VIDEO: जामिया गेट पर दिखी गंगा जमुनी तहजीब- मुस्लिम अदा कर रहे थे नमाज, अन्य धर्म के लोगों ने ऐसे की सुरक्षा

देश की राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के खिलाफ चल विरोध प्रदर्शन के बीच गंगा जमुनी तहजीब की झलक दिखी. दरअसल गुरुवार को दिल्ली के जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी के बाहर कई छात्रों और मुस्लिम समुदाय के लोगों ने नमाज अदा की.

जामिया यूनिवर्सिटी के बाहर नमाज अदा करते लोग (Photo Credits: ANI/Screengrab)

नई दिल्ली: देश की राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली (Delhi) में नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के खिलाफ चल विरोध प्रदर्शन के बीच गंगा जमुनी तहजीब की झलक दिखी. दरअसल गुरुवार को दिल्ली के जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी (Jamia Millia Islamia University) के बाहर कई छात्रों और मुस्लिम समुदाय के लोगों ने नमाज अदा की. इस दौरान नमाजियो के चारों ओर दूसरे समुदायों के लोगों ने एक मानव श्रृंखला बनाई, जिससे उन्हें किसी भी प्रकार की दिक्कत ना हो सके. इस पूरे वाकिये का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है.

न्यूज़ एजेंसी एएनआई द्वारा साझा किए गए वीडियो में जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी के बाहर कई प्रदर्शनकारी मानव श्रृंखला के घेरे के बीच नमाज पढ़ते दिख रहे है. इसके अलावा दिल्ली पुलिस की ओर से हिरासत में लिए गए प्रदर्शनकारियों को सूरजमल स्टेडियम में जलपान की व्यवस्था की गई. CAA Protest: दिल्ली के बाद लखनऊ में भी सुलगी प्रदर्शन की आग, जलाई गई कई गाड़िया-जमकर हुई पत्थरबाजी

उल्लेखनीय है कि दिल्ली में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हो रहे है. इसके चलते 16 मेट्रो स्टेशनों को बंद किया गया है. जबकि लाहौरी गेट, कश्मीरी गेट और कोतवाली पुलिस थाने में भी धारा-144 लगाई गई है. कुछ हिस्सों में कॉलिंग, इंटरनेट और एसएमएस सेवाओं को भी बंद किया गया है.

इस बीच नागरिकता कानून के विरोध को देखते हुए केंद्र सरकार ने एक बार फिर सफाई दी है. सरकार ने स्पष्टीकरण में कहा, "सीएए किसी भी विदेशी को नागरिकता कानून, 1955 के अंतर्गत भारत की नागरिकता के लिए आवेदन करने से नहीं रोकता. नागरिकता अधिनियम, 1955 की संबंधित धाराओं में दी गई योग्यताओं का पालन करने पर बलूच, अहमदिया और रोहिंग्या भी कभी भी भारत की नागरिकता के लिए आवेदन कर सकते हैं."

अधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक भारत में इस समय दो लाख से ज्यादा श्रीलंकाई तमिल और तिब्बती तथा 15,000 से ज्यादा अफगानी, 20-25 हजार रोहिंग्या और कुछ हजार अन्य देशों के शरणार्थी रह रहे हैं.

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