कोरोना महामारी: जानें कैसे दूसरों को संक्रमित कर सकते हैं एसिम्प्टोमेटिक व्यक्ति
कोरोना वायरस से संक्रमित केस देश में बढ़ते जा रहे हैं, स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि जैसे-जैसे टेस्ट बढ़ रहे हैं वैसे-वैसे मामले सामने आ रहे हैं. हांलाकि उनका यह भी कहना है कि इनमें ज्यादातर लोग ऐसे में हैं जिनमें बहुत कम लक्षण हैं और जल्दी ही वो ठीक हो जाते हैं. संक्रमण का खतरा कम नहीं हुआ
कोरोना वायरस (Coronavirus) से संक्रमित केस देश में बढ़ते जा रहे हैं, स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि जैसे-जैसे टेस्ट बढ़ रहे हैं वैसे-वैसे मामले सामने आ रहे हैं. हांलाकि उनका यह भी कहना है कि इनमें ज्यादातर लोग ऐसे में हैं जिनमें बहुत कम लक्षण हैं और जल्दी ही वो ठीक हो जाते हैं. संक्रमण का खतरा कम नहीं हुआ, लेकिन लॉकडाउन में तमाम तरह की छूट दी गई है. ऐसे में कई लोगों के मन में कुछ सवाल उठ रहे हैं जिनके जवाब सफदरजंग हॉस्पिटल (Hospital) के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. एम के सेन (Dr. MK Sen) ने दिये.
सबसे ज्यादा सांस के जरिए संक्रमण का खतरा
दरअसल वायरस से गंभीर रूप से संक्रमित और जिनमें वायरस के लक्षण हैं वो अस्पताल में भर्ती हैं, लेकिन हमारे बीच कुछ ऐसे लोग घूम रहे होते हैं जिन्हें खुद नहीं पता होता कि उनमें वायरस का संक्रमण हैं। क्योंकि उनमें लक्षण ही नजर नहीं आते, जिन्हें एसिम्प्टोमेटिक कहा जाता है. उनमें जब जुकाम-खांसी और छींक या बुखार के लक्षण नहीं होंगे तो कोई कैसे बचाव कर सकता है. इस बारे में आकाशवाणी से बातचीत में डॉ. एम के सेन ने कहा कि कोरोना का संक्रमण ज्यादातर सांस के द्वारा होता है। जब कोई व्यक्ति खांसता या छींकता है तो उनकी सांस से निकलने वाले छोटे कण हवा में थोड़ी देर रहते हैं और फिर आगे जाकर गिर जाते हैं. यह भी पढ़े: केरल में व्यक्ति के सिर पर कटहल गिरने से लगी गंभीर चोट, हॉस्पिटल में इलाज के दौरान पाया गया कोरोना पॉजिटिव
इसलिए एक मिटर की दूरी पर खड़े रहने को कहा जाता है। अब एसिम्प्टोमेटिक और प्रीसिम्प्टोमेटिक की बात करें तो जिनमें कोई लक्षण नहीं होते हैं, ऐसे में उनके बोलने या लंबी जम्हाई लेने से भी वायरस के कण बाहर आ सकते हैं। इसलिए एक उचित दूरी सभी के साथ बना कर रखनी है. इससे बचने के लिए ही मास्क लगाने को कहा गया है। जो लोग चीजों को छू रहे हैं वे एसिम्प्टोमेटिक या प्रीसिम्प्टोमेटिक हैं या नहीं, यह पता नहीं होता इसलिए हमेशा हाथ धोने को कहा जाता है.
एसिम्प्टोमेटिकमें कितने दिन वायरस रहता है जिंदा
एसिम्प्टोमेटिक व्यक्ति में वायरस का संक्रमण कितने जिंदा रहता है इस पर डॉ. सेन कहा कि अगर कोई लक्षण नहीं है तो ये मान कर चलते हैं कि 14 दिन में अगर उसे कोई भी लक्षण नहीं आए, तो उसका शरीर वायरस से लड़ने में कामयाब हो गया। अगर वह जांच में फिर भी पॉजिटिव निकलता है तो भी दो हफ्ते और तीन हफ्ते के बाद उसमें दूसरे को संक्रमित करने की क्षमता नहीं होती. वायरस हमारे घर में किसी भी तरह प्रवेश न करें इसलिए सबसे जरूरी है दिशा-निर्देशों का पालन करना। लेकिन ऐसा नहीं है कि केवल मास्क लगा लेने और सेनिटाइजर का प्रयोग करने से वायरस के संक्रमण से बच जाएंगे क्योंकि अक्सर देखने में आ रहे हैं कि लोग मास्क लगा कर नीचे कर देते हैं या बार बार हटाते रहते हैं जो काफी खतरनाक साबित हो सकता है.
डॉ. सेन कहते हैं कि कोविड-19 से बचाव के लिए मास्क सबसे महत्वपूर्ण है। सामान्य लोगों को घर का बना कॉटन का ट्रिपल लेयर वाला मास्क पहनने की सलाह दी गई है। मास्क ऐसे लगाएं कि नाक और मुंह दोनों ढके रहें। एक बार मास्क लगा लिया है, तो कहीं बाहर जाने पर मास्क को उतारें नहीं, उससे संक्रमण का खतरा रहता है. अगर मास्क गीला हो जाए तो उसे सावधानी से उतार कर दूसरा मास्क पहन लें और घर आकरसाबुन पानी से धो लें। अगर अस्पताल जा रहे हैं या किसी संक्रमित के पास जाना है तो ऐसे में सर्जिकल मास्क का प्रयोग करें और प्रयोग के बाद उसे नष्ट कर दें।
पुरुषों में ज्यादा होता है वायरस का संक्रमण
वहीं इन दिनों वायरस के संक्रमण को लेकर कई नई बातें सामने आ रही हैं जिनमें कहा जा रहा है कि वायरस का संक्रमण महिलाओं से ज्यादा पुरुषों में हो रहा है। इस पर डॉ. सेन का कहना है कि पूरी दुनिया में पुरुषों में कोरोना वायरस के संक्रमण ज्यादा देखे गए हैं। इसे लेकर कई थ्योरी सामने आई हैं, लेकिन अभी कोई सही जवाब या रिसर्च) सामने नहीं आया है। लेकिन ऐसा नहीं है कि महिलाओं को वायरस का संक्रमण नहीं होता.
यात्रा में सावधानी बहुत जरूरी
डॉ. सेन ने बाहर जाने वाले लोगों या यात्रा करने वालों से अपील करते हुए कहा कि अगर आप किसी भी बस, ट्रेन या आने वाले समय में हवाई यात्रा करने की योजना बना रहे हैं, तो सबसे जरूरी है स्वास्थ्य का ध्यान दें। अगर इस बीच कोई भी लक्षण दिखता है या सामान्य रूप से भी बीमारी होते हैं तो यात्रा करने से परहेज करें। स्टेशनों पर सोशल डिस्टेंसिग का ध्यान रखना है। अगर बस से जा रहे हैं और बस भर गई है तो परेशान न हों भीड़ न लगाएं। दूसरी बस का इंतजार करें या अगले दिन चले जायें। भीड़ लगाने से किसी संक्रमित के संपर्क में आकर खुद भी लोग संक्रमित हो सकते हैं।