केजरीवाल सरकार के मंत्री गोपाल राय ने भरा दम, कहा- पराली के समाधान को लेकर केंद्र ने जो करना चाहिए था वो हमने किया
पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा, पराली समाधान को लेकर जो काम केंद्र को करना चाहिए था उसे दिल्ली सरकार ने किया
दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि पराली के समाधान के लिए भाजपा की केंद्र सरकार को जो काम करना चाहिए था, वह काम दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार ने किया है. दिल्ली सरकार ने दिल्ली के लोगों की जिंदगी को बचाने के लिए पराली के समाधान के लिए बायो डीकंपोजर तकनीक का प्रयोग किया, जबकि उत्तर प्रदेश, पंजाब और हरियाणा में पराली जलाई जाती है और इसके प्रदूषण से दिल्ली के लोग परेशान होते हैं. भाजपा का कहना है कि दिल्ली सरकार ने पूसा इंस्टीट्यूट से कैप्सूल खरीदा ही नहीं है, इससे बड़ा कोई झूठ नहीं हो सकता है. दिल्ली में बायो डीकंपोजर से पराली के समाधान का प्रयोग सफल रहा है. 15 सदस्यीय कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर ही दिल्ली सरकार ने एयर क्वालिटी कमीशन में याचिका दायर की है.
गोपाल राय ने कहा कि विपक्ष का काम है विरोध करना, लेकिन विपक्ष सिर्फ झूठ बोले और तथ्यहीन बातें करे, यह ठीक नहीं है। भाजपा से अपील है कि लोगों की जिंदगी से जुड़े हुए मसलों पर राजनीति न करे, झूठ बोल कर सच्चाई को नहीं दबाया जा सकता हैं. पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने आज एक डिजिटल प्रेस कांफ्रेंस के दौरान कहा कि प्रदूषण के खिलाफ पूरे दिल्ली वालों ने मिलकर अभियान छेड़ा हुआ है. दिल्ली के अंदर चाहे वह वाहन का प्रदूषण है, उसको कम करने के लिए रेड लाइट ऑन गाड़ी आफ अभियान चलाया जा रहा है. दिल्ली के अंदर धूल के प्रदूषण को रोकने के लिए सरकार ने शक्ति के साथ एंटी डस्ट अभियान चलाया है. दिल्ली के अंदर जगह-जगह जो आग लगती है, उस बायोमास बर्निंग को रोकने के लिए टीमें बनाकर कार्रवाई की जा रही है. यह भी पढ़े: दिल्ली: CM केजरीवाल का बड़ा बयान, कहा- प्रदूषण से निपटने के लिए राजनीतिक इच्छा शक्ति की जरूरत, पराली की समस्या को अवसर में बदला जा सकता है
दिल्ली के अंदर राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान संस्थान पूसा के साथ मिलकर पराली की समस्या के समाधान के लिए बायो डीकंपोजर का प्रयोग किया गया. एक तरफ जहां अरविंद केजरीवाल जी के नेतृत्व में सरकार दिल्ली के प्रदूषण को कम करने में लगी हुई है, वहीं दूसरी तरफ, भारतीय जनता पार्टी के नेता दिल्ली के अंदर रहते हैं, लेकिन दिल्ली के प्रदूषण को कम करने की जगह बार-बार झूठ बोल रहे हैं और दुष्प्रचार करने के लिए पूरी शिद्दत के साथ सड़क पर उतरते हुए दिखते हैं। दिल्ली में रेड लाइट आन गाड़ी आफ अभियान चल रहा है, भारतीय जनता पार्टी के नेता विजय गोयल जी उसका विरोध करने के लिए सड़क पर आते हैं। वो वाहन प्रदूषण को कम करने के लिए वह सड़क पर नहीं आते हैं। दिल्ली के अंदर चल रहे एंटी डस्ट अभियान में भाजपा अपनी भागीदारी नहीं देती है। दिल्ली के अंदर जगह-जगह आग लगती है और भारतीय जनता पार्टी उस को नियंत्रित करने में नहीं मदद नहीं करती है. अभी कूड़े का पहाड़ जल रहा है और वे झूठा अनर्गल आरोप-प्रत्यारोप लगाने में व्यस्त हैं.
पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने बताया कि दिल्ली के आसपास से पिछले 2 महीने से पराली के जलने की घटनाओं ने दिल्ली के लोगों का दम घोंट रखा है। किसान परेशान होता है, क्योंकि उसके पास पराली का कोई समाधान नहीं है। दिल्ली के अंदर पहली बार राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान संस्थान ने नया आविष्कार बायो डीकंपोजर का नया अविष्कार किया। पूसा ने कवक के माध्यम से कैप्सूल बनाया और उसकी मदद से पराली को गलाया जा सकता है और उसे खाद बनाया जा सकता है। दिल्ली सरकार ने पूसा इंस्टीट्यूट के साथ मिलकर के दिल्ली के अंदर इसका प्रयोग किया और वह काफी सफल रहा है.पर्यावरण मंत्री ने कहा कि अभी भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने आज प्रेस कांफ्रेंस करके कहा कि दिल्ली के अंदर कहीं पर बायो डीकंपोजर घोल का छिड़काव ही नहीं हुआ। वे पूरी दिल्ली में घूम कर आए हैं और एक ही दिन पूरी दिल्ली के खेत नाप आए.
दिल्ली सरकार को पूरी दिल्ली में घूम घूम कर घोल का छिड़काव करने में 20 दिन लग गए। भाजपा के नेता कह रहे हैं कि वे पूसा इंस्टीट्यूट से बात कर आए हैं और पूसा का कहना है कि दिल्ली सरकार ने उनसे कैप्सूल खरीदा ही नहीं है। गोपाल राय ने कहा कि इससे बड़ा झूठ कुछ नहीं हो सकता है। हर चीज की एक हद होती है। आप विरोध करिए, विपक्ष का काम है विरोध करना, लेकिन आप झूठ बोलिए और सरासर झूठ बोलिए, तथ्यहीन बातें कहिए, यह ठीक नहीं है. पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने पूरे घटनाक्रम को विस्तार से बताते हुए कहा कि दिल्ली के अंदर लगभग 15000 एकड़ जमीन पर धान की खेती होती है। उस 15000 एकड़ में जो धान की खेती होती है, उसमें से 2000 एकड़ खेत में गैर बासमती चावल की खेती होती है,.
बाकी 13000 एकड़ बासमती धान की खेती होती है. यह, वो प्रजाति है, किसान जिसे जड़ से काटता है और उसका पुआल और डंठल अलग करता है और धान को मार्केट में बेचता है। जितनी भी बासमती धान की खेती होती है, मैकेनाइज्ड मशीन से उसकी कटाई नहीं होती है, बल्कि हाथ से कटाई होती है। इसीलिए उस धान का डंठल खेत में नहीं रहता है और उसको जलाने की जरूरत नहीं पड़ती है। वहीं, 2000 एकड़ जमीन पैदा होने वाली गैर बासमती धान की कटाई मैकेनाइज मशीन से होती है और पाली का डंठल खेत में छूट जाता है, उसको किसान जलाता है जिससे धुंआ पैदा होता है और उससे प्रदूषण होता है.
गोपाल राय ने कहा कि 11 सितंबर को पहली बार मैंने पूसा के वैज्ञानिक ने हमारे सामने प्रजेंटेशन देकर बताया कि उन्होंने एक कैप्सूल बनाया है, जिसका छिडकाव पराली पर किया जाए, तो पराली को जलाने की जगह गलाया जा सकता है. प्रजेंटेशन देखने के बाद 16 सितंबर को मै पूसा इंस्टीट्यूट गया और पूरी तकनीक को समझा। इसके बाद मैने माननीय मुख्यमंत्री जी को इसकी जानकारी दी। 23 सितंबर को मुख्यमंत्री जी के घर पर प्रेजेंटेशन हुआ.वहां के निदेशक और वैज्ञानिकों ने आकर प्रजेंटेशन दिया। 24 सितंबर को माननीय मुख्यमंत्री जी पूसा इंस्टीट्यूट गए और उन्होंने जमीनी स्तर पर प्रजेंटेशन को देखा। उसके बाद सरकार ने फैसला लिया कि हम दिल्ली के अंदर 2000 एकड़ जमीन पर उगाए जा रहे गैर बासमती वाले खेत में इस घोल का छिड़काव करेंगे.
हमने सेंट्रलाइज तरीके से पूरा घोल तैयार करने का निर्णय लिया और सरकार की तरफ से निशुल्क छिड़काव किया जाएगा। इसके लिए हमने खड़कड़ी नाहर, नजफगढ़ में केंद्र बनाया और उस सेंटर पर कृषि विभाग के अधिकारियों और पूसा के वैज्ञानिकों के मार्गदर्शन में घोल बनाने की प्रक्रिया शुरू हुई। सरकार ने 3 अक्टूबर को 2000 पाउच कैप्सूल लेने के लिए पूसा इंस्टीट्यूट को आॅर्डर किया। इस दो हजार पाउच से हमने लगभग 400 भगौनों में 25 लीटर पानी और हर भगौने में 5 पाउच मिलाया। इसके साथ साथ उसमें 7.50 ग्राम गुड़ और 250 ग्राम बेसन मिलाकर के उन 400 भगौनों घोल को पकाया गया. यह प्रक्रिया 5 अक्टूबर को शुरू हुई थी और 11 अक्टूबर तक या 10,000 लीटर घोल बनकर तैयार हो गया। इसके बाद उसमें 7.50 ग्राम गुड़ प्रति भगौने में डाल कर और उसमें पानी मिलाकर के दोबारा पकाया गया.
