ट्रेटा को दे सकती है. रेस्ट्रेटा वही कंपनी है, जिसने हाल में आईपीएल के लिए बायो सिक्योर इंवायरमेंट (बीएसई) बनाया था.

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क्रिकेट साउथ अफ्रीका (CSA) के टीम डॉक्टर सुएब मांजरा ने कहा है कि इंग्लैंड जैसी टीमों को अब विदेशों का दौरा करते समय टैम्पर्ड मॉडल अपनाना होगा और उन्हें विस्तृत और महंगे मॉडल की उम्मीद नहीं रखनी होगा, जिससे वे घरेलू सीजन में सफल हुए हैं.

मांजरा ने दक्षिण अफ्रीका से फोन पर आईएएनएस से कहा, " इंग्लैंड को वैक्यूम सील वातारण में वेस्टइंडीज, पाकिस्तान और आस्ट्रेलिया की मेजबानी करने अभूतपूर्व अनुभव था. बायो सिक्योर इंवायरमेंट (BSE) के साथ इस तरह की मेजबानी करने में संसाधन, समय और धन की एक बड़ी राशि लगी. उन्होंने उस सीजन के लिए 30,000 टेस्ट किए और केवल एक मामला पॉजिटिव आया. यह काफी सफल रहा. इंग्लैंड को यह सही लगा क्योंकि अब उनके खिलाड़ी और प्रबंधन अब इस बात पर विचार कर रहे हैं कि कहीं और भी उन्हें इसी तरह का स्तर मिलेगा."

मंजरा का मानना है कि इंग्लैंड ने जो किया है उसकी तुलना में एक टैम्पर्ड मॉडल है क्योंकि यह अधिक व्यावहारिक है और एक वैक्यूम-सीलबंद वातावरण में इसकी लागत भी ज्यादा नहीं है. उन्होंने कहा कि पॉजिटिव पाए जाने वाले खिलाड़ियों का उचित रूप से प्रबंध किया जाना चाहिए.

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आईपीएल में भी ऐसी ही चीजें हुई थी, जहां उच्च स्तरीय बीएसई होने के बावजूद कुछ खिलाड़ी और सपोर्ट सटाफ पॉजिटिव पाए गए थे. लेकिन इसके बावजूद लीग का आयोजन हुआ था और फिर उसके बाद कोई पॉजिटिव मामला सामने नहीं आया.

मांजरा ने कहा, " इंग्लैंड ने घर में जो कुछ भी किया, उसकी तुलना में एक टेम्पर्ड मॉडल को आदर्श के रूप में स्वीकार करने की आवश्यकता है. फुटबाल में प्रीमियर लीग, ला लीगा, बुंडेसलिगा जैसे लीग में ऐसा हो रहा है जबकि फॉमूर्ला वन और नेटबॉल में भी हो रहा है. इंग्लैंड ने जब घरेलू क्रिकेट सीरीज से पहले सख्त बायो बबल लगाया, तो उस समय देश में कम्युनिटी ट्रांसमीशन उच्च स्तर पर था."

इंग्लैंड एंड वेल्स क्रिकेट बोर्ड (ECB) ने अक्टूबर में स्वीकार किया था कि महंगे बीएसई को 2021 में दोहराया नहीं जाएगा. ईसीबी को इससे 100 मिलियन पाउंड का नुकसान हुआ था. 30,000 टेस्टों की ही लागत एक मिलियन पाउंड थी. दूसरी ओर, बीसीसीआई ने आईपीएल के दौरान 20,000 टेस्टों पर अकेले 10 करोड़ रुपये खर्च किए थे.


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