Corona Pandemic: स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने कहा- Antibody नहीं बनने पर दोबोरा हो सकता है संक्रमण

भारत में एक्टिव केस की संख्या तो बढ़ रही हैस, हालाकि रिकवरी रेट भी 50 लाख से पार पहुंच गई है। लेकिन कोरोना वायरस से जंग भी जारी है। हाल ही में देश के अलग-अलग हिस्सों में हुये सीरो सर्वे की रिपोर्ट के मुताबिक भारत अभी हर्ड इम्युनिटी से काफी दूर है. इस बीच कोरोना से जुड़े कई नए तथ्य सामने आ रहे हैं. तो वहीं जॉनसन एंड जॉनसन कंपनी (Johnson & Johnson Company) ने जल्द ही सिंगल डोज वैक्सीन लाने का दावा किया है.

कोरोना वायरस (Photo Credits: PTI)

भारत (India) में एक्टिव केस (Active Case) की संख्या तो बढ़ रही हैस, हालाकि रिकवरी रेट भी 50 लाख से पार पहुंच गई है। लेकिन कोरोना वायरस (Coronavirus) से जंग भी जारी है. हाल ही में देश के अलग-अलग हिस्सों में हुये सीरो सर्वे की रिपोर्ट के मुताबिक भारत अभी हर्ड इम्युनिटी (Herd immunity) से काफी दूर है.  इस बीच कोरोना से जुड़े कई नए तथ्य सामने आ रहे हैं. तो वहीं जॉनसन एंड जॉनसन कंपनी (Johnson & Johnson Company)  ने जल्द ही सिंगल डोज वैक्सीन लाने का दावा किया है.

सिंगल डोज वैक्सीन है ज्यादा कारगर

क्या है सिंगल डोज वैक्सीन और कितनी असरकारी है इस बारे में बताते हुये आरएमएल, नई दिल्ली के डॉ. ए के वार्ष्‍णेय बताते हैं कि कोई भी वैक्सीन शरीर में इम्युनटी बढ़ाने के लिये देते हैं. ज्यादातर वैक्सीन में कुछ महीनों के अंतराल में दो या तीन डोज देनी होती है. यह एक तरह से इम्युनिटी बूस्टर होती हैं, लेकिन इस तरह की वैक्सीन देने में काफी समय लगता है. बार-बार लोगों को बुलाना पड़ता है और जब तक वैक्सीन के पूरे डोज न मिलें तो वो असर नहीं करती है। ऐसे में अगर सिंगल डोज वैक्सीन आती है तो बहुत ही असरकारी होगी. पहले दो ट्रायल में यह सफल रही है, इसलिए इससे उम्मीदें बढ़ गई हैं. यह भी पढ़े: Coronavirus Update: कोरोना महामारी से बचाव के लिए तमिलनाडु से लेकर दिल्ली और पंजाब तक जवानों को दिया जा रहा है इम्युनिटी बूस्टर

एंटीबॉडी नहीं बनने पर दोबोरा संक्रमण

भले ही रिकवरी रेट बढ़ रहे हैं, लेकिन कई लोगों में दोबारा संक्रमण का मामला भी सामने आया है.दरअसल नोएडा के व्यक्ति कुछ महीने पहले एसिम्प्टोमेटिक से ठीक हो गये. लेकिन कुछ दिन के बाद दोबोरा संक्रमण हुआ और इस बार लक्षण भी नजर भी नजर आये। इस पर डॉ वार्ष्णेय कहते हैं कि ऐसे में मरीजों में दोबारा वायरल लोड बढ़ा हुआ मानते हैं। दरअसल कई बार जब कोई एसिम्प्टोमेटिक होता है, तब अगर उसमें एंटीबॉडी नहीं बनें और वायरस लोड कम होने की वजह से खुद ही वो ठीक हो जाते हैं। कई मरीजों में एंटीबॉडी नहीं बनते हैं. ऐसे मरीजों में संक्रमण की संभावना उतनी ही रहती है, जितनी एक सामान्य व्यक्ति में. इसलिये अगर कोई दोबारा संक्रमित होता है तो हो सकता है, तब उनमें एंटीबॉडी बन जायें और यह भी संभव है कि उनमें लक्षण पहले से ज्यादा आ जायें.

एक भी लक्षण दिखने पर करायें टेस्ट

वहीं कई लोग अभी भी लक्षण आने पर डर से टेस्ट नहीं करा रहा है. इस पर डॉ वार्ष्णेय ने कहा कि कई लोगों में लक्षण आते हैं लेकिन डर कर टेस्ट नहीं कराते हैं. यह गलत है.जिन लोगों में लक्षण हैं उनको तो टेस्ट करा ही लेना चाहिये. हो सकता है वो सामान्य सर्दी-जुकाम हो, लेकिन अगर पॉजिटिव आता है तो संक्रमण की गंभारता के अनुसार तुरंत इलाज हो सकता है। स्थिति के गंभीर होने से बच जायेंगे.खास बात यह है कि अगर ऐसे ही रहेंगे तो हो सकता है आप बच जायें लेकिन दूसरे संक्रमित हो जायें और उनमें वायरस गंभीर हो जाये। इसलिये टेस्ट करायें और पॉजिटिव हैं तो आइसोलेट हो जायें.

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