Bihar: जातीय समीकरण के दरकने की आशंका से असमंजस में मेयर प्रत्याशी
बिहार नगर निकाय चुनाव के दूसरे चरण में बुधवार को 68 निकायों में 11127 प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला होना है. पटना नगर निगम के मेयर पद के लिए भी मतदाता बुधवार को अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे.
पटना, 27 दिसम्बर : बिहार नगर निकाय चुनाव (Bihar Municipal Election) के दूसरे चरण में बुधवार को 68 निकायों में 11127 प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला होना है. पटना नगर निगम के मेयर पद के लिए भी मतदाता बुधवार को अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे. पटना नगर निगम के मेयर पद पर के लिए कुल 32 प्रत्याशी चुनावी मैदान में हैं और सभी मेयर की कुर्सी पाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं. बिहार में नगर निकाय चुनाव भले ही दलीय आधार पर नहीं हो रहा है, लेकिन राजनीतिक दल अप्रत्यक्ष रूप से इनकी मदद करते जरूर नजर आते हैं. वैसे राजनीतिक दल खुल कर समर्थन नहीं कर रहे, क्योंकि पार्टी के कई समर्थक चुनावी मैदान में उतर गए हैं. इस चुनाव में महिलाओं के लिए आरक्षित मेयर पद को लेकर सभी प्रत्याशियों को सबसे ज्यादा भरोसा अपने जाति आधारित मतदाताओं पर है, लेकिन उम्मीदवारों को अपने जातीय उम्मीदवार से ही कड़ी टक्कर भी मिल रही है, जिससे असमंजस की स्थिति बन गई है.
माना जाता है कि पटना में कायस्थ, वैश्य, यादव और मुस्लिम आबादी सर्वाधिक है. ऐसे में सभी प्रत्याशी अपने जातियों को साधने में जुटे है. हालांकि सेंधमारी को लेकर भी प्रत्याशी डरे हुए हैं. इस चुनाव में पटना की निवर्तमान मेयर सीता साहू फिर से चुनावी मैदान में हैं. वैश्य जाति से आने वाली सीता साहू को अपने जाति पर पूरा विश्वास है, लेकिन वैश्य समाज से आने वाली सरिता नोपानी, रीता रस्तोगी, रुचि अरोड़ा सहित कई प्रत्याशी के चुनावी मैदान में आने से सीता साहू का चुनावी गणित गड़बड़ा गया है. यह भी पढ़ें : महाराष्ट्र विधान परिषद ने कर्नाटक के साथ सीमा विवाद पर प्रस्ताव पारित किया
इधर, यादव जाति से आने वाली रजनी देवी, सुचित्रा सिंह और पिंकी यादव आदि भी मेयर की प्रत्याशी हैं, जिसे लेकर भी ऊहापोह की स्थिति बनी हुई है. महागठबंधन के नेता भी इसे लेकर असमंजस की स्थिति में हैं. इधर, कायस्थ समाज से आने वाली माला सिन्हा और रत्ना पुरकायस्थ भी चुनावी मैदान में है, जिससे जातीय समीकरण के दरकने की आशंका है. वैसे, भाजपा के एक नेता की मानें तो पार्टी के लोग किसी भी प्रत्याशी को दरकिनार नहीं कर रहे हैं. हालांकि, दबी जुबान वे स्वीकार भी करते हैं कि विधायक अपनी जाति के प्रत्याशियों के लिए लॉबिंग जरूर कर रहे हैं.