VIDEO: बिहार गजब है! ₹422 करोड़ से बना फ्लाईओवर चार महीने भी नहीं टिका, बारिश के कुछ दिन बाद ही धंस गया
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Flyover Corruption in Bihar: बिहार में एक बार फिर भ्रष्टाचार और घटिया निर्माण कार्य की पोल खुल गई है. राजधानी पटना में हाल ही में बना 422 करोड़ रुपये का डबल डेकर फ्लाईओवर, बारिश के कुछ दिन बाद ही धंस गया. ये फ्लाईओवर जून 2025 में ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बड़ी धूमधाम से जनता को समर्पित किया था. लेकिन उद्घाटन के महज दो महीने के भीतर ही इसकी हालत देखकर लोग हैरान हैं. पटना के अशोक राजपथ पर बना ये फ्लाईओवर दो स्तरों का है, जिसका मकसद गांधी मैदान से साइंस कॉलेज और पीएमसीएच तक ट्रैफिक को आसान बनाना था. मगर भारी बारिश और जलजमाव के कारण फ्लाईओवर का एक हिस्सा धंस गया.

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बारिश में धंसा 422 करोड़ का डबल डेकर फ्लाईओवर

'बिहार में कमीशनखोरी अब आम बात है'

लोगों का कहना है कि बिहार में निर्माण कार्यों में कमीशनखोरी, घटिया सामग्री का इस्तेमाल और जिम्मेदारी से भागने की आदत अब आम बात हो गई है. बड़े ठेकेदारों और अधिकारियों की मिलीभगत से जो निर्माण किए जाते हैं, वे कुछ ही महीनों या सालों में जवाब दे देते हैं. इस घटना ने सरकार के दावों की सच्चाई सबके सामने ला दी है.

निर्माण कार्यों में हुई है भारी लापरवाही

जानकारों का कहना है कि इस प्रोजेक्ट में डिजाइन और प्लानिंग से लेकर निर्माण तक कई स्तरों पर लापरवाही हुई है. अगर काम ईमानदारी से हुआ होता तो महज एक बारिश में ऐसा हाल नहीं होता. सवाल यह भी उठता है कि करोड़ों का बजट खर्च होने के बावजूद फ्लाईओवर में पानी निकासी और स्ट्रक्चरल सेफ्टी का ख्याल क्यों नहीं रखा गया?

प्रशासनिक मशीनरी पर गंभीर सवाल

इस घटना ने प्रशासनिक मशीनरी की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. जब इतनी बड़ी परियोजना में ही गुणवत्ता की अनदेखी की जा सकती है, तो छोटे प्रोजेक्ट्स में क्या हाल होता होगा, ये सोचकर ही डर लगता है. भ्रष्टाचार का आलम ये है कि जनता की गाढ़ी कमाई से बनने वाली सुविधाएं केवल कागजों में टिकाऊ होती हैं, ज़मीन पर नहीं.

कौन तय करेगा जिम्मेदारी?

फ्लाईओवर धंसने की घटना ने साफ कर दिया है कि बिहार में केवल उद्घाटन समारोह और भाषणबाजी से काम नहीं चलने वाला. जरूरत है ईमानदार निगरानी, जवाबदेही और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की. नहीं तो ऐसे हादसे बार-बार जनता की जान और पैसा—दोनों पर भारी पड़ते रहेंगे.

अब देखना ये है कि इस प्रकरण में सिर्फ जांच की रस्म अदायगी होगी या असल में किसी को जवाबदेह ठहराया जाएगा. वरना एक और भ्रष्टाचार की फाइल तैयार होकर सरकारी अलमारी में धूल फांकती रह जाएगी.