AES का कहर जारी: मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार ने ली 80 बच्चों की जान, नहीं थम रहा मौत का सिलसिला
AES का कहर जारी (Photo Credit-IANS)

बिहार (Bihar) में चमकी से लगातार हो रही बच्चों की मौत का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है. मुजफ्फरपुर में 'एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम' (Acute Encephalitis Syndrome) चमकी बुखार के कारण मौत का आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है. यहां पर अब तक 80 बच्चों की मौत हो चुकी है. इसके साथ ही लगातार नए मरीज अस्पताल में भारती हो रहे हैं. अब तक बीमारी के 286 नए मामले सामने आए हैं. इस भयावह स्थिति की समीक्षा के लिए केंद्रीय स्वास्थ्यमंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन रविवार को मुजफ्फरपुर जा रहे हैं.

वहीं बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने चमकी बुखार से मरने वाले बच्चों के परिवार को 4 लाख रुपए सहायता राशि देने की घोषणा की है. इसके अलावा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने स्वास्थ्य विभाग, जिला प्राशसन और डॉक्टरों को इस बीमारी से निपटने के लिए जरूरी कदम उठाने के लिए कहा है.

बच्चों को चपेट में लेती है यह बीमारी 

बता दें कि पिछले दो दशकों से यह बीमारी मुजफ्फरपुर सहित राज्य के कई इलाकों में होती है, जिसके कारण अब तक कई बच्चे असमय काल के गाल में समा चुके हैं. परंतु अब तक सरकार इस बीमारी से लड़ने के कारगर उपाय नहीं ढूढ़ पाई है. कई चिकित्सक इस बीमारी को 'एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम' बताते हैं. डॉक्टरों के मुताबिक इस बुखार से पीड़ित और मरने वाले सभी बच्चों की उम्र 5 से 10 साल के बीच की है.

लीची में पाया जाने वाला तत्व है जानलेवा बिमारी का कारण 

विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट की मानें तो अधपकी लीची एईएस का कारण हो सकता है. दरअसल लीची में पाया जाने वाला एक विशेष प्रकार का तत्व इस बुखार का कारण हो सकता है. खास बात यह है कि एईएस से होने वाला बुखार फैलने का दौर अमूमन मुजफ्फरपुर जिले में लीची के उत्पादन के मौसम में होता है.

अब तक की रिपोर्ट में यह भी पता चला है कि इस बीमारी की वजह से मरने वाले बच्चे लगभग दिनभर लीची खाते थे. उनके माता-पिता का कहना है कि जिले के लगभग सभी गांवों में लीची के बागान हैं और बच्चे दिन में वहीं खेलते हैं. यहां तक कि अधिकांश बच्चे तो दिन में लीची की वजह से खाना भी नहीं खाते हैं. जिसकी वजह से उनके शरीर में हाइपोग्लाइसीमिया बढ़ रहा था.

रिपोर्ट्स में सामने आई ये बात 

रिपोर्ट्स के अनुसार बच्चों के यूरीन सैंपल की जांच से पता चला है कि दो-तिहाई बीमार बच्चों के शरीर में वही विषैला तत्व था, जो लीची के बीज में पाया जाता है. यह जहरीला तत्व अधपकी या कच्ची लीची में सबसे ज्यादा होता है. एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम की वजह से दिमाग में बुखार चढ़ जाता है जिसकी वजह से कई बार मरीज कोमा में भी चला जाता है.

गर्मी, कुपोषण और आर्द्रता की वजह से यह बीमारी बहुत तेजी से बढ़ती है और अपना कुप्रभाव दिखाती है. चमकी बुखार में बच्चे को लगातार तेज बुखार चढ़ा ही रहता है. बदन में ऐंठन होती है. बच्चे दांत पर दांत चढ़ाए रहते हैं. कमज़ोरी की वजह से बच्चा बार-बार बेहोश होता है. यहां तक कि शरीर भी सुन्न हो जाता है.