उससे 20,000 लीटर घोल तैयार किया गया, जो 2000 एकड़ खेत में छिड़काव के लिए घोल तैयार हो गया। 13 अक्टूबर को हिरनकी गांव, नरेला में सबसे पहले घोल का छिड़काव हुआ था. मुख्यमंत्री जी ने खुद इसकी शुरुआत की थी और उसके बाद अलग-अलग गांव में गैर बासमती खेत वाले किसानों के पास कृषि विभाग अधिकारी गए और लोगों से फार्म भरवाया गया. जिन लोगों ने फॉर्म भरे उन सारे फार्म का रिकॉर्ड सरकार के पास है. सरकार हवा में तीर नहीं चला रही है और हम सिर्फ डायलॉग नहीं मार रहे हैं. एक-एक गांव का फार्म इकट्ठा किया गया और सभी खेतों में इसका छिड़काव किया गया.
पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा बायो डीकंपोजर घोल के छिड़काव का क्या असर हुआ, हमने हिरनकी गांव में जाकर अपनी आंखों से इसका परिणाम देखा. 20 दिन पहले 13 अक्टूबर को छिड़काव शुरू हुआ था और वहां पर 4 नवंबर को माननीय मुख्यमंत्री जी के साथ मैं खुद जाकर देखा कि कैसे बायो डीकंपोजर के छिड़काव के बाद पराली करीब 90 प्रतिशत गल कर खाद में बदल गई। वहीं, दिल्ली के अलग-अलग हिस्सों में क्या प्रभाव रहा, इसके लिए सरकार ने 15 सदस्य कमेटी का गठन किया.कमिटी में पांच विधायक, कृषि विभाग के 5 अधिकारी और पूसा के पांच वैज्ञानिकों को शामिल किया गया.
इन टीमों ने दिल्ली के 25 गांव में जाकर सैंपल लेकर आंकलन करके रिपोर्ट दिया.वैज्ञानिकों के रिपोर्ट के आधार पर हमने कल एयर क्वालिटी कमीशन के सामने याचिका दायर की है। दिल्ली के अंदर पराली बहुत कम होती है। हमारी एक ही मंशा है कि दिल्ली के आसपास के राज्यों ने किसानों को मजबूरी में पराली जलानी पड़ती है, उन किसानों को इसका लाभ मिले और दिल्ली के लोगों को पराली जलने के धुए से हो रही परेशानी से मुक्ति मिले. इसी नेक मकसद से दिल्ली सरकार इस पर काम कर रही है.
पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि जो काम केंद्र सरकार को करना चाहिए था, वह काम दिल्ली सरकार कर रही है। पूसा इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों ने पहले ही कैप्सूल तैयार कर लिया था और केंद्र सरकार को इसका प्रयोग करना चाहिए था.केंद्र के माध्यम से भाजपा के उत्तर प्रदेश की सरकार को करना चाहिए था, जो हरियाणा की सरकार को करना चाहिए था और जो पंजाब की सरकार को करना चाहिए था, वह काम दिल्ली सरकार ने किया है। दिल्ली सरकार ने सिर्फ दिल्ली के लोगों की जिंदगी को बचाने के लिए यह काम किया है, क्योंकि पराली पंजाब और हरियाणा में जलाई जाती है, लेकिन उसका परिणाम दिल्ली के लोगों को भुगतना पड़ता है.
इसलिए मैं भाजपा के लोगों से कहना चाहता हूं कि आप भी कुछ तो करो। 2 महीने हो गए हैं और 2 महीने से केंद्र सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी हुई है। अगर आप भी कुछ करते तो दिल्ली में कोविड के समय में पराली के धुए से आज जिस तरह से लोगों की जिंदगी जा रही है। यह स्थिति ही पैदा नहीं होती। इसलिए राजनीतिक करिए, लेकिन लोगों की जिंदगी से जुड़े हुए मसलों पर राजनीति मत कीजिए और झूठ बोल कर के आप सच्चाई को नहीं दबा सकते हैं। किसी को भी बायो डीकंपोजर घोल के छिड़काव की रिपोर्ट चाहिए, तो हमने एयर क्वालिटी कमीषन के सामने पूरी रिपोर्ट प्रस्तुत कर दी है, वहां से भी ले सकता है. मुझे भरोसा है कि कमीशन उस पर निर्णय लेगा और इसका फायदा सभी राज्य सरकारें उठाएंगी. मुझे लगता है कि सबसे कम पैसे में पराली की समस्या का समाधान किया जा सकता है.